आखिर कैसे तबाह हुआ लेबनान?

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आज हम आपको बताएंगे कि लेबनान कैसे तबाह हुआ था !इजरायल ने अपने परंपरागत दुश्मन हिजबुल्लाह के गढ़ लेबनान में बड़े हमले किए हैं। इन हमलों में कम से कम 500 लोगों के मारे जाने की खबरें हैं। कहा जा रहा है कि इजरायल के इन हमलों में उसके रक्षा कवच आयरन डोम का भी हाथ है, जो हिजबुल्लाह की ओर से किए गए हमलों को विफल कर देता है। ये भी कयास लग रहे हैं कि इन हमलों के पीछे भी इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद है, जिसने हाल ही में लेबनान में पेजर, वॉकी-टॉकी और सोलर प्लांट में धमाकों को अंजाम दिया था। इससे पूरे लेबनान में आतिशबाजी जैसे हालात पैदा हो गए थे। जानते हैं मोसाद के कारनामे और इजरायली आयरन डोम के बारे में जिसने पूरे लेबनान में तबाही मचा दी। लेकिन उससे पहले ऑपरेशन एंतेबे की कहानी जानते हैं, जिसे इजरायली आर्मी और मोसाद के मिले-जुले एक्शन ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया था। 27 जून, 1976 को पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलीस्तीन के दो सदस्यों ने जर्मनी के दो लोगों के साथ मिलकर पेरिस जा रहे विमान को हाईजैक कर लिया और फिर युगांडा ले गए। इस विमान ने इजरायल की राजधानी तेल अवीव से ग्रीस की राजधानी एथेंस के लिए उड़ान भरी थी। इस फ्लाइट में 246 यात्रियों के अलावा क्रू के 12 सदस्य सवार थे। हालांकि, विमान में सवार लोगों को यह नहीं पता था कि वे एक बड़ी मुसीबत में फंसने जा रहे हैं। हाईजैकर्स ने यूगांडा के एंतेबे एयरपोर्ट पर यात्रियों और क्रू को बंधक बनाए रखा। मोसाद और इजरायली डिफेंस फोर्सेज यानी IDF ने एक हफ्ते में ही आतंकियों के चंगुल से बंधकों को छुड़ा लिया था और आतंकियों को मार गिराया था।

उस वक्त इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद और आर्मी के 200 जांबाज कमांडो ने मोर्चा संभाला। उनके एक एजेंट ने विमान से एयरपोर्ट की फोटोज खींची। इसके बाद कार्रवाई को अंजाम दिया। एक हफ्ते बाद इजरायली कमांडो ने एयरपोर्ट पर हमला कर 100 इजरायली और यहूदी बंधकों को बचाया था। इस कार्रवाई में तीन बंधकों के अलावा युगांडा के कई सैनिकों और लीड कमांडो योनातन नेतन्याहू (इजराइल के मौजूदा प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भाई) की मौत हुई थी। इस एंतेबे ऑपरेशन को ऑपरेशन थंडरबोल्ट भी कहा जाता है, जिसके लिए मोसाद ने खुफिया जानकारियां मुहैया कराईं, जबकि इजरायली सेना ने इस अभियान की कमान संभाली।

कहा जा रहा है कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इजरायल के दुश्मनों को मारने के लिए पूरे लेबनान में 1600 टार्गेट की पहचान की। इन जगहों पर हिजबुल्लाह लड़ाकों के सबसे ज्यादा छिपे होने की पुख्ता खबर थी। फिर ये इनपुट्स इजरायली आर्मी को दिए गए, जिसने मिसाइलों से हमले किए। इस दौरान आयरन डोम सिस्टम को भी एक्टिव कर दिया गया था, जिसने हिजबुल्लाह की ओर से किए गए हमलों को विफल कर दिया। साथ में हिजबुल्लाह के रॉकेटों को नेस्तनाबूद कर दिया।

आयरन डोम को दुश्मन की आरे से आने वाले कम दूरी के हथियारों से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह रक्षा कवच हर मौसम में काम करता है। यह रॉकेटों को ट्रैक करने के लिए रडार का इस्तेमाल करता है। यह उन रॉकेटों की पहले से पहचान कर लेता है, जो इजरायल पर गिरने वाली होती हैं। इंटरसेप्टर मिसाइलें केवल आबादी वाले इलाकों पर हमला करने वाले रॉकेटों पर दागी जाती हैं। इस प्रणाली में बैटरियां होती हैं, जिनमें तीन से चार लॉन्चर होते हैं। ये एकसाथ 20 इंटरसेप्टर मिसाइलों को फायर कर सकते हैं। सिस्टम के स्थिर और मोबाइल दोनों संस्करण हैं। यानी ये ट्रक से खींचकर कहीं भी ले जाए जा सकते हैं। ये 10 सेकेंड में 20 मिसाइलें एकसाथ छोड़ता है।

आयरन डोम को 2006 में इजरायल और दक्षिणी लेबनान के आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष के बाद विकसित किया गया था। हिजबुल्लाह ने इजरायल में हजारों रॉकेट दागे, जिससे भारी जान-माल का नुकसान हुआ। इसके जवाब में इजरायल ने नई मिसाइल रक्षा ढाल विकसित करने की शुरुआत की। यहीं से इजरायल ने अपने लिए रक्षा कवच यानी आयरन डोम सिस्टम विकसित किया। आयरन डोम को इजरायली फर्म राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने कुछ अमेरिकी सहयोग से बनाया था।

इजरायल की सेना ने आयरन डोम की सफलता दर 90% तक होने का दावा किया है। अमेरिका ने इजरायल को दो शक्तिशाली आयरन डोम बैटरियां दी हैं। जो बिना रुके आयरन डोम के एक्शन को ज्यादा प्रभावी बनाती हैं। साथ ही वह जल्द ही टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) मिसाइलों की बैटरी और पैट्रियट मिसाइलों की बैटरी की भी आपूर्ति करेगा।

भारत के पास एस-400 ट्रायम्फ (S-400 TRIUMF) प्रणाली है, जो तीन खतरों जैसे रॉकेट, मिसाइल और क्रूज मिसाइल से निपटने में सक्षम है। इनकी रेंज काफी अधिक होती है। इसमें खतरों से निपटने के लिए यह बहुत बड़ा एयर डिफेंस कवच है। यह रूस की डिजाइन की गई सतह से हवा में मार करने वाली गतिशील मिसाइल प्रणाली है, जिसे रूस से लिया गया है। अभी इसकी पूरी तरह तैनाती बाकी है। इसकी रेंज 400 किलोमीटर और सीमा के भीतर 30 किमी तक की ऊंचाई पर सभी प्रकार के हवाई लक्ष्यों को भेद सकती है। यह प्रणाली 100 हवाई लक्ष्यों को एकसाथ ट्रैक कर सकती है और उनमें से 6 को एक साथ निशाना बना सकती है।