आज हम आपको बताएंगे कि संसद में वक्फ संशोधन बिल के लिए आखिर क्या हो रहा है! लोकसभा ने वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति, जेपीसी के पास भेज दिया है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद के इस निचले सदन में गुरुवार को विधेयक पेश किया। उससे पहले विधेयक पर एक संक्षिप्त चर्चा हुई जिसमें पक्ष-विपक्ष के सांसदों ने हिस्सा लिया। फिर विपक्ष के उठाए सवालों का मंत्री रिजिजू ने जवाब दिया। आखिर में उन्होंने कहा कि अगर सदस्य विधेयक को विचार के लिए जेपीसी के पास भेजा जाए तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। उसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों को आश्वासन दिया कि विधेयक पर विचार के लिए जेपीसी का गठन किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में यह मामला थोड़ा हटकर है जब सरकार किसी विधेयक को इतनी आसानी से जेपीसी के पास भेजने पर सहमत हो गई। तो सवाल उठता है कि क्या इसके पीछे मोदी सरकार की कोई सोची-समझी रणनीति है? वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लोकसभा में तो पेश कर दिया गया, लेकिन राज्यसभा में इसे अगले सत्र में पेश किया जाएगा। संसद का शीतकालीन सत्र नवंबर-दिसंबर महीने में आहूत होगा। तब तक राज्यसभा का समीकरण सत्ताधारी दल बीजेपी के पक्ष में आ जाएगा। जिससे राज्यसभा में कांग्रेस सांसदों की संख्या बढ़कर 27 हो जाएगी। राज्यसभा में विपक्ष का नेता पद हासिल करने के लिए कम-से-कम 25 सदस्यों की दरकार होती है। अभी 26 सदस्यों के साथ राज्यसभा में कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खरगे विपक्ष के नेता पद पर आसीन हैं।3 सितंबर को राज्यसभा की 12 सीटों पर होने वाले चुनावों में सत्ताधारी एनडीए के सदस्य चुने जाने की उम्मीद है। अगले सत्र से पहले अगर राज्यसभा के चार नामित सदस्यों की खाली सीटों को भर दिया गया तो सदन में सरकार का हाथ और मजबूत हो जाएगा। पिछले महीने ही ये चारों सीटें खाली हुई हैं। ये चार सदस्य आ गए तो सरकार को राज्यसभा में बहुमत पाने के लिए एआईएडीएमके जैसे बाहरी सहयोगियों की राह नहीं तकनी होगी।
राज्यसभा में अभी छह नामित और दो निर्दलीय सदस्य हैं। इन्हें मिलाकर एनडीए के खेमे में राज्यसभा के कुल 117 सदस्य हैं जबकि 237 सदस्यों के सदन में बहुमत का आकंड़ा 119 का होता है। इस लिहाज से एनडीए को सिर्फ दो सदस्यों की दरकार है। अभी राज्यसभा की आठ सीटें खाली हैं जिन पर चुनाव होने वाले हैं। इनमें जम्मू-कश्मीर की चार और चार नामित सदस्यों की सीटें हैं। सरकार ने चार सदस्य नामित कर दिए तो सदन की स्ट्रेंग्थ बढ़कर 241 हो जाएगी, तब बहुमत का आंकड़ा 121 हो जाएगा। चूंकि चारों नामित सदस्य एनडीए के होंगे, इसलिए उसके खेमे में 117+4 यानी कुल 121 का आंकड़ा आ जाएगा। यानी पूर्ण बहुमत।
राज्यसभा में अकेले बीजेपी के 87 सदस्य हैं। उम्मीद के मुताबिक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, त्रिपुरा, असम, महाराष्ट्र और बिहार में बीजेपी कैंडिडेट जीते तो यह पार्टी के राज्यसभा सदस्यों की संख्या बढ़कर 94 हो जाएगी। बिहार और महाराष्ट्र में बीजेपी के गठबंधन साथियों के जीतने की उम्मीद है। 3 सितंबर के चुनावों में कांग्रेस की सीटें भी बढ़ेंगी। उसे तेलंगाना से एक सीट मिल सकती है जिससे राज्यसभा में कांग्रेस सांसदों की संख्या बढ़कर 27 हो जाएगी। राज्यसभा में विपक्ष का नेता पद हासिल करने के लिए कम-से-कम 25 सदस्यों की दरकार होती है। अभी 26 सदस्यों के साथ राज्यसभा में कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खरगे विपक्ष के नेता पद पर आसीन हैं।
3 सितंबर को जिन 12 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं, वो सात राज्यों में बीजेपी, कांग्रेस और आरजेडी के राज्यसभा सांसदों के लोकसभा चुनावों में जीतने के बाद खाली हुए हैं। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में यह मामला थोड़ा हटकर है जब सरकार किसी विधेयक को इतनी आसानी से जेपीसी के पास भेजने पर सहमत हो गई। तो सवाल उठता है कि क्या इसके पीछे मोदी सरकार की कोई सोची-समझी रणनीति है? वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 को लोकसभा में तो पेश कर दिया गया, लेकिन राज्यसभा में इसे अगले सत्र में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में अभी छह नामित और दो निर्दलीय सदस्य हैं। इन्हें मिलाकर एनडीए के खेमे में राज्यसभा के कुल 117 सदस्य हैं जबकि 237 सदस्यों के सदन में बहुमत का आकंड़ा 119 का होता है। इस लिहाज से एनडीए को सिर्फ दो सदस्यों की दरकार है।वहीं, तेलंगाना और ओडिशा से भी एक-एक राज्यसभा सांसद ने राज्यसभा की सदस्यता छोड़कर पार्टी बदल ली है। तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के सदस्य के केशव राव ने कांग्रेस जबकि बीजेडी मेंबर ममता मोहंता ने बीजेपी जॉइन की है।