Friday, March 14, 2025
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एक ऐसा नेता जिसके दादा डॉक्टर, तो खुद माफिया डॉन!

मुख्तार अंसारी एक ऐसे नेता थे जिनके दादा डॉक्टर थे लेकिन खुद सबसे बड़े दादा! वो कभी जुर्म की दुनिया के शहंशाह रहे लेकिन राजनीति में आए तो ऐसा खेल खेला कि बड़े बड़ों को मात दे दी। उत्तर प्रदेश गवाह रहा है कई ऐसे नेताओं का जिनका नाता जितना राजनीति से है उतना ही अपराध से भी है। ये बात दूसरी है कि अपराध साबित हुआ या नहीं, वो जेल में हैं या बाहर लेकिन ऐसे नेताओं पर हत्या, लूटपाट, किडनैपिंग जैसे बड़े-बड़े आरोप लगते ही रहे हैं।

लंबा चौड़ा कद, रौबीली मूंछें, दमदार आवाज़, उत्तर प्रदेश के इस बाहुबली नेता को राजनीति में कौन नहीं जानता। उत्तर प्रदेश मऊ से लगातार 5 बार विधानसभा सीट जीत चुके बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी किसी न किसी खबर का हिस्सा अक्सर होते ही हैं। वो जेल में रहे या जेल से बाहर, वक्त-वक्त पर इस बाहुलबी नेता की खबरें सुर्खियां बंटोर ही लेती हैं। पिछले 13 सालों से जेल में बंद मुख्तार अंसारी पर 40 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं। पिछले एक साल से उत्तरप्रदेश की बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी को लेकर खबरें तो आपने कई देखी होंगी लेकिन आज हम इस सीरीज में आपको इस बाहुबली के उन पहलुओं से रुबरू करवांगे जो उनके राजनैतिक करियर से तो जुड़े ही होंगे, साथ ही उनकी पर्सनल ज़िंदगी से भी ताल्लुक रखते हैं। हम आपको बताएंगे जुर्म की दुनिया के इस बेताज़ बादशाह को क्या है पसंद और क्या ना पसंद। कैसे बीता इस बाहुबली का बचपन और कैसे मुख्तार अंसारी ने रखा अपराध की दुनिया में पहला कदम।

मुख्तार अंसारी जो बेशक पूर्वांचल के माफिया डॉन के नाम से भी जाने जाते हो लेकिन उनका परिवार का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में बेहद सम्मानित परिवार में हुआ। मुख्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे। वे 1926-1927 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग अध्यक्ष भी रहे। डॉक्टर अंसारी गांधी जी से बेहद प्रभावित थे और गांधी जी के काफी करीबी भी माने जाते थे। डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी के नाम पर दिल्ली में एक सड़क का नाम भी रखा गया था। मुख्तार अंसारी का परिवार पूर्वांचल में हमेशा से सिर्फ बड़ा रुतबा ही नहीं रखता आया बल्कि जनता के बीच उनका खासा सम्मान भी रहा है। मुख्तार अंसारी के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी बड़े कम्युनिस्ट नेता थे और अपने परिवार की विरासत को उन्होंने खूससूरती के साथ आगे बढ़ाया।आप हैरान रह जाएंगे जब आप ये जानेंगे कि एक और बेहद सम्मानित नाम मुख्तार अंसारी के साथ जुड़ा हुआ है। जी हां भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा लगते हैं।

अगर बात करे मुख्तार अंसारी के ननिहाल की तो वो भी काफी ऊंचा और इज्जतदार घराना माना जाता था। मुख्तार अंसारी के नाना बिग्रेडियर उस्मान आर्मी में थे और उन्हें उनकी वीरता के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। बिग्रेडियर उस्मान ने 1947 की जंग में भारत को नवशेरा में जीत दिलाई थी। वो इस युद्ध में लड़ते हुए शहीद हो गए थे और उनकी शहादत के बाद ही उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। अब आप सोच रहे होंगे कि इतने गौरवशाली परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद क्यों मुख्तार अंसारी जुर्म की दुनिया में पहुंच गए। क्या वजह थी कि एक स्वतंत्रता सेनानी का पोता, एक बेहद सम्मानित आर्मी ऑफिसर का नाती का नाम हमेशा जुर्म के काली किताब में दर्ज रहा। आखिर ऐसी क्या वजह थी कि इतने बड़े परिवार से आने के बावजूद मुख्तार अंसारी ने चुना माफिया डॉन बनना।

मुख्तार अंसारी का बचपन भी बेहद अच्छे माहौल में बीता। उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई युसुफपुर गांव में पुरी की। उसके बाद उन्होंने गाजीपुर कॉलेज से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन पूरी की। स्कूल और कॉलेज के दौरान वो अक्सर खेलों में हिस्सा लेते रहे। कहते हैं मुख्तार अंसारी को क्रिकेट और फुटबाल में खासी दिलचस्पी है। 1989 में अफशा अंसारी से मुख्तार की शादी हुई। दोनों के दो बेटे हैं। मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे राजनीति में ही जबकी छोटे बेटे अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग के इंटरनेशनल प्लेयर हैं और कई बार उन्होंने पदक हासिल कर देश का नाम रौशन किया है।

मुख्तार अंसारी 2005 के बाद से ही अलग अलग जेलों में बंद हैं। पहले उन्हें गाजीपुर जेल में रखा गया, उसके बाद मथुरा, आगरा, बांदा, कई जेलों में सालों से वो बंद हैं, लेकिन बावजूद इसके पूर्वांचल में उनका दबदबा कायम रहा अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर वो कुछ समय तक पंजाब की रोपड़ जेल में भी रहे। रोपड़ जेल में तो मुख्तार अंसारी को वीआईपी ट्रीटमेंट देने की खबरें भी सामने आईं थीं। कहा जा रहा था कि खुद कई जेल अधिकारी मुख्तार अंसारी की तीमारदारी में लगे हुए थे। हालांकि बाद में एक बार फिर उन्हें बांदा जेल में ही भेज दिया गया। मुख्तार जिस भी जेल में रहे राजनीति की विसात वहीं से बिछाते रहे। वो जेल से ही पूर्वांचल की राजनीति में अपना खेल खेलते रहे। अपने बेटे और भाई दोनों को सीट दिलवाने में मुख्तार अंसारी का ही हाथ है। हालांकि पिछले कुछ सालों में जब से बीजेपी की सरकार आई मुख्तार अंसारी की मुसीबतें बढ़ती नज़र आईं। उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्तार अंसारी और उनके पूरे गैंग पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। उनकी करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति को जब्त कर लिया गया है जबकी इस गैंग के कई गुर्गे अलग-अलग आरोपों में जेल में बंद हैं। मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी और बहनोई एजाजुल की अवैध संपत्ति को भी जब्त किया गया। अफजल अंसारी और एजाजुल पर भी 2007 में ही कृष्णानंद हत्याकांड में गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था।

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