यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या लॉरेंस बिश्नोई मुंबई का अगला दाऊद बनना चाहता है या नहीं! एनसीपी(अजित पवार गुट) के नेता और एक कद्दावर शख्सियत बाबा सिद्दीकी की सरेआम गोली मारकर हत्या के बाद से हड़कंप मच गया है। एक बार फिर इस हत्या के पीछे लॉरेंस बिश्नोई गैंग के सदस्यों का नाम सामने आया है। बकायदा फेसबुक पोस्ट से यह बताने की कोशिश की गई है कि जो भी सलमान खान की मदद करेगा, उसका यही अंजाम होगा। पहले सिद्धू मूसेवाला और अब बाबा सिद्दीकी, लॉरेंस बिश्नोई और उसका गैंग अब क्राइम की दुनिया का बेताज बादशाह बनने की ओर हैं। लॉरेंस बिश्नोई और उसका आतंक कुछ उसी तरह फैल रहा है, जैसे दो दशक पहले अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम का था। लोग दाउद के नाम से ही कांप उठते थे। हालांकि लॉरेंस बिश्नोई के काम का तरीका थोड़ा अलग है पर यह बढ़ उसी दिशा में रहा है।गैंग युवाओं को कनाडा या अपनी पसंद के किसी देश में ले जाने का वादा करके उन्हें लुभाता है। NIA के अनुसार, पाकिस्तान में स्थित खालिस्तानी आतंकवादी हरविंदर सिंह रिंदा, पंजाब में टार्गेट किलिंग्स और आपराधिक गतिविधियां करने के लिए बिश्नोई के शूटरों का इस्तेमाल करता है।NIA ने लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बरार सहित 16 गैंगस्टर्स के खिलाफ कड़े UAPA कानून के तहत चार्जशीट दायर की है। अपनी चार्जशीट में, NIA ने लॉरेंस बिश्नोई गैंग की तुलना दाऊद इब्राहिम के डी-कंपनी से की है। अदालत से आने-जाने के दौरान बिश्नोई की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा हुईं,जिससे युवाओं के बीच गैंग को बढ़ावा मिला है। 2020-21 तक, बिश्नोई गैंग ने रंगदारी के माध्यम से करोड़ों रुपये कमा लिए थे और उस पैसे को हवाला चैनलों के माध्यम से विदेश भेजा गया था।NIA की चार्जशीट से पता चला कि लॉरेंस बिश्नोई और उसका आतंकवादी सिंडिकेट ठीक उसी तरह काम कर रहा है जैसे, दाऊद इब्राहिम ने 90 के दशक में छोटे-मोटे अपराधों से शुरुआत करते हुए अपना नेटवर्क स्थापित किया था।
दाऊद इब्राहिम ने ड्रग ट्रैफिकिंग, लक्षित हत्याएं, जबरखोरी रैकेट के माध्यम से अपना नेटवर्क बढ़ाया और बाद में पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ मिलकर डी-कंपनी बनाई। इसी तरह, बिश्नोई गैंग ने छोटे-मोटे अपराधों से शुरुआत की, अपना खुद का गैंग बनाया और अब उत्तरी भारत पर हावी है। लॉरेंस बिश्नोई गैंग का संचालन सतविंदर सिंह उर्फ गोल्डी बरार कर रहा है, जो कनाडाई पुलिस और भारतीय एजेंसियों की नजर में एक वांटेड अपराधी है। NIA की चार्जशीट से पता चला कि बिश्नोई गैंग में 700 से अधिक शूटर थे, जिनमें से 300 पंजाब से जुड़े थे। बिश्नोई और गोल्डी बरार की तस्वीरें फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गई हैं। अदालत से आने-जाने के दौरान बिश्नोई की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा हुईं,जिससे युवाओं के बीच गैंग को बढ़ावा मिला है। 2020-21 तक, बिश्नोई गैंग ने रंगदारी के माध्यम से करोड़ों रुपये कमा लिए थे और उस पैसे को हवाला चैनलों के माध्यम से विदेश भेजा गया था।
NIA के अनुसार, लॉरेंस बिश्नोई गैंग कभी पंजाब तक ही सीमित था, लेकिन अपने करीबी सहयोगी गोल्डी बरार की मदद से, लॉरेंस बिश्नोई ने हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान में गैंग्स के साथ गठबंधन बनाया, जिससे एक बड़ा नेटवर्क बना। अब, लॉरेंस बिश्नोई गैंग पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान और झारखंड सहित पूरे उत्तर भारत में फैला हुआ है। गैंग में युवाओं को भर्ती करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य विभिन्न साधनों का इस्तेमाल किया जाता है।
गैंग युवाओं को कनाडा या अपनी पसंद के किसी देश में ले जाने का वादा करके उन्हें लुभाता है। बता दें कि दाउद के नाम से ही कांप उठते थे। हालांकि लॉरेंस बिश्नोई के काम का तरीका थोड़ा अलग है पर यह बढ़ उसी दिशा में रहा है।गैंग युवाओं को कनाडा या अपनी पसंद के किसी देश में ले जाने का वादा करके उन्हें लुभाता है। जिससे युवाओं के बीच गैंग को बढ़ावा मिला है। 2020-21 तक, बिश्नोई गैंग ने रंगदारी के माध्यम से करोड़ों रुपये कमा लिए थे और उस पैसे को हवाला चैनलों के माध्यम से विदेश भेजा गया था।NIA के अनुसार, पाकिस्तान में स्थित खालिस्तानी आतंकवादी हरविंदर सिंह रिंदा, पंजाब में टार्गेट किलिंग्स और आपराधिक गतिविधियां करने के लिए बिश्नोई के शूटरों का इस्तेमाल करता है। NIA के अनुसार, पाकिस्तान में स्थित खालिस्तानी आतंकवादी हरविंदर सिंह रिंदा, पंजाब में टार्गेट किलिंग्स और आपराधिक गतिविधियां करने के लिए बिश्नोई के शूटरों का इस्तेमाल करता है।