Friday, October 18, 2024
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आखिर क्या है साइबर गुलामी की दर्दनाक कहानी?

आज हम आपको साइबर गुलामी की दर्दनाक कहानी सुनाने जा रहे हैं! ज्यादा पैसा कमाने के लालच में विदेशों में नौकरी का सपना देखने वाले लोगों के लिए ये शायरी एकदम सटीक बैठती है। अगर आप भी किसी अनजान के झूठे वादों के दम पर भारत से बाहर अच्छी नौकरी के सपने देख रहे हैं तो सतर्क हो जाइए। वरना बेदर्द हाकिम आपकी खाल तब तक उधेड़ेगा जब तक आप मर ना जाएं और फरियाद की यहां कोई गुंजाइश नहीं है। दरअसल गोवा के दो युवक, जिनकी उम्र महज 26 और 25 साल है, वह ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में कंबोडिया में बुरी तरह फंस गए थे। उन्हें अच्छी नौकरी का झांसा देकर क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड में धकेल दिया गया था। इनमें से एक नौजवान दो महीने तक होटल में कैद रहा और फिर भागकर भारतीय दूतावास पहुंचा। दूसरे को 25 दिन तक साइबर गुलामी झेलनी पड़ी और 5 लाख रुपये देकर अपनी आजादी खरीदनी पड़ी। ये दोनों ही गोवा पुलिस द्वारा दर्ज की गई उस बड़ी जॉब स्कैम की जांच का हिस्सा हैं जिसमें 5000 से ज्यादा भारतीयों को कंबोडिया, म्यांमार, लाओस जैसे देशों में फंसाया गया है। 26 साल के युवक ने सीमेंट फैक्ट्री सुपरवाइजर की नौकरी छोड़ दी और ज्यादा कमाने के झांसे में आ गया। लीजा फर्नांडिस नाम की एजेंट ने उसे थाईलैंड में 700 डॉलर प्रति माह सैलरी वाली डेटा-एंट्री जॉब का झांसा दिया।एजेंट ने उसे कहा कि उसे अपनी आजादी के लिए 5 लाख रुपये और देने होंगे। उसने कहा, ‘अगले 25 दिन बहुत तकलीफदेह थे। हमें या तो फाइनेंशियल फ्रॉड करना पड़ता था या सजा भुगतनी पड़ती थी। मैंने इन एजेंट्स पर भरोसा करके गलती की। इन्होंने मजबूरी का फायदा उठाया।’ फरवरी में वो अपने दोस्त के साथ थाईलैंड गया। वहां से उन्हें कंबोडिया ले जाया गया, जहां उन्हें बताया गया कि उन्हें क्रिप्टोकरेंसी ऐप के लिए फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाने होंगे।

युवक ने बताया, ‘मैंने कई बार इमारत से कूदकर जान देने की सोची। हर रोज रोता था … नींद नहीं आती थी। यह जेल जैसा था।’ उसे फर्जी सोशल मीडिया पहचान बनाने की ट्रेनिंग दी गई। उन्हें अच्छी दिखने वाली महिलाओं की तस्वीरें और कुछ इंस्टाग्राम प्रोफाइल दिए गए। उन्हें भारतीयों को टेलीग्राम और फेसबुक मैसेंजर पर चैट करके क्रिप्टोकरेंसी ऐप में निवेश करने के लिए लालच देने को कहा गया।

युवक ने बताया, ‘नए लोगों को एक हफ्ते तक सीनियर्स के साथ काम करना पड़ता था ताकि उनकी चैटिंग स्किल्स में सुधार हो। चैट के दौरान, वे यह बताते थे कि कैसे एक ट्रेडिंग ऐप में निवेश करने से उनके पैसे दोगुने हो गए हैं, जिससे उन्हें उस दिन एक डिजाइनर बैग खरीदना संभव हुआ।’ जैसे ही कोई टारगेट ऐप या इन्वेस्टमेंट फंड में निवेश करते थे, उन्हें ब्लॉक कर दिया जाता था।’ युवक ने बताया, ‘डेली टारगेट पूरा न करने पर सजा दी जाती थी, जिसमें अकेले कैद करना, पिटाई करना, घंटों पुश-अप्स या स्क्वैट्स करवाना और खाना देर से देना शामिल था।’ युवक ने बताया, ‘हमारी शिफ्ट के दौरान, कॉलिंग रूम को बाहर से बंद कर दिया जाता था। हम इमारत नहीं छोड़ सकते थे और सभी एग्जिट पॉइंट पर गार्ड तैनात रहते थे।’

दूसरा युवक, जो 25 साल का है, उसे मुंबई के एजेंट हाजी ने पोलैंड में 85,000 रुपये प्रति माह की सैलरी वाली नौकरी का झांसा दिया था। जब उसे एहसास हुआ कि उसे कंबोडिया में फ्रॉड करने के लिए लाया गया है, तो उसने एजेंट से शिकायत की। एजेंट ने उसे कहा कि उसे अपनी आजादी के लिए 5 लाख रुपये और देने होंगे। उसने कहा, ‘अगले 25 दिन बहुत तकलीफदेह थे। हमें या तो फाइनेंशियल फ्रॉड करना पड़ता था या सजा भुगतनी पड़ती थी। मैंने इन एजेंट्स पर भरोसा करके गलती की। इन्होंने मजबूरी का फायदा उठाया।’

गोवा पुलिस ने इस मामले में कई रिक्रूटमेंट एजेंट्स के खिलाफ FIR दर्ज की है और दो एजेंट्स-नासिर अहमद तिगड़ी और मोहम्मद हाजी को गिरफ्तार किया है। बता दें कि 25 दिन तक साइबर गुलामी झेलनी पड़ी और 5 लाख रुपये देकर अपनी आजादी खरीदनी पड़ी। ये दोनों ही गोवा पुलिस द्वारा दर्ज की गई उस बड़ी जॉब स्कैम की जांच का हिस्सा हैं जिसमें 5000 से ज्यादा भारतीयों को कंबोडिया, म्यांमार, लाओस जैसे देशों में फंसाया गया है। पुलिस का कहना है कि वे ऐसे और साइबर स्लेव्स को ढूंढने और इस अंतर्राष्ट्रीय जॉब स्कैम के नेटवर्क का पर्दाफाश करने के लिए जांच कर रहे हैं जो कंबोडिया, लाओस, म्यांमार और वियतनाम तक फैला हुआ है।

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