वर्तमान में बीजेपी बार-बार बहुमत से दूर होती जा रही है! लोकसभा चुनाव 2024 में बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अब अपनी कमियों की तलाश करना शुरू कर चुकी है। पार्टी यूपी समेत कुछ बड़े राज्यों में खराब प्रदर्शन को लेकर काफी सतर्क है और हार के कारणों पर मंथन करने वाली है। इस मंथन में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, अमित शाह, बीजेपी चीफ जेपी नड्डा भी रहने वाले हैं। बीजेपी शासित सभी राज्यों के सीएम और डेप्युटी सीएम को बुलाया गया है। सूत्रों के मुताबिक, जुलाई के अंत में बीजेपी के सीएम-डिप्टी सीएम बैठक हो सकती है। जानकारी के मुताबिक, जुलाई के आखिर में होने वाली बीजेपी की इस बैठक में लोकसभा चुनाव के नतीजों पर चर्चा होगी। इसके साथ ही सरकार और संगठन में समन्वय पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। इस बैठक में बीजेपी शासित राज्यों के सीएम-डिप्टी सीएम शामिल होंगे। माना जा रहा कि जिस तरह से बीजेपी बीते लोकसभा चुनाव में 240 सीट पर ही सिमट गई थी। हालांकि, उनके नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन बहुमत के आंकड़ें को पार कर गया और मोदी 3.0 सरकार का गठन हुआ। हालांकि, बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व, पार्टी के खराब प्रदर्शन को लेकर लगातार माथापच्ची में जुटा है। खास तौर पर यूपी जैसे अहम राज्य में पार्टी को करारा झटका लगा था।
जिस तरह से लोकसभा चुनाव में यूपी की कई सीटों पर बीजेपी नुकसान हुआ, उसका असर वहां की सियासत में नजर आ रहा। लखनऊ में रविवार को हुई यूपी बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को दिल्ली बुला लिए गए। मंगलवार को केशव मौर्य और भूपेंद्र चौधरी ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से अलग-अलग मुलाकात की। माना जा रहा है कि कि नड्डा ने दोनों नेताओं से लोकसभा चुनाव में सीटें कम होने और यूपी में भविष्य की रणनीति को लेकर चर्चा की है।
यूपी बीजेपी में घमासान का ये कोई अकेला मामला नहीं है। इससे पहले सीएम योगी की अगुआई में होने वाली दो कैबिनेट बैठकों से गायब रहने वाले केशव मौर्य ने करीब 20 दिन से चुप्पी साध रखी थी। यह चुप्पी पिछले रविवार बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में टूटी और केशव ने मंच से संगठन को सरकार से बड़ा बता दिया। उन्होंने कहा कि मैं बीजेपी कार्यकर्ता पहले हूं, डिप्टी सीएम बाद में। इसके बाद ही उन्हें दिल्ली तलब किया गया। हालांकि, अब बीजेपी नेतृत्व ने सभी राज्यों के सीएम-डिप्टी सीएम की बैठक बुला ली है। जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी।
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व यूपी समेत अलग-अलग राज्यों में कमियों और पॉजिटिव प्वाइंट्स को समझना चाहता है। खास तौर पर यूपी में पार्टी कुछ बदलाव भी कर सकती है। इसी के मद्देनजर अलग-अलग सुझाव मांगे हैं। माना जा रहा कि जल्द पार्टी नेतृत्व जरूरी कदम उठा सकते हैं! लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में बीजेपी को मिली हार के बाद पार्टी के अंदर क्या सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। हार की समीक्षा के लिए योगी आदित्यनाथ की ओर से बुलाई गई बैठक में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य नहीं पहुंचे थे। इसके बाद से दोनों के बीच सबकुछ ठीक नहीं होने की चर्चा तेज हो गई थी। सोमवार को केशव प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर से बयान देकर हलचल मचा दी है। बीजेपी कार्य समिति की बैठक में केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि संगठन हमेशा सरकार से बड़ा रहा है। जिस समय केशव प्रसाद मौर्य ने यह बयान दिया, उस समय मंच पर सीएम योगी और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी मौजूद रहे। उनके बयान के तरह-तरह के मायने निकाले जा रहे हैं। कोई कह रहा है कि केशव प्रसाद ने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए ऐसा कहा, तो कोई कह रहा है कि सरकार की नाराजगी की वजह से उन्होंने कहा और सीधे योगी को चुनौती दी। इस बीच, मंगलवार दोपहर को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और भूपेंद्र चौधरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने दिल्ली पहुंचे। शाम को केशव प्रसाद मौर्य ने जेपी नड्डा से मुलाकात की। दोनों की बीच काफी देर तक चर्चा होती रही। उनकी मुलाकात के बीच यूपी सरकार में सबकुछ ठीक नहीं होने की चर्चा तेज हो गई।
आइए विधानसभा चुनाव 2017 में चलते हैं। 2017 से पहले यूपी सपा की सरकार की। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान केशव प्रसाद मौर्य अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। केशव प्रसाद मौर्य खुद ओबीसी से आते हैं और उन्होंने सीट बंटवारे में जातियों को साधने में सफलता हासिल की थी, जिसका फायदा बीजेपी को मिला, लेकिन अचानक से सीएम योगी आदित्यनाथ को बना दिया गया। उन्हें डिप्टी सीएम के पद से संतोष करना पड़ा था। बताया जाता है कि वही से दोनों के बीच मनमुटाव शुरू हुआ, जो अब तक जारी है। हालांकि, उस समय मनोज सिन्हा का भी नाम सीएम रेस में आया था, लेकिन योगी ने बाजी मारी थी।
अब चलते हैं 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी दूसरी बार लगातार पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई, लेकिन इस चुनाव में कई उलटफेर हुए, जिसमें डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का हारना। पल्लवी पटेल ने उनको हराया था। उस समय चर्चा तेज चली थी कि वो हारे नहीं, बल्कि उनको हराया गया। हालांकि, हार के बाद केशव प्रसाद मौर्य दोबारा डिप्टी सीएम बने, लेकिन उनको 2017 की तरह पावर नहीं दिया गया। 2017 में लोक निर्माण विभाग केशव के पास था, जबकि 2022 में उनको ग्राम विकास एवं समग्र विकास, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग का प्रभार दिया गया।
लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी की 80 सीटों में से 50 पर जब नाम तय किए गए, तो कमेटी की औपचारिक बैठक से पहले नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा ने लोक कल्याण मार्ग पर अनौपचारिक बैठक कर ली। इस दौरान योगी आदित्यनाथ करीब दो घंटे तक इंतजार करते रहे थे। बाद में औपचारिक बैठक में नाम पढ़ दिए गए थे। बताया जाता है कि योगी आदित्यनाथ ने 35 सांसदों के नाम काटने के सुझाव दिए थे, जिसको नहीं माना गया और इनमें 27 प्रत्याशी चुनाव हार गए। यही कारण रहा था कि लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में हार मिलने के बाद से किसी पर भी हार की जिम्मेदारी नहीं दी गई है। बताया जाता है कि योगी पहले से ही जवाब देने के मूड में हो गए थे। हार के कारणों का पता लगाने के लिए 40 सदस्यीय टास्क फोर्स बनाई गई, लेकिन उसने केंद्रीय चुनाव समिति के तरीकों और फैसलों की जांच ही नहीं की।