यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अब आने वाले समय में चीन और भारत सीमा विवाद बढ़ सकता है या नहीं! भारत के साथा चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर गतिरोध बना हुआ है। दोनों पक्षों की तरफ से मुद्दे के हल को लेकर बातचीत का दौर जारी है। हालांकि, अभी तक सीमा पर गतिरोध कोई स्थायी समाधान निकलता नहीं दिख रहा है। इस बीच जनरल उपेंद्र द्विवेदी चीन के साथ भारत सेना को लेकर अहम बात कही है। जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को चीन के साथ तनाव से निपटने के मुश्किल प्रकृति पर कहा कि भारत को चीन के साथ प्रतिस्पर्धा, सहयोग, सह-अस्तित्व, टकराव और प्रतिस्पर्धा करनी होगी। सेना प्रमुख ने कहा कि जहां तक चीन का संबंध है तो वह काफी समय से हमारे मन में कौतूहल पैदा कर रहा है। मैं कह रहा हूं कि चीन के साथ आपको प्रतिस्पर्धा करनी होगी, आपको सहयोग करना होगा, आपको एक साथ रहना होगा, आपको मुकाबला करना होगा। सेना प्रमुख के बयान से साफ है कि हमारी सेना चीन के साथ किसी भी स्थिति के लिए पूरी तरह से तैयार है।
पूर्वी लद्दाख में चीन और भारत के बीच जारी सैन्य गतिरोध पर सैन्य प्रमुख ने कहा कि इस क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति स्थिर, लेकिन संवेदनशील है और सामान्य नहीं है। जनरल द्विवेदी ने कहा कि हालांकि, विवाद के समाधान पर दोनों पक्षों के बीच कूटनीतिक वार्ता से एक ‘सकारात्मक संकेत’ सामने आ रहा है लेकिन किसी भी योजना का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर सैन्य कमांडरों पर निर्भर करता है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कूटनीतिक वार्ता से सकारात्मक संकेत मिल रहा है लेकिन हमें यह समझने की आवश्यकता है कि कूटनीतिक वार्ता विकल्प और संभावनाएं देती हैं।
दोनों सेनाओं के बीच सैन्य गतिरोध मई 2020 की शुरुआत में शुरू हुआ। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया था। दोनों पक्षों ने गतिरोध वाले बिन्दुओं से कई सैनिकों को हटाया है लेकिन इसके बावजूद अभी तक सीमा विवाद का पूर्ण समाधान नहीं निकला है। भारत लगातार कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। गतिरोध का समाधान निकालने के लिए दोनों पक्षों के बीच अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी है। भारत, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर देपसांग और डोमचोक इलाकों से सैनिकों को हटाने का दबाव बना रहा है। दोनों पक्षों ने आखिरी दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता फरवरी में की थी।
पिछले महीने, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इस विवाद का जल्द समाधान तलाशने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में वार्ता की थी। ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों के सम्मेलन से इतर हुई बैठक में दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के लिए ‘तत्परता’ से काम करने और अपने प्रयासों को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की थी। बैठक में डोभाल ने वांग को बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और एलएसी का सम्मान द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति बनाने के लिए जरूरी है।
हालांकि, तनाव कम करने और हालात सामान्य करने के लिए भारत और चीन के बीच कई दौर की राजनीतिक और कूटनीतिक बातचीत हो चुकी है। इसमें कुछ प्रगति हुई है और मतभेद कम हुए हैं। लेकिन, शीर्ष रक्षा सूत्रों ने बताया है कि जमीनी स्तर पर चीन की सेना (PLA) पर भरोसा अभी भी बहुत कम है। भारतीय सेना सर्दियों की तैनाती की तैयारी में जुटी है। सर्दियों के लिए बड़े पैमाने पर सामान जुटाया जा रहा है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और सेना की सातों कमानों के प्रमुख 9-10 अक्टूबर को सिक्किम के गंगटोक में ऑपरेशनल स्टेटस की समीक्षा करेंगे।
हालिया राजनीतिक-कूटनीतिक बातचीत से पूर्वी लद्दाख में पिछले करीब साढ़े 4 साल से सैन्य गतिरोध को तोड़ने की संभावना दिखाई देती है। इन बातचीत में 31 जुलाई और 29 अगस्त को भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (WMCC) की 30वीं और 31वीं बैठकें शामिल थीं।राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने 12 सितंबर को सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स बैठक के मौके पर चीनी विदेश मंत्री वांग यी से भी मुलाकात की। पिछले डिसइंगेजमेंट के बाद स्थापित बफर जोन के कारण, भारतीय सैनिक पूर्वी लद्दाख में अपने 65 में से 26 गश्ती बिंदुओं तक नहीं पहुंच सकते हैं। ये पट्रोलिंग पॉइंट उत्तर में काराकोरम दर्रे से शुरू होते हैं और पूर्वी लद्दाखके दक्षिण में चुमार तक हैं।
एक अधिकारी ने कहा, ‘यहां तक कि बफर जोन को भी केवल अस्थायी व्यवस्था माना जाता था। चीन अनुचित मांगें करता रहता है और लंबे समय तक इंतजार करने का खेल खेल रहा है। भारत को चीन के जाल में फंसने से सावधान रहना होगा।’ उन्होंने कहा, ‘अगर दोनों पक्ष एक व्यापक रूपरेखा पर सहमत होते हैं, तो डेपसांग और देमचोक में वास्तविक डिसइंगेजमेंट के तौर-तरीकों पर सैन्य स्तर पर काम किया जा सकता है।’ सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए प्रत्येक LAC सेक्टर में सैनिकों के समायोजन और पर्याप्त आरक्षित बलों के साथ उच्च स्तर की परिचालन तत्परता बनाए हुए है। वर्तमान गतिरोध को तोड़ने के लिए राजनीतिक और कूटनीतिक चर्चा को संभावित रास्ता माना जा रहा है।