यह सवाल उठना लाजिमी है कि इतनी बड़ी शांति के बाद अब पाकिस्तान क्यों बौखला गया है ! तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान के कश्मीर मुद्दे पर चुप्पी साधने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ बौखलाए हुए हैं। शहबाज शरीफ सरकार की पाकिस्तान में जमकर आलोचना हो रही है और कई राजनयिक सवाल उठा रहे हैं। इस बीच भारत की सैन्य तैयारी और दुनिया में अकेले पड़ते पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की बौखलाहट शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में साफ दिखाई दी। शहबाज शरीफ ने अपने वार्षिक भाषण में कहा कि भारत की मोदी सरकार एलओसी को पार करके पीओके पर कब्जा करना चाहती है। शहबाज ने गीदड़भभकी दी कि अगर भारत ऐसा करता है तो पाकिस्तानी सेना निर्णायक कार्रवाई करेगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत परमाणु हमले के तहत सीमित युद्ध की तैयारी कर रहा है। दरअसल, दोस्त तुर्की के भी किनारा करने के बाद कश्मीर मुद्दे को उठाने के प्रयास में पाकिस्तान अब वैश्विक स्तर पर अलग-थलग पड़ चुका है। इसको लेकर पाकिस्तान के राजनयिक हलके में बहस शुरू हो गई है। पाकिस्तान के अंदर इसे भारत की जीत करार दिया जा रहा है। पाकिस्तान के अखबार डॉन ने पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच के हवाले से कहा, ‘हमें एक बयान कोई अनुचित निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए।’ वहीं पाकिस्तान की पूर्व राजनयिक मलीहा लोदी ने माना कि तुर्की अपनी पुरानी नीति से पलट गया है।
मलीहा लोदी ने एक्स पर लिखा, ‘पिछले 5 साल से उलट राष्ट्रपति एर्दोगान ने अपने महासभा में दिए भाषण में कश्मीर का जिक्र नहीं किया। एर्दोगान ने साल 2019, 2020, 2021 2022 और साल 2023 में कश्मीर का मुद्दा उठाया था।’ मलीहा लोदी संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की पूर्व राजदूत रह चुकी हैं। यही नहीं पाकिस्तान के अमेरिका में राजदूत रह चुके हुसैन हक्कानी ने भी शहबाज सरकार पर निशाना साधा है। माना जा रहा है कि तुर्की को ब्रिक्स की सदस्यता चाहिए और यह बिना भारत की सहमति के संभव नहीं है। इसी वजह से एर्दोगान ने पाकिस्तान को धोखा दे दिया।
एर्दोगान के इस फैसले को भारत और तुर्की के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। इस पूरे घटनाक्रम से बौखलाए शहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र में गीदड़भभकी दे दी। शरीफ ने दावा किया कि भारत एक औचक हमला और परमाणु हमले के तहत सीमित युद्ध की तैयारी कर रहा है ताकि वह पाकिस्तान के कब्जे में मौजूद कश्मीर के हिस्से पर कब्जा कर सके। उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के कहानी की तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए काल्पनिक खतरे की बात कही।
पाकिस्तानी पीएम ने कहा, ‘मैं स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि पाकिस्तान किसी भी भारतीय हमले का सबसे निर्णायक तरीके से जवाब देगा।’ पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध समेत तीन युद्ध की विभीषिका को देखते हुए यह अशुभ संकेत है। शरीफ ने जोर देकर कहा कि ‘भारत ने बिना सोचे-समझे पाकिस्तान के पारस्परिक, रणनीतिक, संयमित शासन के प्रस्तावों को ठुकरा दिया है’ और ‘इसके नेतृत्व ने अक्सर नियंत्रण रेखा पार करने’ और उसके कब्जे वाले क्षेत्रों पर कब्जा करने की धमकी दी है।
शरीफ ने बातचीत शुरू करने के लिए अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर के संबंध में किए गए बदलावों को रद्द करने की शर्त रखी। दूसरी ओर, भारत बातचीत शुरू करने से पहले चाहता है कि पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद को समर्थन देना बंद करे। शरीफ ने कहा, ‘स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए भारत को 5 अगस्त 2019 से उठाए गए एकतरफा और अवैध उपायों को वापस लेना चाहिए तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के अनुसार जम्मू-कश्मीर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत शुरू करनी चाहिए।’
हालांकि, वास्तव में, 21 अप्रैल 1948 को अपनाए गए सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 47 के अनुसार, पाकिस्तान सरकार को सबसे पहले जम्मू-कश्मीर से अपने सभी सैनिकों और घुसपैठियों को वापस बुलाना होगा। उस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि इस्लामाबाद कश्मीर में हमले जारी रखने वाले आतंकवादियों को धन या हथियार नहीं देगा, जिसे पाकिस्तान नजरअंदाज करता है। अब तक बोलने वाले विश्व नेताओं में से किसी ने भी कश्मीर का जिक्र तक नहीं किया है।शरीफ ने दावा किया कि भारत एक औचक हमला और परमाणु हमले के तहत सीमित युद्ध की तैयारी कर रहा है ताकि वह पाकिस्तान के कब्जे में मौजूद कश्मीर के हिस्से पर कब्जा कर सके। खुद को अलग-थलग पड़ते देख शरीफ ने कश्मीर मुद्दे को फिलिस्तीन से जोड़ने की कोशिश की, जिस पर पूरी दुनिया का ध्यान है।