आखिर वर्तमान में वैलेट पेपर से चुनाव करवाने की मांग क्यों उठ रही है?

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वर्तमान में वैलेट पेपर से चुनाव करवाने की मांग उठती जा रही है! देश में जब भी चुनाव होते हैं तो ईवीएम को लेकर विपक्ष की तरफ से सवाल उठाए जाते हैं। लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक ईवीएम से छेड़छाड़ से लेकर खराबी की शिकायत अक्सर सामने आती है। चुनाव आयोग जहां विपक्ष के आरोपों को आधारहीन बताता है, वहीं केंद्र सरकार के मंत्री इसे विपक्ष की हार के बाद झुंझलाहट बताते हैं। इसके बावजूद कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने बुधवार को एक बार फिर सुझाव दिया कि भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को चुनाव कराने के लिए मतपत्रों की ओर लौटने पर विचार करना चाहिए। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने उन्होंने लोकतंत्र की सुरक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला। तिवारी ने कहा कि पूरी दुनिया में, बिना किसी अपवाद के, यहां तक कि उन देशों में भी जहां ईवीएम का आविष्कार या भारत से पहले इस्तेमाल किया गया था, हर कोई वापस मतपत्रों की ओर लौट गया है क्योंकि लोकतंत्र इतना कीमती है कि इसे तकनीक पर नहीं छोड़ा जा सकता।

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को बहुत गंभीरता से न केवल विचार करना चाहिए बल्कि इस देश को वापस मतपत्रों की ओर ले जाने की पहल करनी चाहिए। लोकतंत्र इतना कीमती है कि इसे तकनीक पर नहीं छोड़ा जा सकता। कांग्रेस नेता का यह बयान चुनाव आयोग की तरफ से हाल ही में हरियाणा चुनाव में अनियमितताओं के कांग्रेस के आरोपों को खारिज करने के बाद आया है। चुनाव आयोग ने कहा था कि ये आरोप “निराधार, गलत और तथ्यों से रहित हैं। मंगलवार को कांग्रेस को लिखे पत्र में चुनाव आयोग ने उनसे चुनाव के बाद निराधार दावे करने से बचने का आग्रह किया। साथ ही पार्टी पर बिना सबूत के ‘सामान्य’ संदेह पैदा करने का आरोप लगाया। चुनाव आयोग ने चेतावनी दी कि इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना आरोपों से सार्वजनिक अशांति और अराजकता हो सकती है। खासकर मतदान और मतगणना के दिनों जैसे संवेदनशील समय के दौरान।

तिवारी ने ईवीएम की बैटरी लाइफ पर भी सवाल उठाए और संदेह जताया। उन्होंने कहा कि यह विज्ञान के किसी भी नियम को पूरी तरह से खारिज करता है कि एक मशीन, एक ईवीएम, पूरे दिन सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक या सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक इस्तेमाल की जा सकती है और मशीन के बंद होने के बाद 99% बैटरी लाइफ होती है। इसे एक स्ट्रांग रूम में स्टोर किया जाता है और फिर कुछ दिनों बाद बाहर लाया जाता है और वोटों की गिनती की जाती है।

इस मुद्दे पर बीजेपी नेता तरुण चुघ ने कांग्रेस पार्टी की आलोचना की। उन्होंने कांग्रेस को ‘डूबता जहाज’ कहा। चुनावी हार के बाद ईवीएम की प्रभावशीलता पर सवाल उठाने के लिए इसे दोषी ठहराया। चुघ ने ने कहा कि कांग्रेस एक डूबता जहाज है जो विचारहीन और नीतिहीन है… वे (चुनाव में) अपनी हार के लिए ईवीएम को दोषी ठहराते हैं। कांग्रेस पार्टी, जब भी चुनाव जीतती है, चाहे वह उस समय कर्नाटक या तेलंगाना में हो, ईवीएम और चुनाव आयोग को ठीक मानती है… इतने सारे चुनाव हारने के बावजूद उनका अहंकार ऊंचा है। बता दें कि कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार का ठीकरा कुछ अलग तरह से फोड़ा। पार्टी ने इस बार बड़ी अलबेली वजह बताकर ईवीएम में हेरफेर का आरोप मढ़ा। कांग्रेस ने कहा कि कई मतगणना केंद्रों पर ईवीएम की बैटरी बाकियों के मुकाबले ज्यादा चार्ज थी। पार्टी ने दावा किया जहां ईवीएम की बैटरी ज्यादा चार्ज थी, वहां उसे हार मिली है। पार्टी ने इसकी आधिकारिक शिकायत चुनाव आयोग से की थी जिसका जवाब आयोग ने मंगलवार को दिया।

चुनाव आयोग ने कांग्रेस के रवैये पर आपत्ति जाहिर की और उसे सावधान भी किया। आयोग ने 26 विधानसभा क्षेत्रों के रिटर्निंग ऑफिसर्स की री-वेरिफिकेशन रिपोर्ट का हवाला दिया। आयोग ने कहा कि पूरी जांच के बाद पाया गया कि चुनावी प्रक्रिया का हर चरण सही था और कांग्रेस उम्मीदवारों या एजेंटों की देखरेख में किया गया था। यह जानकारी 1,600 पेज की रिपोर्ट में है।चुनाव आयोग ने कहा है कि कांग्रेस की ओर से आयोग में कोई औपचारिक पत्र प्राप्त होने से पहले ही इस तरह के ‘आधारहीन’ आरोपों को अक्सर जोर-शोर से प्रचारित किया जाता है और ऐसा अक्सर मतदान या मतगणना के दिन के आसपास होता है। आयोग ने आगे कहा है कि कांग्रेस जैसे ऐतिहासिक प्रतिष्ठा वाले एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल का यह रवैया खासा निराशाजनक है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने जानबूझकर यह प्रवृत्ति ही पाल ली है कि सबूत हों या नहीं, बस चुनावी नतीजों की विश्वसनीयता पर संदेह के बादल पैदा कर दो।

चुनाव आयोग के कांग्रेस के रवैये पर उठाए गए सवाल वाकई गंभीर हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि कांग्रेस पार्टी चुनाव आयोग की विश्वनीयता को कठघरे में खड़ा करने के हर संभव प्रयास करती है। ऐसा करने में वह चालाकी भी बरतती है और जीत के बाद भी कहती है कि ईवीएम पर सवाल तो बना हुआ है। सवाल है कि क्या चुनाव आयोग की निष्पक्षता तभी साबित होगी जब हर चुनाव में कांग्रेस की जीत और उसके विरोधियों की हार होती रहे? कांग्रेस कहती है कि वह लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई लड़ रही है। लेकिन लोकतंत्र को खतरा है तो किससे? जो अपनी जीत और विरोधियों की हार हमेशा के लिए दीवार पर लिख देना चाहती है, क्या वो लोकतंत्र की रक्षक हो सकती है?