क्या चीन के कर्ज में फंस चुका है मालदीव?

0
77

वर्तमान में मालदीव चीन के कर्ज में पूरी तरह फंस चुका है! भारत का एक और पड़ोसी अब कर्ज के जाल में फंसता जा रहा है। मालदीव पर लगातार कर्ज बढ़ता जा रहा है। सबसे खास बात यह कि इस कर्ज का बड़ा हिस्सा चीन ने दिया है। चीन कंपनियों ने पूरे दक्षिण एशिया में पुल, बंदरगाह और हवाई जहाज जैसे प्रमुख इन्फ्रास्ट्रक्चर को बनाया है। पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश सहित भारत के अन्य पड़ोसी देशों को भी बड़े पैमाने पर चीन का कर्ज लौटाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। चीन की ओर से कर्ज के जाल में फंसाने के लगातार आरोप लगते रहे हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार कहते रहे हैं कि चीन कमजोर देशों को भारी कर्ज दे देता है, यह जानते हुए कि वह उसे नहीं लौटा पाएंगे। उसका लक्ष्य इन देशों की रणनीतिक संपत्तियों पर कब्जा होता है। वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक चीन मालदीव का सबसे बड़ा ऋणदाता बना हुआ है। इसने मालदीव को 1.37 अरब डॉलर का कर्ज दिया हुआ है। 2023 में मालदीव का सार्वजनिक ऋण उसकी जीडीपी का 122.9 फीसदी हो गई, जो लगभग 8 बिलियन डॉलर था। सऊदी अरब और भारत जबकि उसके दूसरे और तीसरे ऋणदाता हैं। मालदीव ने अपनी अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए बांग्लादेश से 200 मिलियन डॉलर के लोन की अपील की है।

मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने नवंबर में पदभार संभाला था। उन्हें अपनी आर्थिक नीतियों को लेकर बढ़ती आलोचना का सामना करना पड़ा है। राजनीतिक विरोधियों का तर्क है कि उनकी नीतियां देश को आर्थिक सुधार की ओर नहीं ले जा पाई हैं। मालदीव रणनीतिक रूप से हिंद महासागर के केंद्र में मौजूद हैं। यहां से हर साल दुनिया का 80 फीसदी व्यापार होता है। मुइज्जू ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत चीन के साथ सहयोग की उम्मीद जताई है। इससे चीन की भागीदारी बढ़ जाएगी। हालांकि मालदीव की आर्थिक स्थिति अनिश्चित बनी हुई है। जून में फिच रेटिंग्स ने मालदीव की रेटिंग घटाकर CCC+ कर दिया।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी चेतावनी जारी की थी। मालदीव के पूर्व मंत्री और केंद्रीय बैंक बोर्ड के सदस्य मोहम्मद मालेह जमाल ने आवश्यक सुधारों में देरी के लिए मुइज्जू प्रशासन को दोषी ठहराया। न्यूजवीक की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘सरकार को बिना किसी देरी के IMF और वर्ल्ड बैंक की सलाह माननी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि अगर चीन कर्जों के पुनर्गठन की योजना के लिए प्रतिबद्ध नहीं है तो मालदीव को अन्य देशों की मदद से इसे पाना चाहिए। बता दें कि जुलाई में मालदीव का शुद्ध विदेशी मुद्रा भंडार 50 मिलियन डॉलर से नीचे चला गया जबकि सकल भंडार 400 मिलियन डॉलर से नीचे गिर गया। यह महीने में 500 मिलियन डॉलर से कम था। मालदीव में इस साल चीन और रूस से पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी के बावजूद आयात पर भारी निर्भरता और डॉलर के मुकाबले रुफिया में गिरावट ने भंडार पर दबाव बनाए रखा है। देश के सबसे बड़े कर्जदाता, बैंक ऑफ मालदीव ने पिछले सप्ताह देश के क्रेडिट और डेबिट कार्ड पर विदेशी मुद्रा के खर्च की सीमा लागू की थी। हालांकि, मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण के निर्देश पर फैसले को उसी दिन पलट दिया गया था।

मालदीव सरकार 3.5 अरब डॉलर के भारी बाहरी कर्ज से जूझ रही है, जिसका बड़ा हिस्सा चीन के बैंकों से लिया हुआ है। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने चुनाव में इंडिया अभियान चलाकर भारत विरोधी भावनाओं को भड़काया था। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने चीन से खूब नजदीकियां बढ़ाई। इसके बावजूद चीन ने कर्ज के पुनर्गठन की माले की मांग को ठुकरा दिया। अब आर्थिक संकट में घिरे मुइज्जू भारत की तरफ देख रहे हैं। उन्होंने चीन के साथ ही भारत से भी बेलआउट के लिए अपील की है।

माले के अनुरोध पर भारत ने कर्ज अदायगी के लिए मालदीव को राहत प्रदान की है। मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने जुलाई में कहा था कि उनकी सरकार डॉलर की कमी को कम करने के लिए मुद्रा विनियम को लेकर भारत और चीन से बात कर रही है। फिच ने कहा है यह मुद्रा विनिमय बाहरी फंडिंग के दबाव को कम कर सकते हैं। मालदीव की आर्थिक स्थिति अनिश्चित बनी हुई है। जून में फिच रेटिंग्स ने मालदीव की रेटिंग घटाकर CCC+ कर दिया।हालांकि, यह अनिश्चित है कि ये साकार होंगे या नहीं। एजेंसी ने कहा कि यह आईएमएफ या अन्य बहुपक्षीय दाताओं से समर्थन संभवतः कर्ज पुनर्गठन पर निर्भर करेगा।