Saturday, March 15, 2025
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संविधान हत्या दिवस पर विपक्षी नेताओं से क्या बोले सुधांशु त्रिवेदी?

हाल ही में सुधांशु त्रिवेदी ने संविधान हत्या दिवस पर विपक्षी नेताओं को घेर लिया है! भारतीय जनता पार्टी ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने के केंद्र के फैसले का विरोध करने के लिए कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों पर शनिवार को निशाना साधा और कहा कि आपातकाल के खिलाफ लड़ने वाले लोग भी सत्ता के लिए अराजकतावादी कहलाने को तैयार हैं। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि चूंकि 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है, इसलिए उन लोगों के दिलों में बहुत दर्द है, जो संविधान का रक्षक होने का दिखावा कर रहे हैं। वे सवाल कर रहे हैं कि जब 50 साल (आपातकाल लागू होने के बाद) हो गए हैं, तो (संविधान हत्या दिवस मनाने की) क्या जरूरत है। सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि सत्ता की लालसा में आप अपने ऊपर अराजकता का ठप्पा लगाने को भी तैयार हैं। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या जेपी आंदोलन उनके लिए भी अराजकता था। मनोज झा ने सत्तारूढ़ भाजपा से आईना देखने और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने और देश में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को परेशान करने के लिए माफी मांगने को कहा।भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी की टिप्पणी शिवसेना नेता संजय राउत के उस बयान के जवाब में आई है थी। जिसमें संजय राउत ने कहा था कि आपातकाल को 50 साल हो गए हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी भविष्य के बजाय अतीत को देखती रहती है।

शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लगाया था क्योंकि देश में अराजकता थी। उन्होंने कहा कि अगर भविष्य में उनके समकक्ष अटल बिहारी वाजपेयी को भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता, तो वे भी आपातकाल लगाते। राउत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल की तुलना भी आपातकाल से की। विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दल राजद ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित करने के लिए मोदी सरकार की शुक्रवार को आलोचना की थी और कहा था कि इस तरह के कदमों से भाजपा संविधान से ‘छेड़छाड़’ करने के अपने प्रयासों के कारण लोकसभा चुनाव में मिले ‘झटके’ से उबरने की कोशिश कर रही है।

राजद सांसद मनोज झा ने भी सत्तारूढ़ भाजपा पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया था और मांग की थी कि केंद्र 30 जनवरी को ‘गांधी हत्या दिवस’ घोषित करे जिस दिन महात्मा गांधी की हत्या हुई थी। मनोज झा ने सत्तारूढ़ भाजपा से आईना देखने और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने और देश में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को परेशान करने के लिए माफी मांगने को कहा।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आपातकाल के काले दिनों को याद करने के लिए 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का सरकार का फैसला जरूरी था। उन्होंने कहा कि यह ध्यान देने योग्य बात है कि जिन लोगों ने उत्पीड़न झेला, वे आज उत्पीड़कों के साथ हैं। सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि संविधान की हत्या सिर्फ 1975 में ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के सभी शासनकालों के दौरान की गई। बता दें कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या जेपी आंदोलन उनके लिए भी अराजकता था। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी की टिप्पणी शिवसेना नेता संजय राउत के उस बयान के जवाब में आई है थी। जिसमें संजय राउत ने कहा था कि आपातकाल को 50 साल हो गए हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी भविष्य के बजाय अतीत को देखती रहती है।शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लगाया था क्योंकि देश में अराजकता थी। उन्होंने कहा कि अगर भविष्य में उनके समकक्ष अटल बिहारी वाजपेयी को भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता, तो वे भी आपातकाल लगाते। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी की टिप्पणी शिवसेना नेता संजय राउत के उस बयान के जवाब में आई है थी। जिसमें संजय राउत ने कहा था कि आपातकाल को 50 साल हो गए हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी भविष्य के बजाय अतीत को देखती रहती है।उन्होंने कहा कि संविधान में पहला संशोधन जवाहरलाल नेहरू ने 1951 में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कमतर करने के लिए किया था, जब चुनाव भी नहीं हुए थे।

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