क्या हरियाणा की रणनीति पर महाराष्ट्र के लिए काम कर रही है बीजेपी?

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वर्तमान में बीजेपी हरियाणा की रणनीति पर महाराष्ट्र के लिए काम कर रही है! हरियाणा में चुनाव से पहले कांग्रेस अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थी, लेकिन नतीजों ने कांग्रेस और राहुल गांधी के अरमानों पर पानी फेर दिया। उधर 48 सीटों के साथ बीजेपी ने हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगा दी और कांग्रेस 37 सीटों पर सिमट गई। हरियाणा के बाद अब सबकी नजर महाराष्ट्र चुनाव पर हैं। राजनीतिक गलियारों में बीजेपी के महाराष्ट्र प्लान को लेकर चर्चा तेज है। महाराष्ट्र में सभी 288 विधानसभा सीट के लिए एक चरण में 20 नवंबर को मतदान होगा और मतगणना 23 नवंबर को होगी। बीजेपी ने हरियाणा की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी जबरदस्त जीत का पूरा प्लान तैयार कर लिया है। बीजेपी कुछ अहम मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए आत्मविश्वास से लबरेज है। बीजेपी 288 सदस्यीय विधानसभा में से 155 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है और अपने सहयोगियों शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) के साथ मिलकर एकजुट चुनाव प्रचार करना चाहती है। इसके साथ ही, ‘लाडली बहना योजना’ को लेकर मतदाताओं में उत्साह बरकरार रखना भी बीजेपी की प्राथमिकता है। गैर-प्रमुख समुदायों तक पहुंचना, मराठा आंदोलन के प्रभाव को कम करना, सहयोगियों के बीच वोट ट्रांसफर सुनिश्चित करना, और माइक्रो लेवल पर सामाजिक और राजनीतिक सत्ता विरोधी लहर को संबोधित करते हुए चुनाव प्रचार चलाना भी बीजेपी की प्राथमिकताओं में शामिल है।

बीजेपी ने बुधवार रात को अपनी पहली केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक की, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के अन्य नेता मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी दो दिनों के भीतर अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर सकती है और 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में 154 से 158 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। 2019 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। उस दौरान के सहयोगी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली अविभाजित शिवसेना ने 56 सीटें जीती थीं, जबकि अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने 41 सीटें जीती थीं। कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं। 6 महीने पहले हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी को महाराष्ट्र में करारी हार का सामना करना पड़ा था, जहां पार्टी 28 सीटों में से केवल 9 सीटें ही जीत सकी थी। बीजेपी अब राज्य में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही है। महाराष्ट्र बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां देश की आर्थिक राजधानी मुंबई है, जो निवेश, एफडीआई और मोदी 3.0 के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा महाराष्ट्र मराठा गौरव और मुखर दलित-आंबेडकरवादी समूहों का केंद्र भी है, जो RSS के कट्टर विरोधी रहे हैं।

बीजेपी का मानना है कि आगामी लोकसभा चुनावों में शिवसेना (UBT) के वोटर्स कांग्रेस को वोट नहीं देंगे। बीजेपी इस स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश करेगी। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 16 सीटें जीती थीं, जिससे शिवसेना (UBT) के कई वोटर्स नाराज हैं। बीजेपी का दावा है कि शिवसेना (UBT) के वोटर्स कांग्रेस को पसंद नहीं करते हैं। बीजेपी को उम्मीद है कि इस बार भी ऐसा ही होगा और इससे उन्हें फायदा होगा।

हरियाणा में बीजेपी के चुनाव प्रचार में एक बड़ा बदलाव RSS की बढ़ती भागीदारी थी। राज्य प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने पार्टी की संगठनात्मक ताकत को मजबूत करने पर जोर दिया। पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘धर्मेंद्र प्रधान RSS की छात्र शाखा ABVP से आते हैं। उनके RSS के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं, खासकर दत्तात्रेय होसबोले जैसे नेताओं के साथ। इसी तरह महाराष्ट्र में भूपेंद्र यादव RSS की वकीलों की शाखा, अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद से आते हैं। वे जानते हैं कि RSS बीजेपी के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसलिए उन्होंने चुनाव प्रचार को कार्यकर्ता केंद्रित बनाया है।’

एक पदाधिकारी ने कहा, ‘कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा रखना सबसे ज्यादा जरूरी है। गृह मंत्री अमित शाह 1500 से 2000 कार्यकर्ताओं के समूहों में बैठकें कर रहे हैं ताकि उनकी समस्याओं को समझा जा सके।’ गठबंधन के चुनाव प्रचार का तुरुप का पत्ता मुख्यमंत्री की ओर से घोषित लोकलुभावन उपाय ही रहेंगे, जिसमें ‘मुख्यमंत्री लाडकी बहन योजना’ – 18 से 65 वर्ष की आयु वर्ग की 2.5 करोड़ महिलाओं को 1,500 रुपये मासिक भत्ता और BMC कर्मचारियों को दिवाली बोनस शामिल है। ‘लाडली बहना योजना’ को काफी ज्यादा प्रतिक्रिया मिली है, और बीजेपी को लगता है कि यह गेम-चेंजर साबित होगी, क्योंकि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसी तरह की योजनाओं ने पिछले साल विधानसभा चुनावों में बीजेपी को जीत दिलाई थी। बीजेपी मराठवाड़ा में काफी ज़्यादा मेहनत कर रही है, जहां वह यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि मराठा कार्यकर्ता मनोज जरंगे पाटिल का आंदोलन उसकी संभावनाओं को प्रभावित न करे।

बीजेपी छोटे, गैर-मराठा समुदायों तक भी पहुंच बना रही है। हरियाणा में अपनी रणनीति से सबक लेते हुए, बीजेपी समुदायों के एक इंद्रधनुषी गठबंधन पर नजर गड़ाए हुए है। पिछले कुछ दिनों में पार्टी नेताओं के नेतृत्व में ऐसी करीब 100 बैठकें हो चुकी हैं। लोकसभा चुनावों में दलित वोटों का बीजेपी से दूर जाना चिंता का विषय है। सूत्रों ने कहा कि किरेन रिजिजू बौद्ध दलितों पर काम कर रहे हैं, जो दलित आबादी का 60 प्रतिशत हैं, पार्टी को उम्मीद है कि कल्याणकारी योजनाओं से दलित वापस पार्टी के पास आ जाएंगे। राज्य में अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों के लिए नौ आरक्षित सीटें हैं, जिनमें से नंदुरबार, गढ़चिरौली-चिमूर, पालघर और डिंडोरी ST के लिए आरक्षित हैं, जबकि अमरावती, रामटेक, लातूर, सोलापुर और शिरडी SC के लिए आरक्षित हैं।