Saturday, December 21, 2024
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क्या अब सबमरीन वाग्शीर बढ़ाएगी भारतीय नौसेना की ताकत?

अब आने वाले समय में सबमरीन वाग्शीर भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने वाली है! भारतीय नौसेना दिसंबर में अपनी छठी और अंतिम कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बी वाग्शीर को कमीशन करने की तैयारी कर रही है। यह सबमरीन मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) में तैयार की गई है। अभी ये अपने फाइनल टेस्टिंग से गुजर रही है। समुद्री सीमा पर अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए भारत अभी फ्रांस के साथ तीन और ऐसी पनडुब्बियों के निर्माण पर चर्चा कर रहा है। भारत लगातार हिंद महासागर में अपनी स्थिति मजबूत करने की कवायद में जुटा है। इसी के मद्देनजर लगातार सबमरीन को कमीशन करने की तैयारी तेजी से आगे बढ़ रही है। भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफे के लिए कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बी ‘वाग्शीर’ को जल्द कमीशन किया जाने की तैयारी चल रही। इस सबमरीन का निर्माण 23562 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट 75 का हिस्सा है। कलवरी-श्रेणी (स्कोर्पीन) डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बियों का निर्माण यार्ड में किया गया है। इसमें फ्रांसीसी फर्म नेवल ग्रुप से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर किया गया है। ये पनडुब्बियां कई तरह के मिशन को पूरा कर सकती हैं। जैसे दुश्मन के जहाजों और पनडुब्बियों को नष्ट करना, लंबी दूरी तक हमले करना, खास अभियान चलाना और खुफिया जानकारी जुटाना।

भारत हिंद महासागर में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) में ऐसी तीन और पनडुब्बियां बनाने के लिए फ्रांस से बात कर रहा है। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती ताकत और नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौतियां मिल रही हैं। 29 अगस्त को, भारत ने विशाखापत्तनम में अपनी दूसरी स्वदेशी परमाणु शक्ति से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी, आईएनएस अरिघात को शामिल किया था।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उस समय कहा था कि यह भारत के परमाणु त्रिकोण को और मजबूत करेगा। परमाणु निवारण को बढ़ाएगा और क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन स्थापित करने में मदद करेगा। अरिघात या एस-3 दूसरी अरिहंत-श्रेणी की पनडुब्बी है और आईएनएस अरिहंत (एस-2) से अधिक एडवांस है। देश की तीसरी परमाणु शक्ति से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी, अरिदमन या एस-4, के भी अगले साल शामिल होने की उम्मीद है। उसके बाद चौथी एसएसबीएन, जिसका नाम एस-4 होगा की तैयारी आगे बढ़ेगी। आखिरी दो अरिहंत-श्रेणी की पनडुब्बियों के बड़े होने और लंबी दूरी की मिसाइलों को लॉन्च करने में सक्षम होने की उम्मीद है।

नौसेना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में देश के विरोधियों को रोकने के लिए दो परमाणु शक्ति से चलने वाली पारंपरिक रूप से सशस्त्र पनडुब्बियां बनाने पर भी विचार कर रही है। इस महीने की शुरुआत में, नौसेना ने विशाखापत्तनम में आईएनएस सतवाहन में विनेत्र नाम की एक पनडुब्बी बचाव प्रशिक्षण सुविधा शुरू की थी। यह सुविधा कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बी के संकट में होने पर क्रू मेंबर्स को तेजी से रिएक्ट के लिए तैयार किया गया है।

यही नहीं भारत की सैन्य क्षमता को और मजबूत बनाने के लिए खास प्लानिंग की जा रही। इसके तहत DRDO हाइपरसोनिक मिसाइलें विकसित कर रही है। भारतीय सेना अब अपने बेड़े में लंबी दूरी की क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल करने जा रही। इनमें 2000 किमी रेंज वाली निर्भय और 400 किमी रेंज वाली प्रलय मिसाइलें शामिल हैं। सेना पिनाका रॉकेट्स की रेंज को भी बढ़ाने पर काम किया जा रहा है। रूस-यूक्रेन जंग के अलावा कई देशों में जिस तरह से हालात बिगड़ रहे, उसे देखते हुए भारतीय सेना ने अपनी तैयारी मजबूत करना शुरू किया है।

इंडियन आर्मी की आर्टिलरी रेजिमेंट के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल ए. कुमार ने कहा कि सेना 2,000 किलोमीटर रेंज वाली निर्भय और 400 किलोमीटर रेंज वाली प्रलय मिसाइलों को शामिल करने का प्लान बना रही है। आर्मी स्वदेशी पिनाका रॉकेट की मारक क्षमता को बढ़ाकर 300 किलोमीटर करने की भी योजना बना रही है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) सेना के लिए हाइपरसोनिक मिसाइलें भी विकसित कर रहा है। ये मिसाइलें आवाज की रफ्तार से पांच गुना तेज स्पीड से हमला कर सकती हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल ए. कुमार ने कहा, ‘DRDO इन हाइपरसोनिक मिसाइलों को तैयार करने में जुटा है। हमारा मिसाइल कार्यक्रम अच्छी रफ्तार से आगे बढ़ रहा। DRDO बैलिस्टिक और क्रूज दोनों तरह की मिसाइलों की रेंज, सटीकता और मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट में जुटा है। उन्होंने आगे कहा कि पिनाका आत्मनिर्भरता अभियान की सफलता की कहानी रही है। इसका जमकर इस्तेमाल किया गया है और इसने आर्टिलरी के शस्त्रागार में अधिक ताकत और मारक क्षमता को जोड़ा है। पिनाका की और रेजिमेंट को शामिल किया जा रहा है।

अग्निवीरों के प्रशिक्षण पर ए. कुमार कहा कि हमने अपने प्रशिक्षण और प्रशासनिक बुनियादी ढांचे को मॉडर्न बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। अत्याधुनिक फिजिकल ट्रेनिंग सुविधाएं दी जा रही हैं। इसकी क्लास के ऑडियो-विजुअल ट्रेनिंग को लेकर जरूरी सामग्री से तैयार किया गया है। हमारी उत्तरी सीमा पर चल रही स्थिति के लिए ट्रेनिंग को और मजबूत किया जा रहा। अब तक तोपखाना रेजिमेंट में कुल 19 महिला अधिकारियों को कमीशन दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इन सभी महिला अधिकारियों को अलग-अलग हथियारों के साथ अलग-अलग यूनिट्स में तैनात किया गया है। हमें उनकी क्षमताओं पर पूरा भरोसा है और हमें यकीन है कि वे अपने सर्विस करियर में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगी।

 

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