यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या पश्चिम बंगाल सरकार हिंदुओं के साथ भेदभाव कर रही है या नहीं! बांग्लादेश में स्टूडेंट मूवमेंट चल रहा है। इस कारण वहां अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है। इस माहौल से भागकर बहुत से बांग्लादेशी भारत की ओर कूच कर रहे हैं। ऐसे में बांग्लादेश की सीमा से सटे प्रदेश पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेशियों को खुला निमंत्रण दे दिया है। उन्होंने कहा कि जो भी बांग्लादेशी संकट की इस घड़ी में उनके राज्य में आएगा, उनका स्वागत किया जाएगा। केंद्र सरकार में बैठी और प. बंगाल में मुख्य विपक्षी की भूमिका निभार रही बीजेपी ने ममता के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। प्रदेश में बीजेपी के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि ममता बनर्जी राज्य और केंद्र के बीच कामकाज और दायित्वों के बंटवारे की सीमा का उल्लंघन कर रही हैं। उन्होंने ममता पर मुस्लिम तुष्टीकरण और हिंदू विरोध का भी आरोप लगाया है। सीएम ममता बनर्जी ने शहीद दिवस पर अपनी पार्टी की रैली में ये तो कहा कि बांग्लादेश में जो हो रहा है, वो उनका आंतिरक मामला है, लेकिन हम शरणार्थियों का स्वागत करेंगे। ममता ने अपने बयान में संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) के दिशानिर्देशों का भी हवाला दिया। ममता ने कहा, ‘यूएन गाइडलाइंस के मुताबिक बांग्लादेश में अपने घरों से निकाले गए उन सभी शरणार्थियों का हम स्वागत करेंगे जो हमारे राज्य में शरण लेना चाहते हैं।’ उन्होंने बंगाल के लोगों से किसी उकसावे में नहीं आने की अपील की है।
पश्चिम बंगाल सरकार की मुखिया की तरफ से आया बयान निश्चित रूप से बांग्लादेशियों को भारत में शरण लेने को प्रोत्साहित करेगा। प. बंगाल की सीमा पर अवैध घुसपैठ के मामले रिपोर्ट होते रहते हैं। अगर बांग्लादेशी अवैध तरीके से जान पर खेलकर भारत आने की फिराक में रहते हैं तो सरकार की तरफ से स्वागित किए जाने की खबर पाकर तो उनमें शरणार्थी बनने की होड़ मच सकती है। दूसरी तरफ, घुसपैठ कर आ चुके बांग्लादेशियों को शरणार्थी बताकर वैधता दी जाने की भी आशंका है। संभवतः इसी आशंका में बीजेपी ने ममता बनर्जी के बयान की आलोचना की है।
पश्चिम बंगाल के बीजेपी सह-प्रभारी और पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अमित मालवीय ने ममता के बयान को एक अवैध घुसपैठियों को प. बंगाल, झारखंड और दूसरे पड़ोसी राज्यों में सेटल करने की कुत्सित योजना है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘ममता बनर्जी एक दिन कहती हैं कि हिंदू शरणार्थियों को हम आने की अनुमति नहीं देंगे। हिंदू शरणार्थी तो धार्मिक प्रताड़ना झेलकर सीएए के अंदर अवैध तरीके से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करना चाहते हैं। लेकिन ममता कहती हैं कि अगर वो दबाव बनाएंगे तो हम अवैध रोहिंग्याओं को ट्रेनें जलाने, सड़कें जाम करने और लोगों की हत्या करने को कहेंगे क्योंकि रोहिंग्या टीएमसी को वोट करते हैं। दूसरी तरफ ममता कहती हैं कि बांग्लादेशियों का भारत में स्वागत है।’
मालवीय ने ममता से पूछा कि आखिर उन्हें विदेशियों को न्योता देने का अधिकार किसने दिया? उन्होंने लिखा, ‘शरणार्थियों और नागरिकता का मामला सिर्फ और सिर्फ केंद्र सरकार के अधीन है। बता दें कि सीएम ममता बनर्जी ने शहीद दिवस पर अपनी पार्टी की रैली में ये तो कहा कि बांग्लादेश में जो हो रहा है, वो उनका आंतिरक मामला है, लेकिन हम शरणार्थियों का स्वागत करेंगे। ममता ने अपने बयान में संयुक्त राष्ट्र संघ के दिशानिर्देशों का भी हवाला दिया। इस मामले में राज्य सरकारों का कोई हक नहीं बनता है। यह विपक्षी इंडी अलायंस की दुर्भवानपूर्ण योजना है कि अवैध बांग्लादेशियों को बंगाल से झारखंड में बसाया जाए ताकि वो चुनावों में जीत दर्ज कर सकें।’ यही नहीं पश्चिम बंगाल में बढ़ती मुस्लिम आबादी को लेकर बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह ने ममता बनर्जी सरकार पर हमला बोला है. बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने डायरेक्ट एक्शन डे की याद दिलाते हुए बंगाल के लोगों को हिंदुओं को संगठित होने को कहा है. उन्होंने कहा कि आज पश्चिम बंगाल में हिंदू अपने अस्तित्व की आखिरी लड़ाई लड़ रहे हैं.
इससे पहले बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने दावा करते हुए कहा था कि झारखंड के संथाल परगना, बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों में अवैध रूप से बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण मुस्लिम आबादी बढ़ रही है, जिस वजह से हिंदुओं के गांव के गांव खाली हो रहे हैं. सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा, ‘जिन्ना के अनुयायी सोहराबर्दी ने 1946 में ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ पर बंगाल में लगभग 30,000 हिंदुओं का नरसंहार किया था. गोपाल पाठा ने हिंदुओं को संगठित किया और नरसंहार को रोकने की कोशिश की. अगर आज बंगाल में गोपाल पाठा जैसे लोग नहीं खड़े होंगे तो हिंदुओं को पश्चिम बंगाल खाली करना पड़ेगा. आज पश्चिम बंगाल में हिंदू अपने अस्तित्व की आखिरी लड़ाई लड़ रहे हैं.