यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादी में सच में मांस मिलता है या नहीं! लैब रिपोर्ट में तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी में जानवरों का वसा होने की पुष्टि होने के बाद हिंदू समाज स्तब्ध है। इस बीच मंदिर के एक पूर्व पुजारी ने दिल दहला देनेवाला दावा किया है। पूर्व पुजारी रमना दीक्षितुलु ने कहा कि भगवान वेंकटेश्वर के इस मंदिर में पिछले पांच सालों से घटिया किस्म का घी लड्डू बनाने के लिए आ रहा था। तब उन्होंने अधिकारियों से इसकी शिकायत की थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। तो क्या आंध्र प्रदेश की पिछली सरकार में मंदिर में घटिया घी से लड्डू बनाकर भक्तों की आस्था का मजाक जानबूझकर और लंबे समय से बनाया जा रहा था? तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप में वितरित किए जाने वाले लड्डू को ‘श्रीवारी लड्डू’ भी कहा जाता है। यह 300 से अधिक वर्षों से मंदिर का मुख्य प्रसाद रहा है। तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की नई सरकार बनी तो मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि पिछली वाईएसआरसीपी सरकार लड्डू में मिलावट कर रही थी। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने दावा किया कि शुद्ध घी के स्थान पर पशु वसा का उपयोग किया जा रहा था, जिससे चिंताएं पैदा हुईं। नायडू ने मंगलगिरि में एक एनडीए की बैठक के दौरान कहा, ‘कई शिकायतों के बाद भी अधिकारी प्रसाद की पवित्रता बनाए रखने में विफल रहे।’ उन्होंने आगे कहा, ‘उन्होंने बुरा व्यवहार किया है… भगवान को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद भी अशुद्ध है। न केवल मिलावटी सामग्री का उपयोग किया जाता है, बल्कि उन्होंने घी के बजाय पशु वसा का भी उपयोग किया है।’
वहीं, तिरुमाला मंदिर के पूर्व पुजारी रमना दीक्षितुलु ने शुक्रवार को कहा, ‘प्रसाद बनाने में इस्तेमाल होने वाले गाय के घी में बहुत सारी अशुद्धियां थीं और वह खराब क्वॉलिटी का था। मैंने यह बात कई साल पहले नोटिस की थी। मैंने इसे संबंधित अधिकारियों और ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष के सामने रखा, लेकिन उन्होंने तनिक भी परवाह नहीं की। तब मैंने अकेले संघर्ष किया था, लेकिन अब बातें फैल गई हैं।’ उन्होंने कहा, ‘ध्यान रखा जाना चाहिए कि ऐसे घोर पाप मंदिर में न दोहराए जाएं। यह एक पवित्र मंदिर है जिसमें करोड़ों भक्तों की बड़ी आस्था और भक्ति है।’ उन्होंने कहा कि नए प्रशासन ने सरकारी डेयरियों से शुद्ध घी मंगवाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘नई सरकार ने सत्ता संभाली है और सभी गड़बड़ियों को दूर करने का वादा किया है। वे पहले ही सरकारी डेयरियों से गाय का शुद्ध घी खरीद चुके हैं और अब शुद्ध घी से खाने की सामग्री तैयार कर रहे हैं।’
नायडू सरकार ने घी की लैब टेस्टिंग गुजरात स्थित राष्ट्रीय डेयरी बोर्ड से करवाई और रिपोर्ट में पशु वसा की पुष्टि हुई। घी के नमूने में ‘बीफ टैलो, सुअर की चर्बी और मछली के तेल की मौजूदगी का पता चला है। नमूना 9 जुलाई, 2024 को लिया गया था और रिपोर्ट 16 जुलाई को आई थी। रिपोर्ट में संभावित बाहरी वसा की जानकार दी गई थी, जिनमें सोयाबीन, सूरजमुखी, जैतून, रेपसीड, अलसी, गेहूं के बीज, मक्का के बीज, बिनौला, मछली का तेल, नारियल और ताड़ की गिरी का तेल, ताड़ का तेल, बीफ टैलो और लार्ड शामिल हैं। ध्यान रहे कि टीडीपी से पहले आंध्र प्रदेश में वाएसआर कांग्रेस की सरकार थी और जगनमोहन रेड्डी प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। पूर्व पुजारी के दावे से सवाल खड़ा हो सकता है कि क्या जगनमोहन सरकार ने जानबूझकर हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ का सिलसिला शुरू किया और जब तक सत्ता में रही तब तक करोड़ों हिंदुओं की पवित्रता भंग करती रही?
बता दे कि नायडू सरकार ने सत्ता में वापस आते ही लड्डूओं के पारंपरिक स्वाद को वापस लाने के लिए नंदिनी घी की वापसी सुनिश्चित की।
तिरुपति लड्डूओं के सुरक्षा और स्वच्छता मानकों का मुद्दा 2016 में उठा था। उस वक्त कार्यकर्ता टी नरसिम्हा मूर्ति ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में शिकायत दर्ज कराई थी। उनका आरोप था कि लड्डू बनाने में गंदी आदतों का इस्तेमाल किया जाता है। लड्डूओं में नट, बोल्ट और यहां तक कि पान पराग के कवर जैसी अजीब चीजें मिली थीं। याचिका में अनुरोध किया गया था कि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत लड्डूओं की गुणवत्ता, प्रमाणीकरण और बनाने के तरीकों का परीक्षण किया जाए।