जम्मू में कैसे बढ़ जाती है आतंकी घटनाएं?

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यह सवाल उठना लाजिमी है कि जम्मू में आतंकी घटनाएं कैसे बढ़ जाती है! आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जम्मू कश्मीर भारत का ताज कहा जाता है, जम्मू में वर्तमान में आतंकी घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है… लगातार जवान शहीद होते जा रहे हैं, लोगों के बीच डर का माहौल फैल चुका है… लेकिन सवाल यह कि अचानक से जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाएं कैसे बढ़ने लगी? इनका कारण क्या है? तो आज हम आपको इसी बारे में जानकारी देने वाले हैं! 

आपको बता दें कि बीते कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की हलचल बढ़ गई है। आतंकियों के सफाए के लिए सुरक्षाबलों का सर्च ऑपरेशन जारी है। राजौरी के जंगलों से लेकर कुपवाड़ा तक चप्पे चप्पे पर सुरक्षाबलों की कॉंबिंग चल रही है। इस दौरान आतंकियों से संपर्क भी हो रहा है। इस बीच आतंकियों ने बरसों पुराने रूट हिल काका से भी घुसपैठ की कोशिश की है। इस रूट पर भी सुरक्षाबल अलर्ट है। लेकिन जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से आतंक बढ़ क्यों गया है? आतंक के पीछे पाकिस्तान की प्लानिंग क्या है? तो आपको बता दें कि दूसरी ओर अब पंजाब के रास्ते आतंकियों के दाखिल होने का शक भी हो रहा है। कहा जा रहा है कि पंजाब के पठानकोट के फंगतोली गांव में 7 संदिग्ध देखे गए। पठानकोट में संदिग्धों की सूचना मिलने पर पुलिस ने स्केच जारी किया है। संदिग्धों की तलाश की जा रही है। पठानकोट से पुंछ तक चप्पे-चप्पे पर आतंकियों की तलाश की जा रही है।  पहले कठुआ फिर राजौरी और अब कुपवाड़ा में आतंकियों की मौजूदगी ने ये साफ कर दिया है कि पाकिस्तान एक बड़ी साज़िश के तहत घुसपैठ करवा रहा है। वो चुनाव से पहले घाटी का माहौल खराब करने पर आमादा है। इसलिये वो आतंकियों की घुसपैठ करवाने के लिए नए नए इलाके खोल रहा है।  LOC से सटे इलाके हिल काका को पाकिस्तान ने घुसपैठ का नया ठिकाना बना लिया है। लश्कर और हिजबुल के ट्रेंड आतंकी इसी रास्ते से भारत में दाखिल कराए जा रहे हैं। साल 2003 तक ये आतंकियों के लिए जन्नत था लेकिन सुरक्षाबलों ने उनका ये रास्ता तब बंद कर दिया था।  अब आतंकी फिर से इन रास्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं। सुरक्षाबलों ने यहां से एंटर करने वाले आतंकियों के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन शुरू कर दिया है। कुपवाड़ा से राजौरी तक सर्च ऑपरेशन जारी है। आतंकी घने जंगलों की पनाह लेकर सुरक्षाबलों को निशाना बना रहे हैं।

बता दे कि इन आतंकियों की ट्रेनिंग पाकिस्तान में हुई है। पूरी इंटेलिजेंस है कि पाकिस्तान के मंसूबे जम्मू-कश्मीर को सुलगाने के हैं। लेकिन इस साज़िश को कुचलने के लिए इस बार सुरक्षाबलों के साथ साथ स्थानीय नागिरक भी खड़े हैं। सुरक्षाबलों को आतंकियों के ठिकाने का पता लग चुका है। वो जानते हैं कि इस बार आतंकी कौन सी चाल चल रहे हैं। जम्मू-कश्मीर की गुफाओं में कितने आतंकवादी हैं, इसकी भी कोई सटीक जानकारी नहीं है। सेना का अनुमान है कि गुफाओं में 50 से 55 आतंकवादी हो सकते है। लेकिन इनकी संख्या ज्यादा भी हो सकती है, 100,150,200 या 250 भी हो सकती है। अभी तो पाकिस्तान की तरफ से और भी आतंकवादियों की घुसपैठ की जा रही है। सेना इस ऑपरेशन में पहले ही अपने 10 जवानों को खो चुकी है। इसीलिए सेना सटीक ऑपरेशन चला रही है। इन आतंकवादियों की मदद करने वाले कुछ ओवरग्राउंड वर्कर्स को सेना ने पकड़ा है और उनसे पूछताछ में बड़ी जानकारियां मिली हैं। यानी सीधी सी बात यह है कि भारतीय सेना अब धीरे-धीरे आतंकियों का सफाया कर रही है… लेकिन अब एक सख्त कदम उठाने की बहुत आवश्यकता है!

बता दे कि एक ‘नजीर’ बन गया था कि अगर रुबैया सईद को छुड़ाने के लिए आतंकी छोड़े जा सकते हैं तो विमान यात्रियों के लिए क्यों नहीं। अब्दुल्ला ने ये भी कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह के सामने ‘आतंकवादियों के साथ कोई समझौता नहीं’ का विकल्प था, लेकिन सरकार ने सौदेबाजी का रास्ता चुना। उन्होंने कहा कि एक बार आप ऐसा कर देते हैं तो आपको इसे दोबारा करना होगा। संयोग से रुबैया सईद अपहरण और कंधार विमान अपहरण कांड, दोनों के वक्त उमर अब्दुल्ला के पिता फारूक अब्दुल्ला ही जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। 1989 में रुबैया सईद के अपहरण ने 1999 में इंडियन एयरलाइन्स के अपहरण के समय एक ‘मानक’ स्थापित कर दिया था। रुबैया के पिता मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद उस समय केंद्र सरकार में गृह मंत्री थे। राज्य में फारूक अब्दुल्ला की अगुआई में सरकार थी। रुबैया सईद की रिहाई के लिए सरकार ने 5 खूंखार आतंकवादियों को छोड़ दिया था।