आज हम आपको बताएंगे कि भारत से अब कहां जाने का शेख हसीना विचार रखती है! बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद वहां पर बहुत कुछ बदल गया है। अंतरिम सरकार का गठन हो जाने के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की कमान संभालेंगे। इसी बीच बांग्लादेश के हालात पर भारतीय विदेश मंत्रालय की भी प्रतिक्रिया आ गई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि बांग्लादेश में हर पल हालात बदल रहे हैं। अपने लोगों का ध्यान रखना हर सरकार की जिम्मेदारी होती है। भारत इसे लेकर चिंतित है। हमारी बातचीत वहां की सरकार से भारतीयों की सुरक्षा को लेकर चल रही है। हम आशा करते हैं कि वहां के हालात जल्द ही सुधर जाएं।इसके साथ ही उन्होंने बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के आगे के प्लान को लेकर उठ रहे सवाल पर का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जहां तक शेख हसीना के भारत में ही रहने या कहीं और जाने की बात है तो यह फैसला उनको करना है। हमें उनके प्लान के बारे में अभी नहीं पता है। इसके बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम अल्पसंख्यकों की स्थिति के बारे में भी स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। ऐसी भी रिपोर्टें हैं कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए समूहों और संगठनों द्वारा विभिन्न पहल की गई हैं। मैं संसद में विदेश मंत्री द्वारा कही गई बातों को दोहराना चाहूंगा कि हम इन कदमों का स्वागत करते हैं, लेकिन स्वाभाविक रूप से कानून और व्यवस्था के स्पष्ट रूप से बहाल होने तक हम बहुत चिंतित रहेंगे।
रणधीर जायसवाल ने बताया कि बांग्लादेश में करीब 19,000 भारतीय थे जिनमें से छात्रों की संख्या 9,000 थी। वहां पर प्रदर्शन के उग्र होने पर अधिकांश छात्र भारत लौट आए हैं। छात्रों के अलावा कई भारतीयों ने भी दूतावास से मदद की गुहार लगाई थी। जिनकी मदद की जा रही है। इसी बीच शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने एक बड़ा ऐलान किया है। सजीब वाजेद जॉय न कहा कि बांग्लादेश में लोकतंत्र बहाल होते ही उनकी मां अपने देश लौटेंगी। उन्होंने कहा कि उनके देश में अशांति फैलाने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है।
जॉय ने कहा कि हालांकि 76 वर्षीय हसीना निश्चित रूप से बांग्लादेश लौटेंगी, लेकिन अभी यह तय नहीं है कि वह सेवानिवृत्त नेता के रूप में लौटेंगी या सक्रिय नेता के रूप में। उन्होंने यह भी कहा कि शेख मुजीब (शेख मुजीबुर रहमान) परिवार के सदस्य न तो अपने लोगों को छोड़ेंगे और न ही संकटग्रस्त अवामी लीग को बेसहारा छोड़ेंगे।जॉय ने अपनी मां की सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया तथा भारत से अंतरराष्ट्रीय राय बनाने में मदद करने और बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली के लिए दबाव बनाने की अपील की। इधर भारत अपने अहम पड़ोसी को लेकर वेट एंड वॉच की नीति पर है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में साफ कहा था कि भारत सरकार ने वहां की राजनीतिक ताकतों से हमेशा संघर्ष को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए कहा है। सरकार हालात पर नजर बनाए हुए है। दरअसल, इस वक्त भारत सरकार की प्राथमिकता वहां रह रहे भारतीयों की वापसी को लेकर भी है।
इस बीच जेल से रिहा हुईं बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया ने ढाका में अपनी पार्टी की एक विशाल रैली को संबोधित किया। 79 साल की जिया को 2018 में भ्रष्टाचार के आरोप में 17 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने तीसरे देश में शरण मांगने वाले सवाल पर बुधवार को कहा, ‘ये सभी अफवाहें हैं। उन्होंने अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया है। वह कुछ और समय के लिए दिल्ली में ही रहेंगी। मेरी बहन उनके साथ हैं।’ क्या उनकी राजनीति में आने की कोई योजना है? इस सवाल पर जॉय ने कहा, ‘ऐसी योजना नहीं है। यह तीसरी बार है जब परिवार के खिलाफ तख्तापलट किया गया है।’
बांग्लादेश की मीडिया के मुताबिक, वहां सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और BNP के सेक्रेटरी जनरल एक एम महबूब की ओर से कहा गया कि भारत को शेख हसीना और उनकी बहन रेहाना को वापस बांग्लादेश भेज देना चाहिए। ऐसे में हसीना की भारत में मौजूदगी भारतीय डिप्लोमेसी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होने वाली हैं। बांग्लादेश में वैसे भी पहले से एंटी इंडिया भावना बीते कुछ समय से उभार पर रही है। ऐसे में भारत नहीं चाहेगा कि वहां इस तरह की भावना को और जगह मिले। वह भी तब जबकि वहां नई सरकार के गठन के लिए चहल-पहल शुरू हो गई है।