यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या किसान आंदोलन दोबारा से शुरू हो सकता है या नहीं! पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा शंभू बॉर्डर को खोलने का आदेश दिए जाने के बाद अब किसानों ने अपनी अगली रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। किसान संगठन 14 जुलाई को शंभू व खनौरी बार्डर के किसानों के साथ एक मीटिंग करेंगे, इसमें आगामी रणनीति पर चर्चा की जाएगी। दरअसल, शंभू बार्डर खुलने के आदेश के बाद किसान संगठनों द्वारा एमएसपी सहित कई मांगों को लेकर दिल्ली कूच करने का निर्णय लिया जा सकता है। एमएसपी खरीद गारंटी कानून मोर्चा के हरियाणा संयोजक व भाकियू लोकशक्ति के प्रदेशाध्यक्ष जगबीर घसोला ने हाईकोर्ट के फैसले को किसानों की जीत बताया है। जगबीर घसोला ने कहा कि हरियाणा सरकार की तानाशाही के चलते पंजाब के किसानों को शंभू बॉर्डर पर करीब 6 माह पहले रोक दिया गया। इस वजह से किसान अपनी मांगों को लेकर शंभू बॉर्डर पर ही डटे रहे। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉर्डर खोलने का फैसला सुनाया है। शंभू बॉर्डर के खुलने से आमजन को भी आने-जाने में कोई परेशानी नहीं होगी।
किसान नेता ने कहा कि 14 जुलाई को शंभू व खनौरी बॉर्डर के किसानों के साथ किसान संगठनों की मीटिंग होगी और इसमें एमएसपी सहित कई मांगों को लेकर दिल्ली कूच करने का भी निर्णय लिया जा सकता है। किसान संगठनों ने कोर्ट के फैसले को किसानों की जीत बताते हुए कहा कि मीटिंग में आगामी आंदोलन की रूपरेखा भी तैयार की जाएगी। अगर जरूरी होगा तो देश भर के किसान आंदोलन में शामिल होंगे और मांगों को पूरा कराकर ही दम लेंगे।उन्होंने कहा कि हरियाणा के किसान संगठनों के नेता पंजाब और अन्य राज्यों के किसान नेताओं से कोआर्डिनेट करेंगे। साथ ही किसान आंदोलन के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाकर अपनी मांगों को पूरा करने की मांग करेंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने आज ऐलान किया कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी सहित अन्य लंबित मांगों को लेकर फिर से आंदोलन शुरू करेगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को एक ज्ञापन सौंपेगा। वर्ष 2020-21 के किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले एसकेएम ने अपनी आम सभा की बैठक के एक दिन बाद यह घोषणा की। इस बार शायद संगठन दिल्ली कूच नहीं करेगा। एसकेएम में अलग-अलग किसान संगठन शामिल हैं। संगठन के नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और राज्यसभा तथा लोकसभा के सदस्यों से मुलाकात करने तथा उन्हें किसानों की मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपने के लिए 16 से 18 जुलाई के बीच का समय मांगा जाएगा। बता दें कि करीब पांच महीने से शंभू बार्डर पर बैठे किसानों के कारण अब आम लोग और आसपास के ग्रामीण प्रभावित हो रहे हैं। इस चलते पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य ने शनिवार को हाई कोर्ट में शंभू बॉर्डर खुलवाने को लेकर जनहित याचिका दायर की है। याचिका में बताया गया है कि आंदोलन के कारण पांच महीने से नैशनल हाइवे 44 बंद पड़ा है। इससे अंबाला के दुकानदार, व्यापारी, छोटे-बड़े रेहड़ी फड़ी वाले भुखमरी के कगार पर आ गए हैं। याचिका में मांग की गई है कि शंभू बॉर्डर को तुरंत प्रभाव से खोलने के आदेश दिए जाएं। इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई होने की उम्मीद है।
वासु रंजन शांडिल्य ने याचिका में पंजाब और हरियाणा सरकार सहित किसान नेता स्वर्ण सिंह पंढेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल को भी पार्टी बनाया है। याचिका में बताया गया है कि शंभू बॉर्डर बंद होने के कारण सरकारी बसों का रूट डायवर्ट किया हुआ है, जिससे तेल का खर्च बढ़ रहा है। अंबाला और शंभू के आसपास के मरीज बॉर्डर बंद होने के कारण दिक्कत में हैं। एंबुलेंस के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हरियाणा-पंजाब के वकीलों को भी अंबाला से पटियाला और पटियाला वालों को अंबाला की अदालतों में आने में भारी दिक्कतें हो रही है। एडवोकेट वासु रंजन ने बताया कि फरवरी 2024 से गैर कानूनी तरीके से संविधान का उल्लंघन कर राष्ट्रीय हाइवे को बंद किया हुआ है और शंभू बॉर्डर के आसपास किसानों ने अस्थायी घर बना लिए हैं, ऐसा लगता है कि जैसे अब शंभू बॉर्डर कभी खुलेगा ही नहीं। यह अनिश्चितकाल के लिए बंद हो गया है। हाई कोर्ट केंद्र और दोनों राज्य सरकारों को रास्ता खोलने के आदेश दें।
वासु रंजन ने कहा कि रास्ता किसके कारण और क्यों बंद है, इस पर निर्णय हाई कोर्ट करेगा। रोड को बंद करना जनता के मौलिक अधिकारों का हनन है। रोड बंद होने से अंबाला और पटियाला जिले का छोटा-बड़ा काम बंद हो चुका है। यह हाइवे पंजाब, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर को जोड़ता है। इसके बंद होने से न केवल सरकारों को नुकसान हो रहा है, बल्कि आम आदमी भी परेशान है।