क्या आने वाले चुनाव तय करेंगे बीजेपी का राज ?

0
104

आने वाले चुनाव ही अब तय करेंगे कि भाजपा देश में राज करेगी या नहीं! इस साल चार राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं- हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर। जहां हरियाणा में BJP की सरकार है, वहीं महाराष्ट्र में BJP गठबंधन की। झारखंड में BJP वापसी की कोशिश में है तो जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव में BJP ने इस बार 400 पार का नारा जरूर दिया था, लेकिन वह अपने दम पर बहुमत के आंकड़े के करीब भी नहीं पहुंच पाई। लोकसभा चुनाव के बाद होने वाले इन पहले विधानसभा चुनावों में BJP का प्रदर्शन कैसा रहता है, इस पर काफी हद तक निर्भर करेगा कि BJP की आगे की दिशा क्या होगी। हरियाणा में दो बार से लगातार BJP सत्ता में है। 2014 में जब पार्टी यहां सत्ता में आई तो मनोहर लाल खट्टर को सीएम बनाया। फिर 2019 का विधानसभा चुनाव खट्टर के नेतृत्व में ही लड़ा और JJP के साथ मिलकर सरकार बनाई। उसके बाद चुनाव से कुछ ही पहले नायब सिंह सैनी को सीएम बनाकर खट्टर को केंद्र में भेज दिया गया। BJP के पास प्रदेश में कोई बड़ा चेहरा नहीं है। ऐसे में इस बात की संभावना कम ही दिखती है कि वह किसी को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर आगे बढ़ेगी।

BJP के लिए हरियाणा इसलिए अहम है क्योंकि बड़ी संख्या में किसान तो यहां हैं ही, भारी तादाद में यहां के युवा भी फौज में जाते हैं। नए कृषि कानून (जिन्हें बाद में वापस ले लिया गया) को लेकर किसानों की नाराजगी की चर्चाएं अभी भी होती हैं। साथ ही सेना में भर्ती की नई स्कीम अग्निपथ को लेकर विपक्ष का रुख आक्रामक है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी लोकसभा चुनाव के वक्त से इस मसले को उठा रहे हैं कि यह स्कीम युवाओं के खिलाफ है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करगिल विजय दिवस पर जिस तरह इस स्कीम के पक्ष में बात की और विपक्ष को घेरा, उससे यह संदेश साफ है कि इस स्कीम में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होने वाला। ऐसे में विधानसभा चुनाव में इसका क्या असर होगा, यह देखना होगा। 2019 लोकसभा चुनाव में BJP ने राज्य की सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार BJP के खाते में 5 सीटें ही आई हैं। वोट शेयर देखें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP को 58% वोट मिले थे जबकि इस लोकसभा चुनाव में उसे 46.06% मिले। कांग्रेस का वोट शेयर जहां 2019 में 28.42% था वहीं इस बार 43.73% हो गया। लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस मजबूत बनकर उभरी और BJP के लिए विधानसभा चुनाव की सबसे बड़ी चुनौती यही है।

महाराष्ट्र में BJP गठबंधन की सरकार है। लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। BJP राज्य की सिर्फ 9 सीटों पर लोकसभा चुनाव में जीती जबकि उसने 28 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। 2019 विधानसभा चुनाव में BJP ने राज्य की 106 सीटों पर जीत दर्ज की थी। राज्य में कुल 288 विधानसभा सीटें हैं। यहां मराठा आरक्षण एक बड़ा इशू है जो BJP के लिए मुसीबत बन सकता है। लोकसभा चुनाव में भी BJP को मराठवाड़ा क्षेत्र में सफलता नहीं मिली। वहां की 8 सीटों में से उसने चार सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई।

झारखंड में BJP के सामने सबसे बड़ी चुनौती जनजातीय आबादी को साथ लाने की है। उसके पास आदिवासी नेता तो हैं लेकिन हेमंत सोरेन के मुकाबले का चेहरा नहीं है। राज्य सरकार के खिलाफ भले ही एंटी इनकंबेंसी है लेकिन जेल जाने के बाद हेमंत सोरेन के पक्ष में सहानुभूति भी है। लोकसभा चुनाव में BJP जनजाति आरक्षित पांच सीटों में से एक भी सीट नहीं जीत पाई। झारखंड में 81 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 28 सीटें अनुसूचित जनजाति के प्रत्याशियों के लिए आरक्षित हैं। वहीं अगर जम्मू-कश्मीर को देखें तो यह चुनाव BJP के लिए साख का सवाल भी होगा। आर्टिकल 370 हटने के बाद का यह पहला विधानसभा चुनाव होगा और इसके नतीजे बताएंगे कि असल में लोगों ने BJP के इस कदम को किस तरह लिया है।

परिसीमन के बाद जम्मू रीजन में विधानसभा सीटों की संख्या 37 से बढ़कर 43 तो कश्मीर में 46 से बढ़कर 47 हो गई। 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हैं। यह माना जा रहा है कि BJP जम्मू रीजन की सभी 43 सीटों पर या ज्यादातर सीटों पर अकेले लड़ने की तैयारी कर रही है लेकिन कश्मीर की 47 सीटों में से काफी सीटों पर BJP छोटे दलों या फिर निर्दलीयों को समर्थन दे सकती है। पिछले कुछ समय में जिस तरह से जम्मू रीजन में आतंकी हमले बढ़े हैं, उससे भी BJP के इस नैरेटिव को झटका लगा है कि आर्टिकल 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति आ गई है।