यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ शोषण होता है या नहीं! मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ होने वाले यौन शोषण और उत्पीड़न की घटनाओं की जांच करने वाली ‘जस्टिस हेमा कमेटी’ की रिपोर्ट ने इस उद्योग का कड़वा सच सामने ला दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे दशकों से महिला कलाकारों को काम के बदले यौन शोषण, धमकियां और भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर डाला गया है कि इंडस्ट्री में कुछ ताकतवर लोग ‘माफिया’ की तरह काम करते हैं और विरोध करने वाली महिलाओं को बैन तक कर देते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, मलयालम फिल्म उद्योग में काम की तलाश में आने वाली महिलाओं को अक्सर समझौता और एडजस्टमेंट जैसे शब्दों से रूबरू कराया जाता है। ये शब्द दरअसल काम के बदले यौन संबंध बनाने का दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। रिपोर्ट में कई महिलाओं ने बताया कि कैसे इंडस्ट्री में एंट्री के साथ ही उन्हें इस बात का एहसास करा दिया जाता है कि उन्हें काम पाने के लिए ‘कुछ न कुछ’ देना ही होगा। उन्हें यह भी बताया जाता है कि इंडस्ट्री की सभी बड़ी अभिनेत्रियां आज इस मुकाम पर इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने ऐसे ‘समझौते’ किए हैं।
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस बात के कई प्रमाण मिले हैं कि इंडस्ट्री में यह धारणा फैलाई गई है कि जो महिलाएं फिल्मों में काम करना चाहती हैं, वो सिर्फ पैसा और शोहरत चाहती हैं और इसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहती हैं। कई महिलाओं ने गवाही दी कि अगर वे इन मांगों को मानने से इनकार करती हैं तो उन्हें पूरी इंडस्ट्री का सामना करना पड़ता है। उन्हें काम मिलना बंद हो जाता है, उन्हें धमकियां मिलती हैं और उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार किया जाता है। रिपोर्ट में होटलों में आधी रात को दरवाजे खटखटाने जैसी घटनाओं का भी जिक्र है, जो आउटडोर शूटिंग के दौरान होती हैं। कई महिलाओं ने बताया कि शराब के नशे में धुत लोग रात में उनके दरवाजे पर दस्तक देते हैं और अंदर घुसने की कोशिश करते हैं। रिपोर्ट में इस बात पर भी चिंता जताई गई है कि फैन क्लब अक्सर महिलाओं को धमकाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। जो महिलाएं किसी स्टार या इंडस्ट्री के किसी पसंदीदा व्यक्ति के खिलाफ आवाज उठाती हैं, उनके खिलाफ फैन क्लब सोशल मीडिया पर भद्दे कमेंट्स करते हैं, उनकी फोटो और वीडियो से छेड़छाड़ कर अपलोड करते हैं और उनके बारे में झूठी अफवाहें फैलाते हैं।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि लगभग 10 से 15 लोग, जो सभी पुरुष हैं और बेहद अमीर और ताकतवर हैं, मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को कंट्रोल करते हैं। यह समूह किसी को भी इंडस्ट्री में काम करने से रोक सकता है। उनके बैन के बाद उस व्यक्ति के लिए इंडस्ट्री के सभी दरवाजे बंद हो जाते हैं। कई गवाहों ने कमेटी को बताया कि कुछ बड़े स्टार्स को भी सिर्फ इसलिए नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि उन्होंने इस समूह के किसी सदस्य को ‘नाराज’ कररिपोर्ट में जूनियर आर्टिस्ट के साथ होने वाले बुरे बर्ताव का भी जिक्र है। उन्हें अक्सर शौचालय तक जाने की अनुमति नहीं दी जाती, उन्हें समय पर पैसे नहीं दिए जाते और खाने-पीने की चीजों से भी वंचित रखा जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कम तनख्वाह और खराब काम करने की परिस्थितियों के कारण महिला जूनियर आर्टिस्ट यौन शोषण का सबसे ज्यादा शिकार होती हैं। दिया था।
रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि 2000 तक मलयालम सिनेमा में निर्माता और कलाकार या निर्देशक के बीच कोई लिखित अनुबंध नहीं होता था। इसका फायदा उठाकर कई बार अभिनेत्रियों के साथ धोखा किया जाता था। उन्हें ऐसी अंतरंग दृश्यों की शूटिंग के लिए मजबूर किया जाता था, जिसके लिए वे तैयार नहीं थीं। इंडस्ट्री में एंट्री के साथ ही उन्हें इस बात का एहसास करा दिया जाता है कि उन्हें काम पाने के लिए ‘कुछ न कुछ’ देना ही होगा। उन्हें यह भी बताया जाता है कि इंडस्ट्री की सभी बड़ी अभिनेत्रियां आज इस मुकाम पर इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने ऐसे ‘समझौते’ किए हैं।यह रिपोर्ट मलयालम फिल्म उद्योग में व्याप्त शोषण और उत्पीड़न की संस्कृति को उजागर करती है। रिपोर्ट में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाने और इंडस्ट्री में पारदर्शिता लाने की मांग की गई है।