एक ऐसी घटना जिसमें चिकित्सकों की टीम ने महिला को कैंसर से बचा लिया! मैटरनिटी वार्ड का वो दिन उसके लिए बेहद खास था। नर्स ने उसकी गोद में एक नन्हीं सी परी को रखा और कहा, अब आप एक बेटी की मां बन गई हैं। 22 साल के जीवन में उसके लिए ये सबसे बड़ी खुशी थी। शायद उसकी शादी से भी बड़ी। उसने कभी नहीं सोचा था कि जिस तरह उसके पापा ने उसे लाड़-प्यार से पाला, एक दिन ऐसा भी आएगा… जब वो अपनी बेटी को इसी तरह गोद में खिलाएगी। अस्पताल से छुट्टी मिली, तो अपनी बेटी को गोद में सुलाए उसने खुशी भरे आंसुओं के साथ अपने घर में कदम रखे। लग रहा था जैसे पूरी कायनात की खुशियां उसकी झोली में आ गिरी हैं।अपनी बेटी के साथ वो जिंदगी के सबसे बेहतरीन लम्हें जी रही थी। ऐसे ही खुशनुमा माहौल में एक दिन शाम को उसके पति दफ्तर से लौटे, तो उसने कहा कि वो अपनी बेटी का एक साल का बर्थडे मनाना चाहती है। उसके पति को भी तो बेटी से बेइन्तिहां लगाव था… पत्नी की बात सुनते ही उसने भी प्लानिंग शुरू कर दी।इतनी बड़ी मदद मिलने के बाद रेचल बर्न्स नाम की इस मां का कहना है कि उसके लिए ये सब झेलना एक डरावना दौर था, लेकिन जो मदद मिली, उससे उन्हें उम्मीद मिली है कि वो अब अपने परिवार के साथ कुछ और समय बिता पाएंगी। इस मां का कहना है कि वो उन सभी लोगों को धन्यवाद कहना चाहती है जिन्होंने अब तक उसे दान दिया। पति अपनी बेटी के जन्मदिन के लिए नए-नए ख्वाब बुन ही रहा था कि एक दिन उसकी पत्नी ने बताया कि उसे लगातार चक्कर महसूस हो रहे हैं और आंखों में जलन भी महसूस हो रही है। शुरू में लगा कि शायद मौसम का असर है लेकिन जब दोनों पति-पत्नी डॉक्टर के पास गए तो रिपोर्ट देखकर उनके होश उड़ गए।
डॉक्टर ने बताया कि महज एक महीने की बेटी की इस मां को ब्रेन ट्यूमर है। ये सुनते ही दोनों पति-पत्नी के होश उड़ गए। महिला ने सीधा सवाल पूछा, मेरे पास कितने दिन बचे हैं… डॉक्टर का जवाब था, ज्यादा से ज्यादा चार महीने। ये सुनते ही इस मां का कलेजा कांप गया। उसके वो सारे सपने टूट गए, जो उसने अपनी बेटी के पहले जन्मदिन के लिए सजाए थे। उसके पति ने डॉक्टर से बात की तो पता चला जर्मनी में एक नई रिसर्च ONC201 के तहत इस बीमारी के मरीज को कुछ साल के लिए बचाया जा सकता है। एक उम्मीद तो जगी, लेकिन समस्या ये थी कि इलाज काफी महंगा था। इलाज का खर्च सुनते ही बच्ची की मां का दिल टूट गया। कहां से आएंगी इतनी रकम?
अब यहां से वो होता है, जिसे हम और आप आपस की बातचीत में करिश्मा कहते हैं। कैंसर से पीड़ित इस एक महीने की बच्ची की मां को बिना बताए उसका पति और ससुराल के बाकी लोग, उसे बिना बताए उसके नाम ने क्राउडफंडिंग पर डिटेल डाल देते हैं। इस पहल के नतीजे भी किसी करिश्मे से कम नहीं होते। महज 24 घंटों के भीतर पति और उस महिला के ससुराल की कोशिश से 30,000 पाउंड इकट्ठा हो जाते हैं। इलाज का इंतजाम तो हो जाता है, लेकिन क्राउडफंडिग के जरिए दान का सिलसिला जारी रहता है। उन्हें जरूरत थी 48 हजार पाउंड की, लेकिन उनके पास जमा हो जाते हैं 60 हजार पाउंड।
और इस तरह, एक मां, जो अपनी जिंदगी की सारी उम्मीद खो चुकी थी… उसी मां को अपनी मासूम सी बेटी के साथ खिलखिलाने का मौका मिल जाता है। एक मां को उसकी बेटी के साथ जिंदगी जीने की उम्मीद जगाने वाली ये खबर नॉर्दन आयरलैंड की है। जिस जगह ये महिला रहती है, वो बहुत छोटी सी जगह है.. लेकिन आप कभी नहीं सोच सकते कि इसी छोटी सी जगह से उसके कुछ अजनबी भाई मदद के लिए खड़े हो गए हैं। इतनी बड़ी मदद मिलने के बाद रेचल बर्न्स नाम की इस मां का कहना है कि उसके लिए ये सब झेलना एक डरावना दौर था, लेकिन जो मदद मिली, उससे उन्हें उम्मीद मिली है कि वो अब अपने परिवार के साथ कुछ और समय बिता पाएंगी। इस मां का कहना है कि वो उन सभी लोगों को धन्यवाद कहना चाहती है जिन्होंने अब तक उसे दान दिया। आंखों में खुशी के आंसूं भरे ये मां कहती है, ‘आप नहीं जानते कि इससे मुझमें और मेरे परिवार में कितना अंतर आया है।’