आयुर्वेदा में औषधियों की कई गुण बताए गए हैं! मकोय का पौधा दिखने में साधारण सा पौधा होता है लेकिन इसके गुणों को जानकर आप हैरान हो जाएंगे इसके संपूर्ण गुणों को जानने के लिए मैंने रहे हमारी पोस्ट में और जानिए कि मकोय क्या है? और इसका पेड़ किस तरह का होता है और इसमें किस प्रकार के गुण और औषधि गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों का प्रयोग शरीर में खून बढ़ाने में किया जाता है इसकी पत्तियों को सेवन करने से हमारे शरीर में खून की वृद्धि होती है और यह कई प्रकार की बीमारियों को नष्ट कर देता है तो आइए जानते हैं मकोय के फायदे और इसके साथ ही मकोय के अधिक सेवन करने से हमारे शरीर पर क्या नुकसान हो सकते हैं यह भी जानते हैं।
मकोय का पौधा झाड़ियों की तरह होता है इसमें कई शाखाएं होती हैं मकोय 2 से 3 फीट ऊंचा होता है। इसकी शाखाएं फैली हुई होती हैं और इसका तना बहुत ही चिकना होता है। इसमें स्वयं पुष्प लगते हैं इन पुष्पों में 5 पंखुड़ियां होती हैं। इसके फूल गुच्छों में लगते हैं। इस की पत्ती चट्टी और पीछे का हिस्सा गोल और आगे का नुकीला होता है इसमें कई धारियां होती हैं और यह हरे रंग का होता है मकोय का पौधा संपूर्ण हरे रंग का होता है इसकी शाखाएं काले और बैंगनी रंग की होती हैं। इसमें छोटे-छोटे फल लगते हैं और इसमें बहुत ही बारीक बीज होते हैं इसके फल कच्चे होने पर हरे और पकने पर बैंगनी रंग के हो जाते है। मकोय के पक्के हुए फल खाने में बहुत ही स्वादिष्ट और मीठे होते हैं और इन फलों में विटामिन सी और बी पाई जाती है।
मकोय का उपयोग औषधि के रूप में इन बीमारियों पर किया जाता है इसके साथ ही हम यह भी आपको बताएंगे कि आप किस प्रकार और किस मात्रा में इसका इस्तेमाल करें तो इन बीमारियों को नष्ट कर सकते हैं।
नेत्र रोग में, कान के रोग में, मुंह के छालों में, दांत रोग में, हृदय रोग में, उल्टी में, अनिद्रा में, पाचन क्रिया ठीक करने में, लीवर संबंधी विकारों में, पीलिया में, गठिया में, चर्म रोग में, इत्यादि रोगों में मकोय का औषध के रूप में उपयोग करते हैं।
- मकोय का 150 ग्राम स्वरस नियमित रूप से पिलाने से बहुत दिनों से बढ़ा हुआ लीवर कम हो जाता है।
2.एक मिट्टी के बरतन में रस को निकाल कर इतना गरम करें कि रस का रंग हरे से लाल / गुलाबी हो जाय। रात में उबालकर, सुबह ठंडा कर सेवन करना चाहिए।तिल्ली की शांति के लिये मकोय का क्वाथ 50-600/ मि.ली., सैंधा नमक और जीरा मिलाकर सेवन करने से तिल्ली बढ़ने पर लाभ मिलता है।
1.मकोय के पत्तों काढ़ा 50ml. की मात्रा में लेकर शोरे और नौसादर के तेजाब की 5 बूंद डाल कर सुबह-शाम सेवन करने से बढ़ा हुआ लीवर ठीक हो जाता है।
2.मकोय 50 ग्राम काढ़े में हल्दी का 2-5 ग्राम चूर्ण डाल कर सेवन से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।मकोय के रस को 10ml. की मात्रा में नित्य सेवन से अच्छा विरेचन होता है और मूत्रवृद्धि होती है। गुर्दे और मूत्राशय के विकार एवं पीड़ा भी मिटती है।मकोय के पत्ते, फल और डालियों का सत्व निकालकर, 2 से 8 ग्राम तक की मात्रा में लेकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से सभी प्रकार के हृदय रोग मिटते हैं।
1.काली मकोय की 20-25 ग्राम पत्तियों को पीसकर लेप करने से कुष्ठ रोग का नष्ट हो जाता है।
2.मकोय का रस थोडी मात्रा लेप करने से शरीर में लंबे समय से पड़े लाल चट्टे नष्ट हो जाते है।मकोय पत्ते, फल और शाखाओं का रस निकालकर, 5 से 7 ग्राम तक की मात्रा में दिन में 2-3 बार देने से जलोदर रोग में लाभ मिलता है।मकोय के पत्तों के रस में घी या तेल बराबर मात्रा में मिलाकर हिलने वाले दांतो पर मलने से दांत बिना कष्ट के निकल आते हैं। मकोय के काढ़े को 50 ml. मात्रा में लेकर सुबह शाम भोजन के बाद सेवन करने से मंदाग्नि मिटती है, आंख को धोने से नेत्र की ज्योति बढ़ती है।
1.मकोय के फलों के बीज पर सूजन वाले स्थान पर लेप करने से लाभ मिलता है।
2.मकोय, शतावरी, सौवर्चल, बथुआ शाक, इनको घी में भूनकर जिस रोगी को अनुकूल पडता हो, उसे सब्जियां बनाकर सेवन करना चाहिये। भोजन कर लेने के बाद गाय, भैंस तथा बकरी का दूध सेवन करना चाहिए।