यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या जम्मू कश्मीर के मुसलमान बीजेपी पर भरोसा करेंगे या नहीं! जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को बीजेपी की पहली लिस्ट आई। पार्टी ने पहले 44 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की, लेकिन कुछ ही देर में इसे वापस ले लिया गया। बाद में पार्टी की तरफ से 15 उम्मीदवारों की नई संशोधित लिस्ट जारी की गई। इस नई लिस्ट में सभी 15 उम्मीदवार पहले जारी की गई लिस्ट वाले ही हैं। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने सोमवार को कैंडिडेट की दोबारा लिस्ट जारी की है। इनमें पहले फेज के 15 प्रत्याशियों का नाम है। इसमें कोई बदलाव नहीं है। इससे पहले पार्टी ने सुबह 10 बजे 44 नामों की लिस्ट जारी की थी, जिसे 1 घंटे में ही वापस ले लिया था। करीब 11 बजे पार्टी ने सोशल मीडिया हैंडल X से अपनी लिस्ट डिलीट कर दी। हटाई गई लिस्ट में 3 चर्चित चेहरे दो पूर्व डिप्टी CM निर्मल सिंह, कविंद्र गुप्ता और जम्मू-कश्मीर के पार्टी अध्यक्ष रविंद्र रैना का नाम नहीं था। दरअसल, जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई, जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी की टॉप लीडरशिप ने शिरकत की। इस दौरान जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों में बहुमत हासिल करने की रणनीति पर चर्चा हुई। माना जा रहा है कि भाजपा यह चुनाव मुस्लिम प्रत्याशियों और मुस्लिम वोटरों के भरोसे जीतने की योजना भी बनाई है। अभी जारी 15 प्रत्याशियों की लिस्ट में कम से कम 8 मुस्लिम हैं। आइए-एक्सपर्ट से समझते हैं क्या है भाजपा का चुनावी गणित।
भाजपा की सूची में आठ मुस्लिम और सात हिंदू प्रत्याशी हैं, जिनमें से एक सीट पर महिला प्रत्याशी को उतारा गया है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 24 सीटों पर मतदान होगा। भाजपा ने अभी 15 सीटों के ही नाम जारी किए हैं। फिलहाल, पहले चरण की नौ सीटों के प्रत्याशियों का ऐलान होना अभी बाकी हैं। जम्मू कश्मीर में पहले चरण की वोटिंग 18 सितंबर को होनी है।
भारतीय जनता पार्टी ने किश्तवाड़ सीट से BJP के दिग्गज नेताओं में से एक अनिल परिहार की भतीजी शगुन परिहार को मैदान में उतारा है। शगुन परिहार अजित परिहार की बेटी हैं। भाजपा ने किश्तवाड़, डोडा और भद्रवाह जिले में अनिल परिहार का दबदबा देखते हुए शगुन परिहार को मैदान में उतारा है। हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने 1 नवंबर 2018 को किश्तवाड़ में हिंदुओं की दबंग आवाज रहे भाजपा नेता अनिल परिहार और उनके भाई अजित परिहार की हत्या कर दी थी। अनिल परिहार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सक्रिय सदस्य थे। साल 2008 में अनिल परिहार को पैंथर्स पार्टी से टिकट मिला था, लेकिन वे हार गए थे। इसके बा वह भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने अपने इलाके में भाजपा को मजबूत करने में सहयोग दिया।
आखिरी बार 2014 में जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव हुए थे। तब BJP और PDP ने गठबंधन सरकार बनाई थी। 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन (उस समय जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुसार) रहा। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। राष्ट्रपति शासन के बीच ही 2019 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें BJP भारी बहुमत के साथ केंद्र में लौटी। इसके बाद 5 अगस्त 2019 को BJP सरकार ने अनुच्छेद 370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। इस तरह जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में भाजपा ने अकेले दम पर ताल ठोंकने का फैसला किया है। कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस से हाथ मिला लिया है। इस बार इंडिया गठबंधन ज्यादा मजबूत स्थिति में होगी। ऐसे में भाजपा को इंडिया गठबंधन से लड़ने के लिए कुछ अलग ही दांव चलना पड़ेगा। संभव हो कि वह लोकसभा चुनाव, 2024 में आजमाई गई सफल रणनीति को विधानसभा चुनाव में भी दोहराए।
भाजपा ने 2024 के आम चुनाव में जम्मू रीजन की जम्मू और उधमपुर सीट पर उम्मीदवार उतारे थे जबकि श्रीनगर, बारमूला और अनंतनाग सीट पर चुनाव नहीं लड़ी थी। बीजेपी के इस दांव से बारामूला में एनसी नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती जैसी दिग्गज नेता चुनाव हार गई थीं। निर्दलीय शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद सांसद बनने में सफल रहे। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी कश्मीर रीजन के मुस्लिम बहुल कई सीटों पर खुद चुनाव मैदान में उतरने के बजाय निर्दलीय कैंडिडेट को समर्थन करने का प्लान बनाया है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजीव रंजन गिरि कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में बीजेपी को सत्ता हासिल करने के लिए कुल 90 में से 46 सीटें में जीतनी होंगी। वह अपना पूरा दम जम्मू क्षेत्र की 43 में से 35 से 37 सीटें जीतने पर लगा रही है। 2014 में जम्मू रीजन में बीजेपी ने सभी दलों का सफाया कर दिया था। उस वक्त भाजपा पीडीपी के बाद विधानसभा सीटें जीतने वाली दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। ऐसे में इस बार भी भाजपा की जम्मू क्षेत्र की 43 सीटों के लिए पूरे दम के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में है। वहीं, कश्मीर क्षेत्र में 10 से 12 सीटें जीतने की योजना है।