यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या राष्ट्रपति पुतिन अपना परमाणु हथियार टेस्ट करना चाहते हैं या नहीं! रूस की उत्तरी न्यूक्लियर टेस्ट साइट पर सुरंगें तैयार की जा रही हैं। एक जापानी थिंक टैंक ने हाल ही में ली गई सेटेलाइट इमेजरी के आधार पर ये दावा किया है। सैटेलाइट इमेजरी के आधार पर 18 सितंबर, 2024 को टोक्यो विश्वविद्यालय में एडवांस्ड साइंस एंड टेक्नोलॉजी के ओपन लेबोरेटरी फॉर इमर्जेंस स्ट्रैटेजीज (रोल्स) ने अपनी रिपोर्ट में रूस की उत्तरी नोवाया जेमल्या परमाणु परीक्षण स्थल पर महत्वपूर्ण निर्माण गतिविधियों होने की बात कही है। इन तस्वीरों ने संभावित परमाणु परीक्षण और एडवांस वेपन सिस्टम, विशेष रूप से ब्यूरवेस्टनिक न्यूक्लियर-पावर क्रूज मिसाइल तैयार किए जाने के बारे में अटकलें तेज कर दी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, रोल्स ने पहली पाया है कि इन गर्मियों में परमाणु परीक्षण सुरंगों से मिट्टी हटाई जा रही थी। गर्मी के बाद भी यहां अतिरिक्त हलचल देखी गई। इन गतिविधियों ने परमाणु परीक्षण और हथियार विकास के संबंध में रूस के इरादों के बारे में अटकलें लगाई हैं। ये अटकलें इसलिए बढ़ी हैं क्योंकि प्रमुख रूसी वैज्ञानिक मिखाइल कोवलचुक ने कुछ समय पहले नोवाया जेमल्या में परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की वकालत की थी।
सितंबर की सेटेलाइट तस्वीरों से साइट में कुछ जगहों से मिट्टी हटाने का पता चला है, जिससे पता चलता है कि सुरंगों में भूमिगत कार्य चल रहा है। इसके अतिरिक्त तस्वीरों ने बड़े पैमाने पर परिवहन जहाजों और रोसाटॉम विमानों के आगमन के साथ-साथ नोवाया जेमल्या पर बड़े पैमाने पर निर्माण की पुष्टि की। रोल्स थिंक टैंक ने कहा कि यह साफ नहीं है कि ये गतिविधियां रूस के चल रहे परमाणु परीक्षणों से जुड़ी हैं या नहीं लेकिन यह कुछ महत्वपूर्ण तैयारी का इशारा करती है।
इन तस्वीरों ने ब्यूरवेस्टनिक मिसाइल को भी चर्चा में ला दिया है। कई विश्लेषकों का मानना है कि नोवाया जेमल्या पर निर्माण कार्य ब्यूरवेस्टनिक के टेस्ट से जुड़ा है। ये रूसी लॉ-फ्लाइंग, न्यूक्लियर पावर्ड और न्यूक्लियर आर्म्ड क्रूज मिसाइल है। इस मिसाइल को एक मानक रॉकेट इंजन का उपयोग करके लॉन्च किया जाता है, जिसके बाद उड़ान में एक छोटा परमाणु रिएक्टर सक्रिय होता है, जिससे यह महत्वपूर्ण दूरी तय करने में सक्षम होता है। ब्यूरवेस्टनिक को ‘फ्लाइंग चेरनोबिल’ उपनाम दिया है। ब्यूरवेस्टनिक मिसाइल अभी सफल नहीं मानी गई है। इसके कई परीक्षण हुए हैं, जिनमें से अधिकतर के परिणाम सकारात्मक नहीं आए। 2019 में आर्कान्जेस्क के पास एक परीक्षण विफल हुआ था और इसके परिणामस्वरूप कम से कम पांच मौतें हुई थीं, हालांकि रूस ने परीक्षण की विफलता को स्वीकार नहीं किया है।
नोवाया जेमल्या परमाणु परीक्षण स्थल, जो रूसी रक्षा मंत्रालय के नियंत्रण में है। इस साइट का उपयोग अन्य उद्देश्यों के अलावा, परमाणु हथियारों की विश्वसनीयता को सत्यापित करने के लिए किए गए परीक्षणों के लिए किया गया है। नोवाया जेमल्या में पहला परीक्षण 1950 के दशक में आयोजित किया गया था। 1987 में यहां एक हादसा हुआ था, जब माटोत्स्किन सारी सुरंग में एक परीक्षण विस्फोट के बाद शाफ्ट ढह गए और वायुमंडल में एक रेडियोधर्मी बादल फैल गया। नोवाया जेमल्या में रूस का आखिरी परमाणु परीक्षण 1990 में हुआ था।
बता दे कि रूसी समर्थक सैन्य ब्लॉगर यूरी पोडोल्याका ने बताया कि यूक्रेन ने टोरोपेट्स के क्षेत्र में एक गोला-बारूद डिपो पर हमला किया। रूसी राज्य मीडिया ने बताया था कि विस्फोट स्थल पर पारंपरिक हथियारों का एक बड़ा शस्त्रागार था। टवेर के गवर्नर इगोर रुडेन्या ने बताया कि यूक्रेनी ड्रोनों को मार गिराया गया है। हालांकि इस हमले से आग लग गई और कुछ निवासियों को इलाके से निकाला जा रहा है। यूक्रेन की एसबीयू राज्य सुरक्षा सेवा के एक सूत्र ने रॉयटर्स को बताया कि ड्रोन हमले ने मिसाइलों, निर्देशित बमों और तोपखाने गोला-बारूद के भंडारण वाले एक गोदाम को नष्ट कर दिया।
कैलिफोर्निया के मोंटेरे में मिडिलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के जॉर्ज विलियम हर्बर्ट के अनुसार, असत्यापित सोशल मीडिया वीडियो में दिखाए गए मुख्य विस्फोट का आकार 200-240 टन उच्च विस्फोट के अनुरूप था। कई युद्ध ब्लॉगर्स ने सवाल उठाया कि जिस जगह की सुरक्षा बेहद मजबूत है, वहां ड्रोन इतने बड़े विस्फोट कैसे हो सकता है। 2018 की आरआईए स्टेट समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, रूस 1,000 साल पुराने शहर टोरोपेट्स में मिसाइलों, गोला-बारूद और विस्फोटकों के भंडारण के लिए एक शस्त्रागार का निर्माण कर रहा था, जिसकी आबादी सिर्फ 11,000 से अधिक है। तत्कालीन उप रक्षा मंत्री दिमित्री बुल्गाकोव ने 2018 में आरआईए को बताया कि यह सुविधा मिसाइलों और यहां तक कि एक छोटे परमाणु हमले से हथियारों की रक्षा कर सकती है।
यूक्रेन ने पिछले दो वर्षों में अपने घरेलू ड्रोन उत्पादन में वृद्धि की है और रूसी क्षेत्र पर हमले बढ़ा दिए हैं। यूक्रेन के अब तक के सबसे बड़े ड्रोन हमले में सितंबर में रूसी राजधानी को निशाना बनाया गया था। इस हमले में कम से कम एक की मौत हो गई थी और मॉस्को के हवाई अड्डों पर उड़ानें बाधित हो गईं थीं।