अब देश में लागू होने वाले हैं नए कानून ?

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देश में अब नए कानून लागू होने वाले हैं! 1 जुलाई से देश में तीन नए कानून लागू हो जाएंगे। इसके साथ ही आम बोलचाल में IPC की प्रचलित किंवदंतियां भी बदल जाएंगीं। मसलन, ‘420’ का नाम सुनते ही हर छोटा बड़ा इसके मायने समझ जाता था। 420 को लेकर कई फिल्में, कहानियां भी बीता हुआ कल बन जाएंगी। ‘मेरे साथ चार सौ बीसी की है’ जैसे कमेंट अब पुराने पड़ जाएंगे। क्यों कि अब आईपीसी 420 की जगह बीएनएस 316 हो जाएगी। यानी अब आप कह सकेंगे उसने ‘तीन सौ सौलह’ कर दी। यानी ब्रिटिश काल से बेईमानी के लिए दागदार आईपीसी 420 के दाग धुल जाएंगे, अब बीएनएस ‘316’ चीटिंग के लिए ‘बदनाम’ हो जाएगी। नए कानून में डॉक्टर्स को सख्त सजा से सुरक्षा कवच दिया गया है। मसलन, बीएनएस 106(1) में कहा गया है कि एक रजिस्टर्ड डॉक्टर आरएमपी को चिकित्सीय लापरवाही के लिए दो साल तक की कैद और जुर्माने से दंडित किया जाएगा। इसमें कहा गया है किसी भी चिकित्सा प्रोसेस को करते समय जल्दबाजी या लापरवाही से मौत का कारण में चिकित्सकों को बीएनएस में कम सजा का प्रावधान है। कोर्ट के निर्णय तक की सुनवाई पूरी तरह से ऑनलाइन होगी। ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के तीन के अंदर FIR दर्ज करनी होगी। सात साल से ज्यादा सजा वाले सभी अपराधों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य की गई है।इसके साथ ही बीएनएस की धारा 51 (1) के मुताबिक, चिकित्सक को बिना किसी देरी के आरोपी की जांच रिपोर्ट आईओ को भेजनी होगी। रेप पीड़िता की मेडिकल जांच की रिपोर्ट रजिस्टर्ड डॉक्टर को सात दिनों के अंदर जांच अधिकारी को भेजनी होगी।

इतना ही नहीं, अब पुलिस हिरासत में भी बड़ा बदलाव हो जाएगा। अब बीएनएसए यानी ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’ के तहत क्राइम के नेचर के आधार पर पुलिस हिरासत की अवधि 15 दिन के टाइम फ्रेम को बढ़ा दिया गया है। दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड एसीपी राजेंद्र सिंह के मुताबिक, इसका अर्थ है कि जिस संगीन केस में 10 साल से अधिक की सजा का प्रावधान है उसमें 90 दिन के अंदर चार्जशीट फाइल करनी होती है, ऐसे केस में 60 दिन के अंदर कभी भी 15 दिन की पुलिस कस्टडी ली जा सकती है।

जिस केस में 10 साल से कम अवधि की सजा है, उसमें चार्जशीट 60 दिन के अंदर फाइल करनी होती है। ऐसे केस में 45 दिन के अंदर कभी भी 15 दिन की पुलिस कस्टडी ले सकती है। यह कस्टडी टुकड़ों में भी ली जा सकेगी। इसके साथ ही FIR से लेकर कोर्ट के निर्णय तक की सुनवाई पूरी तरह से ऑनलाइन होगी। ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के तीन के अंदर FIR दर्ज करनी होगी। सात साल से ज्यादा सजा वाले सभी अपराधों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य की गई है।

बता दे कि बिहार पुलिस अकादमी, राजगीर के निदेशक बी श्रीनिवासन ने दी। उन्होंने बताया कि तीन नए प्रमुख कानूनों का मकसद सजा देने की बजाय न्याय देना है। उन्होंने कहा कि नए कानूनों से मानवीय पक्ष सामने आएगा। नए कानूनों में प्रावधान है कि पुलिस थाने में आने वाले पीड़ित की शिकायत आधे घंटे के अंदर सुनी जाएगी। अगर किसी पीड़ित को थाने में आधे घंटे से ज्यादा इंतजार करवाया गया, तो थाने के संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई होगी। सभी थानों में अलग-अलग मामलों (केस) के लिए अलग-अलग जांच अधिकारी (आईओ) तैनात किए जाएंगे। हर आईओ को लैपटॉप और एंड्रॉयड मोबाइल दिया जाएगा। बिहार पुलिस जल्द ही डिजिटल पुलिस बन जाएगी। सभी आईओ को उनका अलग ई-मेल दिया जाएगा। इसके बाद सभी सीसीटीएनएस (अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क योजना) पर एक्टिव होंगे। एफआईआर से लेकर कोर्ट के निर्णय तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शिकायत दायर करने के तीन दिन के भीतर एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान सात साल से अधिक सजा वाले मामलों में फॉरेसिंक जांच अनिवार्य यौन उत्पीड़न के मामलों में सात दिन के भीतर देनी होगी जांच रिपोर्ट पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय करने का प्रावधान,एसीपी राजेंद्र सिंह के मुताबिक, इसका अर्थ है कि जिस संगीन केस में 10 साल से अधिक की सजा का प्रावधान है उसमें 90 दिन के अंदर चार्जशीट फाइल करनी होती है, ऐसे केस में 60 दिन के अंदर कभी भी 15 दिन की पुलिस कस्टडी ली जा सकती है। आपराधिक मामलों में सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों में होगा फैसला भगोड़े अपराधियों की गैर-मौजूदगी के मामलों में 90 दिनों के भीतर केस दायर करने का प्रावधान तीन साल के भीतर मिल सकेगा न्याय!