आज हम आपको बताएंगे कि बीजेपी और गठबंधन सरकारों के बीच बात कैसे बनेगी! लोकसभा चुनाव के फाइनल नतीजों में जिस तरह से बीजेपी बहुमत से दूर रह गई, एनडीए में शामिल सहयोगी दलों ने मंत्रालयों को लेकर डिमांड तेज कर दी है। टीडीपी, जेडीयू और एनडीए के अन्य सहयोगी केंद्रीय मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण पदों पर नजर गड़ाए हुए हैं। सूत्रों के अनुसार, शुरुआती चर्चा में बीजेपी ने रक्षा मंत्रालय, वित्त विभाग, गृह और विदेश मंत्रालय पर अपनी दावेदारी जताई है। टीडीपी और जेडीयू दोनों ही दलों ने स्पीकर पद मांगा है, लेकिन कथित तौर पर बीजेपी इसके तैयार नजर नहीं आ रही। चुनाव नतीजों में चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू एनडीए में प्रमुख खिलाड़ी बनकर उभरे हैं। इसी का फायदा उठाते हुए उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण पदों की डिमांड रख दी है। उधर मोदी के नेतृत्व में बनने वाली नई सरकार अपने सहयोगियों को अहम मंत्रालय आसानी से नहीं देना चाहेगा। टीडीपी और जेडीयू जिनके पास क्रमशः लोकसभा की 16 और 12 सीटें हैं, सूत्रों के अनुसार, उन्होंने अपने पसंदीदा मंत्रालयों की डिमांड बीजेपी आलाकमान के सामने रख दी है। यही नहीं उनकी निगाहें अपने पसंदीदा मंत्रालयों पर बनी हुई है। शुरुआती चर्चा के आधार पर सहयोगी दल हर चार सांसदों पर एक मंत्री की मांग कर रहे हैं।
कथित तौर पर, टीडीपी चार कैबिनेट पदों की मांग कर रही है, जबकि जेडीयू तीन मंत्रियों की मांग कर रही है। इसके अतिरिक्त, 7 सीटों के साथ एकनाथ शिंदे की शिवसेना और पांच सीटों के साथ चिराग पासवान की एलजेपी को दो-दो मंत्रालय मिलने की उम्मीद है। चंद्रबाबू नायडू भी लोकसभा अध्यक्ष पद पर नजर गड़ाए हुए हैं, लेकिन बीजेपी इस मांग को स्वीकार करने को तैयार नहीं दिख रही है। टीडीपी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की भी मांग कर सकती है।
बीजेपी को 240 सीटें मिली हैं, जो बहुमत से 32 सीटें कम हैं, मोदी 3.0 के लिए इन सहयोगियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। टीडीपी, जेडीयू, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पास कुल मिलाकर 40 सांसद हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले दो मंत्रिमंडलों में, जहां बीजेपी ने अकेले ही बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया था, एनडीए के सहयोगी प्रमुख कैबिनेट पदों पर कब्जा नहीं कर सके थे। हालांकि, 2024 के रिजल्ट में बीजेपी स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। इसी के परिणामस्वरूप मंत्रिपरिषद में बीजेपी कोटे के मंत्रियों की संख्या कम हो सकती है और सहयोगी दलों के मंत्रियों की संख्या बढ़ जाएगी। हालांकि, यह संभावना कम ही है कि बीजेपी मुख्य मंत्रालयों पर समझौता करेगी। रक्षा, वित्त, गृह और विदेश मामलों के अलावा भाजपा बुनियादी ढांचा विकास, कल्याण, युवा मामले और कृषि से संबंधित मंत्रालय भी अपने पास रखना चाहेगी।
इसके अतिरिक्त, बीजेपी का दावा है कि पिछली एनडीए सरकारों के तहत रेलवे और सड़क परिवहन आदि में बड़े सुधार किए गए हैं। पार्टी इन्हें सहयोगियों को देकर सुधारों की गति को धीमा नहीं करना चाहती है। सूत्रों ने बताया कि रेलवे परंपरागत रूप से सहयोगी दलों के पास रहा है और बीजेपी ने काफी प्रयास के बाद इसे वापस अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया। बीजेपी पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्रालय जेडीयू को देने पर विचार कर सकती है, जबकि नागरिक उड्डयन और इस्पात जैसे विभाग टीडीपी को दिए जा सकते हैं। भारी उद्योग का प्रभार शिवसेना को दिया जा सकता है।
चर्चा से जुड़े सूत्रों ने बताया कि एनडीए के सहयोगियों को वित्त और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में राज्य मंत्री नियुक्त किया जा सकता है। पर्यटन, एमएसएमई, कौशल विकास, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और सामाजिक न्याय और अधिकारिता जैसे अन्य मंत्रालय भी सहयोगी दलों को सौंपे जाने की संभावना है।उधर मोदी के नेतृत्व में बनने वाली नई सरकार अपने सहयोगियों को अहम मंत्रालय आसानी से नहीं देना चाहेगा। टीडीपी और जेडीयू जिनके पास क्रमशः लोकसभा की 16 और 12 सीटें हैं, सूत्रों के अनुसार, उन्होंने अपने पसंदीदा मंत्रालयों की डिमांड बीजेपी आलाकमान के सामने रख दी है।हालांकि, यह संभावना कम ही है कि बीजेपी मुख्य मंत्रालयों पर समझौता करेगी। रक्षा, वित्त, गृह और विदेश मामलों के अलावा भाजपा बुनियादी ढांचा विकास, कल्याण, युवा मामले और कृषि से संबंधित मंत्रालय भी अपने पास रखना चाहेगी। चंद्रबाबू नायडू लोकसभा अध्यक्ष पद पर जोर देते रहेंगे तो बीजेपी उन्हें उपसभापति पद की पेशकश कर उन्हें मनाने की कोशिश कर सकती है। फिलहाल आखिरी फैसला जल्द होने के आसार हैं।