यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या आने वाले समय में भारत-पाकिस्तान का व्यापार संबंध खुल सकता है या नहीं !भारत और पाकिस्तान के बीच बहुत सारी समानताएं होने के बावजूद संबंधों में अस्थिरता का लंबा इतिहास रहा है लेकिन 2019 के बाद व्यापार संबंधों में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है। पुलवामा में हमला और उसके बाद जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने ने दोनों देशों नें औपचारिक व्यापार संबंधों को खत्म कर दिया। भारत ने पाकिस्तानी आयात पर भारी जुर्माना लगाया और नियंत्रण रेखा के पार व्यापार को निलंबित कर दिया। पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए व्यापार प्रतिबंध लगा दिया और बाद में केवल आवश्यक दवाइयों के आयात की अनुमति दी। पांच साल के बाद, हाल के घटनाक्रमों से यह संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की उम्मीद की जा सकती है। भारत पाक व्यापार संबंधों को टटोलते हुए डॉन ने रिपोर्ट की है। पाकिस्तान के बड़े अखबार डॉन की रिपोर्ट कहती है कि इस साल निर्वाचित होने के बाद दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर बधाई संदेशों का आदान-प्रदान किया। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि पाक के डिप्टी पीएम इशाक डार ने खुलकर में भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की वकालत की है। इस ओर ध्यान देना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि तस्करी और बदले रूट से दोनों देशों के बीच प्रवाहित होने वाले अरबों डॉलर व्यापार संबंधों को सामान्य बनाने के संभावित लाभों को रेखांकित करते हैं अनुमान है कि दुबई और अन्य केंद्रों के माध्यम से तस्करी और पुनर्मार्ग के माध्यम से दोनों देशों के बीच अरबों डॉलर का प्रवाह होता है।
पाकिस्तान संघीय राजस्व बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष शब्बर जैदी का कहना है कि एक साल में 1.5-2 बिलियन डॉलर के सामान की तस्करी हो रही है, जिसमें दुबई से ही एक बिलियन डॉलर की तस्करी हो रही है। भारतीय अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर शोध परिषद द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुमान के मुताबिक 2016 में दोनों देशों में अनौपचारिक व्यापार 4.71 बिलियन डॉलर का था। जैदी कहते हैं कि इस अनौपचारिक व्यापार के लिए भुगतान अक्सर हुंडी/हवाला चैनलों के माध्यम से किया जाता है, जिसमें संभावित रूप से सीमा सुरक्षा बल शामिल होते हैं। वे कहते हैं कि ईदुल अजहा से पहले हजारों गाय और अन्य पशुधन सीमा पार चले गए, साथ ही सुपारी और तंबाकू उत्पादों का अवैध व्यापार भी हुआ। पाकिस्तान की ओर से अफगानिस्तान से सेंधा नमक और सूखे मेवे की तस्करी 3,300 किलोमीटर लंबी सीमा से की जाती है। इस तरह का एक मजबूत अनौपचारिक व्यापार नेटवर्क सामान्यीकृत व्यापार संबंधों के संभावित लाभों को रेखांकित करता है। जबकि राजनीतिक तनाव बना हुआ है, आर्थिक तर्क पारस्परिक लाभ के लिए आगे का रास्ता सुझाता है।
पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल कहते हैं, ‘सभी तरह का व्यापार फायदेमंद होता है और दोनों देशों की निकटता को देखते हुए यह दोनों देशों के लिए फायदेमंद है। चीन और ताइवान के बीच विवाद है लेकिन उनका व्यापार फल-फूल रहा है। भारत और चीन के बीच विवाद है लेकिन उनका व्यापार फल-फूल रहा है। आक्रमण के खतरे के बावजूद, चीन और ताइवान का द्विपक्षीय व्यापार 250 बिलियन डॉलर से अधिक है। इसी तरह भारत ने 2023 में चीन से 101 बिलियन डॉलर का सामान आयात किया और 2023 में 16 बिलियन डॉलर का निर्यात किया।’ वे कहते हैं कि हम प्रतिबंध से पहले की तुलना में कश्मीर को वापस पाने के करीब नहीं हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत के साथ व्यापार संबंधों को रोकना राजनीतिक रूप से सफल नहीं रहा है। उनका तर्क है कि आर्थिक रूप से मजबूत पाकिस्तान, कमजोर पाकिस्तान की तुलना में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीरी लोगों की इच्छाओं और आकांक्षाओं का बेहतर प्रतिनिधित्व कर सकता है।
क्या भारत के साथ व्यापार खुलने का मतलब यह है कि पाकिस्तान का निर्यात बढ़ जाएगा। इस सवाल पर विभिन्न पाकिस्तानी व्यापारियों के अनुभव बताते हैं कि भारत में ‘मेड इन पाकिस्तान’ लेबल वाले उत्पादों के प्रति उनमें पूर्वाग्रह है। इसके अलावा पुलवामा हमलों से पहले भारत ने अक्सर पाकिस्तान के निर्यात पर गैर-टैरिफ बाधाएं लगाई थीं। हालांकि यह सभी संभावित निर्यातों के लिए सही नहीं है। भारत के अमृतसर में मजीठ मंडी है, जिसमें करीब 400 व्यापारी हैं। इनमें से अधिकतर व्यापारी 2019 से पहले पाकिस्तान से सूखे खजूर मंगाते थे। भारतीय लेखिका निकिता सिंगला और प्रिया अरोड़ा की रिपोर्ट ‘द दुबई एंगल्ड ट्राएंगल’ में कहा गया है कि बाजार में सूखे खजूर खरीदने आने वाले ग्राहक अन्य सामान भी खरीदते थे लेकिन अब मंडी बंजर जमीन की तरह दिखती है और ज्यादातर व्यापारी कारोबार से बाहर हो गए हैं।
वर्तमान में पाकिस्तान माल ढुलाई लागत पर काफी खर्च करता है। हैदर बताते हैं कि दूर से आयात के लिए व्यवसाय प्रति कंटेनर लगभग 3,000 से 4,000 डॉलर का भुगतान करते हैं। हालांकि, भारत से आयात करने से ये लागत काफी कम हो सकती है, जिससे ये 300 से 400 डॉलर प्रति कंटेनर तक कम हो सकती है। चीन के साथ गलत तरीके से किए गए मुक्त व्यापार समझौते का उदाहरण देते हुए, जिसने पाकिस्तान के बाजार को भर दिया और बदले में बहुत कम निर्यात प्राप्त हुआ, श्री हैदर का तर्क है कि व्यापार को उदार बनाने का पहला कदम वार्ता से शुरू करना है, जो दोनों देशों के हित में टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं निर्धारित करता है। भारत के साथ एक व्यापक व्यापार समझौते में विवाद समाधान तंत्र, बैंकिंग चैनल तथा सरकार-से-सरकार सौदों बनाम व्यवसाय-से-व्यवसाय सौदों के तौर-तरीके जैसे महत्वपूर्ण तत्व शामिल होंगे। उनका कहना है कि दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र का समझौता पुराना हो चुका है और हर चीज पर फिर से बातचीत करने की जरूरत है।