Monday, January 20, 2025
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आखिर क्यों है बिहार के बच्चे को 6 साल से सर्जरी का इंतजार?

आज हम आपको बताएंगे कि बिहार के एक बच्चे को 6 साल से सर्जरी का इंतजार क्यों है! एनएचआरसी यानी राष्ट्रीय मानवाधिकारी आयोग ने 6 साल के बच्चे के हार्ट सर्जरी में देरी पर दिल्ली एम्स को नोटिस भेजा है। बच्चे को 2019 से ही दिल की बीमारी है और तब से उसके माता-पिता एम्स के चक्कर काट रहे हैं। हर बार उन्हें सर्जरी की तारीख दी जाती है लेकिन ऑपरेशन नहीं होता। एनएचआरसी ने इस मामले को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रकाशित एक रिपोर्ट पर संज्ञान लिया। एनएचआरसी ने एम्स को नोटिस जारी किया है। रिपोर्ट में 6 साल के एक बच्चे के दिल के ऑपरेशन में लगभग छह साल की अभूतपूर्व देरी का मामला सामने आया था। बिहार के बेगूसराय का रहने वाला यह बच्चा 2019 में महज तीन महीने का था जब उसे दिल की बीमारी का पता चला था। बच्चे के माता-पिता का कहना है कि जब से उन्हें इस बीमारी के बारे में पता चला है, तब से लेकर अब तक वो कई बार एम्स का चक्कर लगा चुके हैं।

हर बार उन्हें डॉक्टरों ने सर्जरी की नई तारीख दे दी, लेकिन ऑपरेशन नहीं हो पाया। एनएचआरसी ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में जो कुछ भी कहा गया है, अगर वह सच है तो यह मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन का मामला है।रहने-खाने में हर बार उन्हें 13,000 से 15,000 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। बच्चे की हालत ऐसी है कि वह बिना सांस फूले 15 कदम भी नहीं चल पाता। बीमारी की वजह से उसका शारीरिक विकास भी रुक गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स की तरफ से सर्जरी में देरी के अलग-अलग कारण बताए गए हैं, जिनमें बेड उपलब्ध न होना और डॉक्टरों की अनुपस्थिति शामिल है। स्वास्थ्य और मेडिकल सुविधाएं हर व्यक्ति का बुनियादी अधिकार है। एम्स एक प्रतिष्ठित सरकारी हेल्थ संस्थान है, जहां देश भर से लोग अपने प्रियजनों का इलाज कराने के लिए आते हैं।

आयोग ने माना कि देश भर के सरकारी अस्पतालों में कई तरह की बाधाएं हैं, लेकिन यह जानकर दुख होता है कि बिहार का एक मासूम बच्चा गंभीर हालात के बावजूद छह साल से दिल की सर्जरी का इंतजार कर रहा है। यह बेहद चिंता का विषय है। एनएचआरसी ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव और एम्स के निदेशक को नोटिस जारी कर एक हफ्ते के अंदर इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने रिपोर्ट में बच्चे की वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति और एम्स के डॉक्टरों की ओर से बताई गई सर्जरी की निर्धारित तारीख का ब्योरा भी मांगा है।

रिपोर्ट का हवाला देते हुए एनएचआरसी के नोटिस में कहा गया है कि बच्चे के पिता की मासिक आय 8,000 रुपये है। इलाज के खर्च के कारण उन पर काफी आर्थिक बोझ है। दिल्ली आने-जाने और रहने-खाने में हर बार उन्हें 13,000 से 15,000 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। बच्चे की हालत ऐसी है कि वह बिना सांस फूले 15 कदम भी नहीं चल पाता। बीमारी की वजह से उसका शारीरिक विकास भी रुक गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स की तरफ से सर्जरी में देरी के अलग-अलग कारण बताए गए हैं, जिनमें बेड उपलब्ध न होना और डॉक्टरों की अनुपस्थिति शामिल है।

इस बीच, एम्स ने भी इन आरोपों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। एम्स मीडिया सेल की इंचार्ज प्रोफेसर रीमा दादा ने दावा किया कि इस मामले में एक रिपोर्ट तैयार कर निदेशक कार्यालय को सौंप दी गई है। हालांकि, संपर्क के वक्त रिपोर्ट की विस्तृत जानकारी उन्हें उपलब्ध नहीं थी। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में क्या है, इसकी जानकारी जुटाने की कोशिश की जा रही है। उधर, बच्चे के पिता अंकित कुमार ने बताया कि एम्स के अधिकारियों ने उनसे संपर्क किया है और अगली बार दिल्ली आने पर ओपीडी में आने को कहा है। ‘बता दे कि हर बार उन्हें डॉक्टरों ने सर्जरी की नई तारीख दे दी, लेकिन ऑपरेशन नहीं हो पाया। एनएचआरसी ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में जो कुछ भी कहा गया है, अगर वह सच है तो यह मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन का मामला है।

स्वास्थ्य और मेडिकल सुविधाएं हर व्यक्ति का बुनियादी अधिकार है। बातचीत में अंकित कुमार ने बताया कि उन्होंने रोटरी पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी प्रोग्राम के संस्थापक डॉ. निश्चल से भी बात की है। डॉ. निश्चल ने अंकित कुमार को बताया है कि वह बच्चे की जांच के बाद ही उसके इलाज के बारे में कोई फैसला लेंगे। अंकित कुमार 27 जून को अपने बच्चे का इलाज कराने दिल्ली आने वाले हैं।

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