हाल ही में विदेशी मीडिया ने पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे पर एक बयान दे दिया है! पीएम नरेद्र मोदी ने शुक्रवार को यूक्रेन की राजधानी कीव का ऐतिहासिक दौरा किया। इस दौरान उन्होंने यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया। यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब युद्ध अपने ढाई साल पूरे करने वाला है।पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ मरियिंस्की पैलेस में द्विपक्षीय वार्ता की। इसके बाद उन्होंने रूस और यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों को बिना समय गंवाए बातचीत शुरू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को एक साथ बैठना चाहिए और इस संकट से बाहर आने के रास्ते तलाशने चाहिए। पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे पर अमेरिका, चीन समेत पूरी दुनिया की मीडिया की नजर थी। पीएम मोदी ने ऐसा कूटनीतिक दांव चला है, जिसकी दुनिया तारीफ कर रही है। बता दें कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस मुलाकात को ‘भारतीय नेता ने कूटनीति को आगे बढ़ाते हुए कीव का दौरा किया’ हेडलाइन से प्रकाशित किया। इसमें बताया गया कि मोदी और जेलेंस्की ने रूसी तेल खरीद पर चर्चा की। व्हाइट हाउस ने मोदी की कीव यात्रा का स्वागत किया। बीबीसी ने पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा को ‘कूटनीतिक चुनौती’ बताया है। दौरे को जेलेंस्की और पश्चिमी नेताओं को मनाने की कोशिश के रूप में देखा। हालांकि, बीबीसी ने कहा कि यह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘दशकों से भारत का गुटनिरपेक्षता का रुख उसके लिए फायदेमंद रहा है।’
वॉशिंगटन पोस्ट ने पीएम मोदी के यूक्रेन में शांति लाने के प्रस्ताव को प्रमुखता से प्रकाशित किया। इस यात्रा को एक तटस्थ राष्ट्र की ओर से सबसे महत्वपूर्ण बताया गया। साथ ही, एक यूक्रेनी विश्लेषक ने इसे भारत, यूक्रेन और यूरोप के बीच एक जटिल बातचीत की शुरुआत बताया। यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने भारत से ‘न्यायसंगत शांति’ के लिए समर्थन मांगा है। भारत और रूस के बीच गहरे आर्थिक रिश्तों को देखते हुए यह एक चुनौतीपूर्ण अनुरोध है।
इसी बीच मॉस्को टाइम्स ने सवाल उठाए हैं। अखबार का कहना है कि एक तरफ पीएम मोदी यूक्रेन के साथ दिख रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ भारत, रूस के साथ व्यापार भी कर रहा है। जबकि पश्चिमी देश रूस पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। अखबार ने मोदी की हालिया रूस यात्रा का भी जिक्र किया।
पीएम मोदी ने कहा जेलेंस्की से कहा, ‘पिछले दिनों जब मैं एक बैठक के लिए रूस गया तो मैंने वहां भी साफ-साफ शब्दों में कहा कि किसी भी समस्या का समाधान कभी भी रणभूमि में नहीं होता। समाधान केवल बातचीत, संवाद और कूटनीति के माध्यम से होता है और हमें बिना समय बर्बाद किए उस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। दोनों पक्षों को एक साथ बैठना चाहिए और इस संकट से बाहर आने के रास्ते तलाशने चाहिए।’ यही नहीं उन्होंने आगे कहा, ‘जब आज हम रूबरू मिल रहे हैं, तब मैं यूक्रेन की धरती पर आज बच्चों की शहादत की उस जगह को देखकर आया और मेरा मन भरा हुआ है। मैं आज आप से शांति की ओर आगे बढ़ने के मार्ग पर विशेष रूप से चर्चा करना चाहूंगा। मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं कि भारत शांति के हर प्रयास में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
बता दें कि पीएम मोदी का ये दौरा कूटनीति के लिहाज से मिला जुला रहा। अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार अमिताभ सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अपनी ओर से बेहद साफ शब्दों में रूस से तेल लेने को लेकर अपनी बात कही। हालांकि भारतीय पक्ष की ओर से राष्ट्रपति को रूसी तेल आयात को लेकर समझाया भी गया। विदेश मंत्री जयशंकर ने साफ किया कि ये मार्केट से जुड़ी नीति है ना कि राजनीतिक। अगर मैं व्यक्तिगत रूप से इसमें योगदान दे सकता हूं, तो मैं ऐसा जरूर करना चाहूंगा। एक मित्र के रूप में, मैं आपको इसका विश्वास दिलाता हूं।’ दूसरी बात ये कि जेलेंस्की ने भारत से साफ कहा कि उन्हें इस संघर्ष को यूक्रेन के नजरिए से भी देखने की कोशिश करनी चाहिए। इसके अलावा पीएम की यात्रा ऐसे वक्त पर हुई है, जब जेलेंस्की कुछ ही घंटों पहले कुर्स्क का निरीक्षण करके आए थे। जिस समय पीएम मोदी कीव में थे, तो चीनी प्रधानमंत्री मॉस्को में थे। ऐसे में जियो पॉलिटिकल स्तर पर भारतीय डिप्लोमेसी की मुश्किलें बहुत ज्यादा आसान नहीं हुई हैं, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में परसेप्शन बहुत अहम भूमिका निभाता है।