Thursday, November 21, 2024
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क्या भारत में बनेंगे मिलिट्री एयरक्राफ्ट C-295 ?

आने वाली समय में भारत में मिलिट्री एयरक्राफ्ट C-295 बनने जा रहे हैं! भारतीय वायुसेना का ‘महाबली’ कहे जाने वाले C-295 एयरक्राफ्ट अब भारत में ही बनेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्पेन के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज ने गुजरात के वडोदरा में देश के पहले प्राइवेट मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट प्रोडक्शन प्लांट का उद्धाटन किया। यह प्लांट भारत के प्राइवेट एविएशन इंडस्ट्री का पहला फाइनल असेंबली लाइन है। इसका मतलब है कि इस प्लांट से निकलने के बाद एयरक्राफ्ट सीधे उड़ान भरने के लिए तैयार होंगे। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) परिसर में स्थित इस प्लांट में एयरबस C295 एयरक्राफ्ट तैयार किए जाएंगे। ये प्रोजेक्ट एयरोस्पेस उद्योग, मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम और रक्षा क्षमताओं के लिए एक मील का पत्थर है। पीएम मोदी ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत ऐसे प्रोजेक्ट कई मायनों में हमारे लिए गेमचेंजर है। इस प्रोजेक्ट के आने से भारत में एयरक्राफ्ट निर्यात की महत्वाकांक्षा को भी बढ़ावा मिलेगा। जानकारी के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट से अलग-अलग साइट पर सीधे 3,000 से अधिक नौकरियां सृजित होंगी। इसके अलावा 15,000 से अधिक अप्रत्यक्ष नौकरियां भी निकलेंगी।’मेक इन इंडिया’ के तहत C-295 एयरक्राफ्ट का निर्माण भारत के लिए गेमचेंजर क्यों है इन 5 प्वाइंट्स में समझिए।

भारतीय वायु सेना (IAF) में C-295 एयरक्राफ्ट को शामिल करना देश की एयरलिफ्ट क्षमताओं में अहम साबित होगा। ये एयरक्राफ्ट, एयरबस डिफेंस एंड स्पेस की ओर से डिजाइन और तैयार किया गया है। ये कई मायनों में अहम है और अलग-अलग मिशन खास रोल निभाता रहा है। इसके जरिए आर्म्ड फोर्सेज का ट्रांसपोर्ट, कार्गो एयरलिफ्ट, मेडिकल सपोर्ट और समुद्री पेट्रोलिंग भी शामिल है। C-295 सोवियत एंटोनोव An-32 और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के एवरो 748 के पुराने बेड़े की जगह लेगा। C-295 एयरक्राफ्ट की क्षमता छोटे और कच्चे रनवे से भी ऑपरेट होने की है। इस खासियत की वजह से ये विमान चुनौतीपूर्ण इलाकों खास तौर से चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) और भारत के रणनीतिक समुद्री सीमा में नेविगेट को आदर्श बनाती है। एयरक्राफ्ट के टॉप क्रूज की स्पीड 482 किमी प्रति घंटे है। इसमें नौ टन तक कार्गो या 71 सैनिकों या 48 पैराट्रूपर्स को ले जाने की क्षमता है। C-295 IAF की परिचालन तत्परता और लचीलेपन को काफी बढ़ाता है। एक जंग-टेस्टेड ट्विन-टरबोप्रॉप, C295 में कार्गो-ड्रॉपिंग, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल इंटेलिजेंस, मेडिकल इमरजेंसी, समुद्री गश्त के साथ ईंधन भरने की क्षमता भी है। इसी वजह से इसे भारतीय डिफेंस फोर्स के लिए एक बहुमुखी विकल्प है।

C-295 परियोजना भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल की आधारशिला बन गई है। इसका उद्देश्य आयात पर निर्भरता कम करना और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है। C-295 कार्यक्रम के तहत, कुल 56 एयरक्राफ्ट तैयार की योजना है। इसमें एयरबस स्पेन में अपनी फाइनल असेंबली लाइन (FAL) से पहले 16 C-295 विमान भारत को सौंपेगा। इसके अलावा 40 एयरक्राफ्ट का निर्माण और असेंबलिंग टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) की ओर से वडोदरा में की जाएगी। अब तक पांच C-295 एयरक्राफ्ट भारतीय वायु सेना (IAF) को दिए जा चुके हैं। पहला C295 सितंबर 2023 में भारत में उतरा था।

टाटा-एयरबस C-295 प्रोजेक्ट से रोजगार और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। गुजरात के वडोदरा में इस विमान के निर्माण से भारत के एयरोस्पेस इंडस्ट्री में एक विविधता आने की उम्मीद है, जो परंपरागत रूप से बेंगलुरू, हैदराबाद जैसे दक्षिणी क्षेत्रों में केंद्रित रहा है। जानकारी के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट से अलग-अलग साइट पर सीधे 3,000 से अधिक नौकरियां सृजित होंगी। इसके अलावा 15,000 से अधिक अप्रत्यक्ष नौकरियां भी निकलेंगी।

C295 परियोजना न केवल भारत की घरेलू जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि भविष्य में निर्यात के अवसर भी उपलब्ध कराएगा। स्पेन के सहयोग से गुजरात के वडोदरा में एयरक्राफ्ट का निर्माण और असेंबलिंग होगी। इसी के साथ ये भारतीय वायुसेना के लिए अहम पावर सेंटर बनने जा रहा। देश में अब फाइटर प्लेन, टैंक, सबमरीन के बाद अब ट्रांसपोर्ट प्लेन भी बनाए जाएंगे। पीएम मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ मंत्र के साथ यह प्लांट ‘मेक फॉर द ग्लोब’ के मंत्र को भी साकार करेगा। बता दें कि प्रोजेक्ट एयरोस्पेस उद्योग, मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम और रक्षा क्षमताओं के लिए एक मील का पत्थर है। पीएम मोदी ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत ऐसे प्रोजेक्ट कई मायनों में हमारे लिए गेमचेंजर है। इस प्रोजेक्ट के आने से भारत में एयरक्राफ्ट निर्यात की महत्वाकांक्षा को भी बढ़ावा मिलेगा। भारतीय वायु सेना के लिए 40 सी-295 एयरक्राफ्ट बनाने के बाद एयरबस और टाटा कंपनी अन्य देशों से मिलने वाले ऑर्डर पर भी काम कर सकती हैं।

 

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