आखिर जम्मू कश्मीर में आतंक को कैसे खत्म करेगी भारतीय सेना?

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यह सवाल उठना लाजिमी है कि भारतीय सेना जम्मू कश्मीर में आतंक को कैसे खत्म करेगी! जम्मू-कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमलों से निपटने के लिए सेना अब नई रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है। भारतीय सेना के उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एम वी सुचिंद्र कुमार ने शुक्रवार को बारामूला आतंकी हमले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हमलावरों को सीमा पार से समर्थन होने के संदेह के मद्देनजर सेना अपनी रणनीतियों पर फिर से विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि हालांकि विशिष्ट ऑपरेशनल जानकारी साझा नहीं की जा सकती है, लेकिन सेना उभरते खतरों से निपटने के लिए अपनी रणनीतियों को समायोजित कर रही है। लेफ्टिनेंट जनरल एम वी सुचिंद्र कुमार ने कहा, ‘मैं एक ऑपरेशन के बारे में जानकारी साझा नहीं करना चाहूंगा, लेकिन मैं आपको इतना बता सकता हूं कि हमने नई चुनौतियों, आतंकवादियों के तौर-तरीकों, सीमा पार से उन्हें मिल रहे समर्थन का जायजा लिया है और हम इससे निपटने के लिए रणनीति बना रहे हैं।’ भारतीय सेना युवाओं और महिलाओं को सशक्त बनाने, शिक्षा को बढ़ावा देने, खेलों को बढ़ावा देने और समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रही है।’ उन्होने कहा कि भारतीय सेना सामाजिक कार्यों और सैन्य अभियानों के जरिए देश को मजबूत बनाने में जुटी है। उन्होंने कहा कि इन कोशिशों से न सिर्फ लोगों से बेहतर तालमेल बना है, बल्कि जमीनी स्तर पर सैन्य अभियानों को अंजाम देने में भी मदद मिली है।

लेफ्टिनेंट जनरल एम वी सुचिंद्र कुमार ने जम्मू और कश्मीर में शांतिपूर्ण और सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए भारतीय सेना, नागरिक प्रशासन, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, पुलिस और खुफिया एजेंसियों के बीच तालमेल के महत्व पर जोर दिया गया है। उन्होंने ‘सेवा पहले’ के सिद्धांत के प्रति सेना की प्रतिबद्धता और सीमा सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी अभियानों, मानवीय सहायता, आपदा राहत और नागरिक अधिकारियों को सहायता जैसी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में एक प्रमुख सूत्रधार के रूप में इसकी भूमिका का भी उल्लेख किया।

उन्होंने कहा, ‘राष्ट्र की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा में अपनी भूमिका के अलावा, हम इस क्षेत्र में विकासात्मक गतिविधियों को अंजाम देने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों के सीमावर्ती और दूरदराज के इलाकों में विकासात्मक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑपरेशन सद्भावना परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। हम आर्मी गुडविल स्कूलों में केंद्र शासित प्रदेशों के बड़ी संख्या में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। जम्मू और कश्मीर विशेष छात्रवृत्ति योजना और आर्मी पब्लिक स्कूल आवासीय विद्यालय कार्यक्रमों के माध्यम से छात्रों को केंद्र शासित प्रदेशों के बाहर अध्ययन करने के लिए भी प्रायोजित किया जा रहा है, जो हमारे की ओर से संचालित किए जा रहे हैं।’

बता दे कि कांग्रेस सांसद ने आगे लिख, ‘केंद्र की NDA सरकार की नीतियां जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा और शांति स्थापित करने में पूरी तरह से विफल रही हैं। उनके दावों के विपरीत, हकीकत यह है कि प्रदेश निरंतर आतंकी गतिविधियों, हमारे जवानों पर हमलों और नागरिकों की लक्षित हत्याओं के कारण खतरे के साए में जी रहा है। सरकार को तुरंत जवाबदेही लेनी चाहिए और जल्द से जल्द वादी में अमन बहाल कर सेना और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।’ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस आतंकी हमले की निंदा की है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट में लिखा- ‘गुलमर्ग, जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले में दो जवानों की शहादत का समाचार अत्यंत दुखद है। हमले में दो पोर्टर ने भी जान गंवाई है। ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करें। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूं। सभ्य समाज में हिंसा और आतंकवाद अस्वीकार्य है। इसकी जितनी भी निंदा की जाए, कम है।’

जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में गुरुवार को आतंकवादियों ने सेना की गाड़ी पर घात लगाकर हमला किया था। इसमें दो सेना के जवान और दो पोर्टर मारे गए। 2019 में अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर से हटाया गया था। इसके बाद यहां चुनाव हुए। कुछ वक्त पहले ही नई निर्वाचित सरकार का शपथ ग्रहण हुआ है। इसी के बाद गुरुवार को घात लगाकर आतंकियों ने बड़ी वारदात को अंजाम दिया।

गुलमर्ग में सेना की गाड़ी पर हमले से कुछ घंटे पहले, आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा स्थित त्राल इलाके में उत्तर प्रदेश के एक मजदूर को गोली मार दी थी। इसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया। 24 अक्टूबर को कश्मीर के गांदरबल जिले में छह प्रवासी मजदूरों और एक स्थानीय डॉक्टर सहित सात लोग मारा गया था। यह क्रूर आतंकी हमला उस समय हुआ जब आतंकवादियों ने जेड-मोड़ सुरंग निर्माण स्थल पर पीड़ितों पर गोलियां चला दीं।