सामान्य तौर पर हमारे द्वारा मूली को सलाद के रूप में खाया जाता है, लेकिन इसके कई औषधीय फायदे भी हैं! मूली से आप जरूर परिचित होंगे। यह एक सब्जी है जिससे भारतीय कई तरह का व्यंजन बनाते हैं। लंबी और पतली सी दिखने वाली मूली भले ही बहुत अधिक स्वादिष्ट न होती हो लेकिन मूली को खाने से फायदे बहुत ही अधिक होते हैं। आप भी अगर मूली का इस्तेमाल करते हैं और मूली के फायदे के बारे में नहीं जानते हैं तो आपको जरूर मूली के उपयोग से होने वाले लाभ के बारे में जानना चाहिए।
दरअसल मूली एक बहुत ही उत्तम औषधि है और आप मूली के प्रयोग से कई बीमारियों में स्वास्थ्य लाभ पा सकते हैं, अनेक रोगों की रोकथाम कर सकते हैं। आयुर्वेद में मूली के बारे में बहुत सारी बातें बताई गई हैं। आइए सबके बारे में जानते हैं! भारत में मूली को सब्जी के साथ-साथ सलाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। मूली के नए पत्ते देखने में सरसों के पत्तों जैसे होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के और देखने में सरसों के फूलों की तरह ही होते हैं।
रंगों के अनुसार मूली दो प्रकार की होती है।
सफेद मूली
लाल मूली
इसके बीज और जड़ से सफेद रंग का तेल निकाला जाता है।
मूली से बने जूस या सूखी मूली से काढ़ा बनाएं। इसे 50-100 मिली की मात्रा में 1-1 घंटे के अंतराल में सेवन करें। इससे हिचकी में लाभ होता है।दाद या खुजली होने पर मूली के बीजों को नींबू के रस में पीसकर लगाएं। इससे दाद ठीक होता है।सूजन के इलाज के लिए 5 ग्राम तिलों के साथ मूली के 1-2 ग्राम बीजों का सेवन करें। ऐसा दिन में दो-तीन बार करने से सूजन ठीक होता है।
मूली और तिल के तेल को कान में 2-2 बूंद डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
3 ग्राम मूली क्षार और 20 ग्राम शहद को मिलाएं। इसमें बत्ती भिगोकर कान में रखने से मवाद आना बन्द हो जाता है।
मूली के रस को थोड़ा गर्म करें। इसमें मधु, तेल एवं सेंधा नमक मिलाकर कान में डालने से कान के दर्द से आराम मिलता है।
मूली कंद के रस या पत्ते के रस से पकाए हुए तिल के तेल को 1-2 बूंद की मात्रा में कान में डालें। इससे कान का दर्द ठीक होता है।
मूली के 5-10 ग्राम बीजों को पीस लें। इसे गर्म जल के साथ दिन में 3-4 बार सेवन करने से कंठ रोग ठीक होता है और गला साफ होता है।छाया में सुखाई हुई छोटी मूली का भस्म बना लें। इसे 1 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से सांसों की बीमारी में लाभ होता है। इसके साथ चीनी और गुनगुना हलवा का सेवन करना अधिक गुणकारक होता है।
5 मिली मूली के रस में बराबर मात्रा में मधु और सेंधा नमक मिलाएं। इसका सेवन करने से सांस की नली से संबंधित परेशानी में आराम मिलता है।
500 मिग्रा मूली क्षार में 1 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार चाटने से सांसों के रोग में लाभ होता है।
मूली से निर्मित जूस या सूखी मूली से बने काढ़ा को 50-100 मिली की मात्रा में सेवन करने से सांसों की बीमारी ठीक होती है।
सूखी मूली से बने जूस का सेवन करने से भी सांसों के रोग में लाभ होता है।
वातज विकार के कारण होने वाली खाांसी को ठीक करने के लिए मूली की सब्जी का सेवन करें।
छाया में सुखाई हुई छोटी मूली का भस्म बना लें। इसे 1 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से खांसी की बीमारी में लाभ होता है, इसके साथ चीनी और गुनगुना हलवा का सेवन करना अधिक फायदेमंद होता है।
पाचनतंत्र को मजबूत बनाने के लिए मूली का प्रयोग खाने के बाद करें। भोजन से पहले यह पाचन में भारी होती है लेकिन भोजन के बाद भोजन को पचाने में मदद करती है।
मूली का 20 मिली रस निकालकर उसमें 50 ग्राम गाय का घी मिलाकर सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।
मूली की सब्जी का सेवन वातज विकार के कारण होने वाली बवासीर की बीमारी में लाभ मिलता है।
मूली के पत्तों को छाया में सुखाकर पीस लें। इसमे समान मात्रा में चीनी मिलाकर 40 दिन तक 25 से 50 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे बवासीर में फायदा होता है।
मूली के कन्दों का ऊपर का सफेद मोटा छिलका उतारकर और पत्तों को अलग कर रस निकालें। इसमें छह ग्राम घी मिलाकर रोज सुबह-सुबह सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
इसके साथ ही 10 ग्राम फिटकरी को एक लीटर मूली के पत्ते के रस में उबालें। जब यह गाढ़ा हो जाए तो बेर के समान गोलियां बना लें। एक गोली मक्खन में लपेटकर खाएं। ऊपर से 125 ग्राम दही पिला दें। इससे खूनी बवासीर में फायदा मिलता है।
मूली के ताजे पत्तों को जल के साथ पीसकर उबाल लें। दूध की भांति झाग ऊपर आ जाता है। इसको छानकर दिन में तीन बार पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
मूली की सब्जी का सेवन करने से भी वातज विकार के कारण होने वाली पीलिया में फायदा होता है।