हाल ही में देश में लगातार तीन आतंकी हमले हो चुके हैं! पीएम मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बन गए हैं। पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण के दिन से ही जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद ने सिर उठाना शुरू कर दिया है। बीते 72 घंटों में आतंकवादी 3 आतंकी हमलों को अंजाम दे चुके हैं। क्या जम्मू-कश्मीर में कोई नया लोकल नेटवर्क ऐक्टिव हो गया है, जो पाकिस्तान समर्थित दहशतगर्दों को सपोर्ट कर रहा है। दरअसल यह बात सुरक्षाबलों और खुफिया एजेंसियों को टेंशन दे रही है। केंद्रीय खुफिया सूत्रों के मुताबिक, जम्मू और कश्मीर (J&K) में पिछले 72 घंटों में हुए तीन हमलों में शामिल विदेशी आतंकवादियों की मदद करने वाला एक नया आतंकी नेटवर्क पकड़े जाने का शक है। इस नेटवर्क में स्थानीय लोग और स्थानीय आतंकी शामिल बताए जा रहे हैं। इन हमलों में 11 लोग मारे गए और करीब 50 लोग घायल हुए। हर एक हमले में विदेशी आतंकवादियों को सुरक्षाबलों के बचने के रास्तों, ठिकानों और उनके शिविरों के बारे में सटीक जानकारी मिली, जिसने चिंता बढ़ा दी है। एजेंसियों को शक है कि कोई नया या पुराना स्थानीय समर्थन का नेटवर्क है जो मदद कर रहा है, जिसमें खाने के सामान की सहायता भी शामिल है। जम्मू और कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ और खुफिया एजेंसियों के बड़े अधिकारियों का कहना है कि ये हमले आतंकी गुटों की नाकामी को दिखाते हैं, खासकर भारत की ओर से जम्मू और कश्मीर में लोकसभा चुनाव सफलतापूर्वक कराने के बाद।
सूत्रों के मुताबिक, कुछ हफ्ते पहले ये सूचना मिली थी कि लगभग 70-80 विदेशी आतंकी घुसपैठ कर चुके हैं। इन्होंने हथियार हासिल किए, आसानी से पनाह और खाना पाया, सुरक्षाबलों के शिविरों के बारे में जानकारी हासिल की, खास ठिकानों तक पहुंचने का तरीका सीखा और हमलों के बाद भागने में आसानी के लिए सुनसान इलाकों की जानकारी जुटाई। जैसे ही सूचना मिली एक सब-डिवीजनल पुलिस अफसर और एक थाना प्रभारी के नेतृत्व में पुलिस टीम गांव पहुंची।सूत्रों का कहना है कि इन विदेशी आतंकवादियों का स्थानीय लोगों से संपर्क होने का शक है, जो शायद उन्हें हमले वाली जगहों तक ले जाने में भी मदद कर सकते हैं। सुरक्षाबलों और खुफिया एजेंसियों को शक है कि जम्मू में अभी और भी आतंकी हो सकते हैं। यह भी आशंका है कि ये आतंकी संगठन मिलकर हमले कर रहे हैं।
सुरक्षाबलों की सबसे बड़ी चिंता ये है कि आतंकी कैसे हमले की जगह से भागने में कामयाब हुए। जम्मू कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों की निगरानी करने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज चैनल, न्यूज 18 को बताया, ‘जिस तरह से वे सभी रास्ते जाने बिना हमले की जगह से निकल पाए, उससे लगता है कि कोई स्थानीय व्यक्ति उनके साथ गया होगा और उन्हें रास्ता दिखाया होगा। साथ ही हमला करने के बाद स्थानीय मदद से उन्हें पनाह मिली होगी और खुले माध्यमों से सुरक्षाबलों की गतिविधियों के बारे में जानकारी भी मिली होगी।’ एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इन आतंकवादियों ने स्थानीय नेटवर्क को फिर से मजबूत कर लिया है, जिसमें जमीनी मददगार, स्थानीय आतंकी और शायद कुछ आम लोग भी शामिल हैं।
जम्मू जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आनंद जैन ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि लगभग रात 8 बजे सीमा पार से घुसे दो संदिग्ध आतंकी सांझा सुखाल गांव में दिखाई दिए और एक घर से पानी मांगा। ग्रामीण डर गए। जैसे ही सूचना मिली एक सब-डिवीजनल पुलिस अफसर और एक थाना प्रभारी के नेतृत्व में पुलिस टीम गांव पहुंची।।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद हुए बड़े हमलों में से एक, रविवार को रियासी जिले में शिवखोड़ी मंदिर से कटरा जा रहे श्रद्धालुओं की बस पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया था। बता दें कि एक हमले में विदेशी आतंकवादियों को सुरक्षाबलों के बचने के रास्तों, ठिकानों और उनके शिविरों के बारे में सटीक जानकारी मिली, जिसने चिंता बढ़ा दी है। एजेंसियों को शक है कि कोई नया या पुराना स्थानीय समर्थन का नेटवर्क है जो मदद कर रहा है, जिसमें खाने के सामान की सहायता भी शामिल है। जम्मू और कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ और खुफिया एजेंसियों के बड़े अधिकारियों का कहना है कि ये हमले आतंकी गुटों की नाकामी को दिखाते हैं, खासकर भारत की ओर से जम्मू और कश्मीर में लोकसभा चुनाव सफलतापूर्वक कराने के बाद। चारों तरफ से फायरिंग के कारण बस गहरी खाई में गिर गई, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई थी और 41 अन्य घायल हो गए थे।