दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में कुत्ता घुमाने के मामले में आईएएस अधिकारि संजीव खिरवार को गृहमंत्रालय ने गुरुवार को तत्काल कारवाही करते हुए उनको लद्दाख और उनकी आईएएस पत्नी रिंकू धुग्गा को अरुणाचल स्थानातरण कर दिया।
दोनो ही दंपत्ती एजीएमयूटी कैडर 1994 बैच के आईएएस अधिकारी है।
सूत्रों की माने तो खबर अखबारों और मीडिया में आते ही गृहमंत्रालय इस बात को लेकर सक्त रुख में दिखाई दे रहा था। उसने दिल्ली के मुख्य सचिव से इस मामले में रिपोर्ट जल्द जमा कराने के आदेश दिए थे और रिपोर्ट के मिलते ही गृहमंत्रालय ने तत्काल कारवाही की ओर उनका ट्रांसफर कर दिया।कई विभागों के थे मुखिया।
किस पद पर तैनात थे संजीव खिरवार:
दिल्ली सरकार में संजीव खिरवार दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों में से एक थे। इस समय उनके पास तीन महत्वपूर्ण विभाग थे। दिल्ली सरकार में वह अकेले ऐसे अधिकारी थे, जिनके पास तीन महत्वपूर्ण विभाग थे।
संजीव खिरवार दिल्ली में राजस्व विभाग के प्रधान सचिव होने के साथ ही मंडलायुक्त तो थे ही, शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव और वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव का दायित्व भी उनके पास था ।
दिल्ली में तैनात सभी जिला मजिस्ट्रेट (11) और उप-मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) उन्हें संभागीय आयुक्त के रूप में रिपोर्ट करते थे।
कब बने थे दिल्ली के संभागीय अधिकारी: कोरोना महामारी के दौरान, खिरवार को दिल्ली के संभागीय आयुक्त के रूप में तैनात किया गया था , जो दिल्ली में अधिकारियों की सूची में तीसरा सबसे बड़ा पद है। इनसे ऊपर दिल्ली सरकार में केवल सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव ही है।सोशल मीडिया ने दिखाया जोर:
आईएएस अधिकारि का तबादला तत्काल करने की एक वजह ये मानी जा रही है की उनका कुत्ता घुमाते हुए फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। अब जब बात सबके सामने आ गई तो सरकार ने भी तुरंत दान महा कल्याण की नीति अपनाई और लोगो ने भी सरकार के इस कदम को सराहा।
खिलाड़ियों और कोच ने भी की थी शिकायत:
मीडिया रिपोर्ट की माने तो दिल्ली सरकार द्वारा संचालित त्यागराज स्टेडियम के कोच और खिलाड़ियों ने पहले भी इसकी शिकायत की थी और कहा था कि जिस स्टेडियम को 7 बजे बंद कर दिया जाता था। जिससे खिलाड़ियों के प्रशिक्षण में बाधा आती थी और उनके प्रदर्शन पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देता था। कई खिलाड़ियों ने तो इसी कारणवश अपना रजिस्ट्रेशन जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में करवा लिया था। वही जब आईएएस अधिकारी से इस बात के बारे में पूछा गया तो उन्होने इन आरोपों को निराधार बताया और कहा की वह तब स्टेडियम जाते थे जब वह बंद हो जाता था। उनके वहां जाने से किसी भी खिलाड़ी के प्रशिक्षण में कभी कोई बाधा नही आई।
दिल्ली सरकार ने भी तत्काल की कारवाही।
केंद्र सरकार की कारवाही को देखते हुए दिल्ली सरकार में भी तुरंत कारवाही करते हुए कहा की ऐसी किसी भी घटना को दुबारा न होने दिया जाए और अधिकारियो अपनी मर्यादा का पालन करने को कहा। इसके साथ ही दिल्ली सरकार में दिल्ली के सभी स्टेडियम को रात 10 बजे तक खोलने के आदेश भी दिए। ताकि खिलाड़ी अपने अच्छे प्रदर्शन को दिखा सके और खेल के क्षेत्र दिल्ली और दिया का गौरव बढ़ाए l
पहले भी सरकार अधिकारियो को लेकर उठा चुकी है सख्त कदम।
2017 में मोदी सरकार ने एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के. नरसिंह को कथित तौर पर कर्तव्य में लापरवाही के चलते जनहित में बर्खास्त कर दिया है।नरसिंह 1991 बैच के अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित (एजीएमयूटी) कैडर के आईएएस अधिकारी हैं।
दो वरिष्ठ IPS अधिकारी बर्खास्त किए गए
गौरतलब है कि इसी तरह की कार्रवाई में गृह मंत्रालय ने कथित तौर पर कर्तव्य में लापरवाही के लिए दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को बर्खास्त किया था. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश कैडर के 1998 बैच के अधिकारी मयंक शील चौहान और छत्तीसगढ़ कैडर के 1992 बैच के अधिकारी राजकुमार देवांगन को अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु सह सेवानिवृत्ति लाभ) नियम- 1958 के तहत समय से पहले सेवानिवृत्ति दे दी गई।
पहली बार किसी IAS अधिकारी पर की गई सख्त कार्रवाई
सरकार बनते ही मोदी सरकार से साफ किया था अपना रुख। गौरतलब है की किसी आईएएस अधिकारी के सेवामुक्त लिए जाने का पहला मामला 2014 में तब आया था जब मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार में लिप्त आईएएस दंपति अरविंद और टीनू जोशी को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। आयकर विभाग ने बर्खास्तगी से चार वर्ष पहले उनके आवास पर छापेमारी कर 350 करोड़ रुपये की संपत्ति का पता लगाया था और तीन करोड़ रुपये नकद जब्त किए थे। सीबीआई ने अरविंद के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति रखने का मामला दर्ज किया था। अधिकारी के खिलाफ आरोपों में भारतीय खेल प्राधिकरण का सचिव रहते पद के दुरुपयोग का मामला भी था।
किस नियम के तहत होती है अधिकारियो की बर्खास्तदी।
दो बार सर्विस की समीक्षा किए जाने का नियम कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने नरसिंह के अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु सह सेवानिवृत्ति लाभ) नियम- 1958 के नियम 16 (तीन) के तहत जनहित में समय पूर्व सेवानिवृत्ति को मंजूरी दे दी है। अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु सह सेवानिवृत्ति लाभ) नियम- 1958 के मुताबिक, केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकार के साथ विचार विमर्श कर और सेवा के सदस्य को कम से कम तीन महीने पहले लिखित नोटिस देकर या इस तरह के नोटिस के बदले तीन महीने के वेतन और भत्ते का भुगतान कर जनहित में सदस्य को सेवानिवृत्त कर सकती है। अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की दो बार सेवा समीक्षा की जाती है– पहली सेवा के 15 वर्ष पूरा होने पर और फिर 25 वर्ष पूरा होने पर।