हाल ही में भारत के राफेल लड़ाकू विमान ग्रीस में अपना दम दिखा कर आए है! भारतीय वायु सेना के राफेल लड़ाकू विमान इन दिनों ग्रीस में उड़ान भर रहे है। इस उड़ान में उनके साथ ग्रीक एयरफोर्स के राफेल और मिराज 2000 लड़ाकू विमान हिस्सा ले रहे हैं। भारतीय विमानों को ग्रीस के एंड्राविडा में 117 फाइटर विंग में तैनात किया गया है। इस एयर बेस पर नाटो के प्रमुख रामस्टीन फ्लैग अभ्यास के लिए तैयारियां की जा रही है, जिसे पहली बार जर्मनी से बाहर आयोजित किया जाएगा। इस बीच ग्रीस में भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों को उड़ान भरता देख तुर्की और पाकिस्तान की टेंशन बढ़ गई है। तुर्की अपने पड़ोसी ग्रीस को सबसे बड़ा दुश्मन मानता है, वहीं पाकिस्तान को करीबी दोस्त। भारतीय राफेल ग्रीस में एफ-16 के साथ अभ्यास कर रहे हैं, जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान करता है। ग्रीस की मीडिया के अनुसार, भारतीय राफेल विमानों ने मंगलवार को हेलनिक एयरफोर्स के 114वें फाइटर विंग के 335 और 336 स्क्वाड्रन में शामिल राफेल और मिराज 2000-5 फाइटर जेट के साथ अपना पहला संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास को पूरा किया। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के चार राफेल विमान पूरे सप्ताह चलने वाले संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास में हिस्सा लेंगे। संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास के पहले चरण में टोही उड़ानें पहले ही पूरी हो चुकी हैं। इसके बाद ग्रीक और भारतीय लड़ाकू विमान विभिन्न इलाकों में अधिक चुनौतीपूर्ण परिदृश्यों को अंजाम देने वाले हैं।
भारतीय वायु सेना के ये राफेल लड़ाकू विमान अमेरिका में “रेड फ्लैग 24” अभ्यास में शामिल होने के बाद से ही ग्रीस में मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि भारतीय लड़ाकू विमानों को ग्रीस में रोकने का फैसला एयर फोर्स के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल डेमोस्थनीज ग्रिगोरियाडिस की पहल पर किया गया है। ग्रिगोरियाडिस भारत-ग्रीस रक्षा संबंधों के हिमायती हैं और दोनों देशों की सेनाओं के बीच करीबी संबंध रखना चाहते हैं। यही कारण है कि दोनों देशों के बीच विकसित हो रहे रणनीतिक संबंधों के ढांचे के भीतर सितंबर में भारत को चार ग्रीक एफ-16 भेजने पर पहले ही सहमति हो चुकी है।
भारत, ग्रीस के साथ रक्षा सबंधों को मजबूत कर एक साथ तुर्की और पाकिस्तान दोनों को झटका देने की तैयारी में है। तुर्की का ग्रीस के साथ द्वीपों को लेकर गंभीर विवाद है। वही तुर्की कश्मीर पर पाकिस्तान का समर्थन करता है। ऐसे में भारत का ग्रीस के साथ जाना तुर्की के लिए एक कड़ा संदेश साबित हो सकता है। यही नहीं आपको बता दें कि राफेल एम को खास तौर पर एयरक्राफ्ट कैरियर ऑपरेशन के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें एक शक्तिशाली लैंडिंग गियर लगा हुआ है, जो एक छोटे रनवे पर तेजी से उतरने के बावजूद जल्द खराब नहीं होता है। इसके अलावा इसमें अरेस्ट लैंडिंग के लिए टेल हुक और एयरक्राफ्ट कैरियर पर पार्किंग के लिए फोल्डेबल विंग भी है। ये विशेषताएं इसे आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनाती के लिए आदर्श बनाती हैं, जिससे इंडियन ओशन रीजन में हमारी सैन्य शक्ति मेंउल्लेखनीय वृद्धि होने के आसार हैं।
दूसरी ओर ग्रीस के एफ-16 का अध्ययन कर भारतीय वायु सेना के पायलट इसकी खूबियां और ताकत को अच्छे से समझ सकते हैं। मलक्का, सुंडा और लोम्बोक जलडमरूमध्य का रणनीतिक महत्व सर्वोपरि है, क्योंकि ये चोकपॉइंट वैश्विक व्यापार और ऊर्जा आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण हैं, विशेष रूप से चीन के लिए। राफेल एम के शामिल होने से भारत को इन महत्वपूर्ण जलमार्गों में निर्णायक लाभ मिलता है। दुनिया के सबसे व्यस्त शिपिंग लेन में से एक के रूप में, मलक्का जलडमरूमध्य मध्य पूर्व और अफ्रीका से चीन के ऊर्जा आयात के लिए महत्वपूर्ण है। मलक्का जलडमरूमध्य के वैकल्पिक मार्ग सुंडा और लोम्बोक जलडमरूमध्य भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। राफेल एम की अग्रिम तैनात वाहकों से संचालन करने की क्षमता भारतीय नौसेना को इन क्षेत्रों में शक्ति प्रक्षेपण के लिए लचीलापन प्रदान करती है। विमान की उन्नत स्ट्राइक क्षमताएं, जिसमें एक्सोसेट AM39 एंटी-शिप मिसाइल शामिल है, भारतीय नौसेना को संभावित समुद्री खतरों को बेअसर करने और इन महत्वपूर्ण मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सक्षम बनाती हैं।
राफेल एम की क्षमताएं भारतीय नौसेना को इस महत्वपूर्ण चोकपॉइंट की प्रभावी रूप से निगरानी और नियंत्रण करने की अनुमति देती हैं।दोनों देशों की सेनाओं के बीच करीबी संबंध रखना चाहते हैं। यही कारण है कि दोनों देशों के बीच विकसित हो रहे रणनीतिक संबंधों के ढांचे के भीतर सितंबर में भारत को चार ग्रीक एफ-16 भेजने पर पहले ही सहमति हो चुकी है।इससे पाकिस्तानी वायु सेना का सरप्राइज एलिमेंट खत्म हो जाएगा, जिसका वह लगातार धौंस दिखाता है।