आखिर G-20 के लिए तैनात कैसे है HIT कमांडो?

0
113

आज हम आपको G-20 के लिए तैनात HIT कमांडो के बारे में बताने जा रहे हैं! जी-20 समिट को लेकर देश की राजधानी दिल्ली दुल्हन की तरह सज रही है। मेहमानों की सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए हैं। चप्पे-चप्पे पर चील जैसी निगाह रखी जा रही है। समिट के लिए अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, चीन, सऊदी अरब जैसे G-20 के तमाम सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष पधार रहे हैं। ये वीवीआईपी मेहमान शहर के अलग-अलग होटलों में ठहरेंगे। इसलिए होटलों की सुरक्षा भी अभेद्य होगी। होटल के बाहर चप्पे-चप्पे पर SWAT कमांडो नजर रखेंगे और भीतर बेहद खतरनाक HIT स्क्वॉड के जांबाज मोर्चा संभालेंगे। जिन होटलों में विदेशी मेहमान ठहरे हैं, अगर वहां बंधक संकट जैसी स्थिति भी पैदा हुई तो उससे निपटने के लिए ‘हाउस इंटरवेंशन टीम’ यानी HIT स्क्वॉड तैनात रहेगी। इसमें नैशनल सिक्यॉरिटी गार्ड और दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमांडों होंगे। अर्बन वॉरफेयर में खास तौर पर ट्रेंड ये कमांडो अति आधुनिक और खतरनाक हथियारों से लैस होंगे। इनके पास किल ऑर्डर होगा यानी संदिग्ध को खल्लास करने के लिए इन्हें सोचना नहीं होगा। आइए जानते हैं कैसे काम करेगी HIT स्क्वॉड और कौन सी चीजें बनाती हैं इसे बेहद खतरनाक। हाउस इंटरवेंशन टीम’ यानी हिट स्क्वॉड को 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के बाद खासकर बंद जगहों जैसे घर, होटल या किसी भी तरह की इमारत में आतंकियों से निपटने के लिए बनाई गई। इसमें शामिल कमांडो को ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए खास ट्रेनिंग दी गई है।

HIT स्क्वॉड SWAT स्पेशल वेपंस ऐंड टैक्टिक्स टीमों से अलग होगी। SWAT टीमें होटल के बाहर तैनात रहेंगी जबकि हिट स्क्वॉड होटल के बीचो-बीच किसी खास कमरे से हर तरफ निगाह रखेंगी। हाउस इंटरवेंशन टीम होटलों में बंधक संकट जैसी स्थितियों से निपटने के लिए तैनात होंगी! इसमें नैशनल सिक्यॉरिटी गार्ड एनएसजी और दिल्ली पुलिस के कमांडो शामिल होंगे

HIT स्क्वॉड में शामिल कमांडो को इमारत के भीतर ऑपरेशन चलाने में खास तौर पर ट्रेंड किया गया है! इन कमांडो को किसी भी इमारत में अचानक दाखिल होने, आतंकियों का काम-तमाम करने और बंधकों को रेस्क्यू करने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग मिली हुई है, HIT स्क्वॉड की मदद के लिए स्नाइपर्स को भी बैकअप के तौर पर रणनीतिक लिहाज से अहम जगहों पर तैनात किया जाएगा। ये स्नाइपर ऐसी जगहों पर तैनात होंगे जहां से होटल की पूरी गैलरी साफ-साफ नजर आएगी। इनके पास 800 मीटर तक मार करने में सक्षम हेकलर और कोच पीएसजी-1 स्नाइपर्स के साथ-साथ ड्रैगुनोव एसवीडी राइफल होंगे। HIT कमांडो के पास ग्लॉक 17 और इजरायली Tavor TAR-21 जैसे कम दूरी तक मार करने वाले हथियार होंगे, अगर दुश्मन कोनों में छिप जाए तब भी ये कमांडो उन्हें आसानी से खल्लास कर देंगे। इसके लिए उनके पास बेहद खास कॉर्नर-शॉट वेपन सिस्टम होगा जिनमें वीडियो कैमरे भी लगे होंगे। कमांडो जरूरत पड़ने पर इस हथियार को मोड़ सकेंगे और कॉर्नर्स में छिपे आतंकियों को वीडियो कैमरे में देखकर सटीक निशाना भी लगा सकेंगे। HIT स्क्वॉड के पास SIG MPX सबमशीन गन और हेकलर, कोच MP5 सबमशीन गन भी होंगे। बैकअप स्नाइपर टीमों के पास हेकलर ऐंड कोच पीएसजी-1 और ड्रैगुनोव एसवीडी स्नाइपर राइफलें होंगी जो 800 मीटर तक सटीक निशाना लगा सकेंगी।

आपको बता दें कि आर्मी के पैरा और नेवी के मार्कोस कमांडो कुछ सालों के लिए वॉलनटियर के तौर पर कार्य करते हैं। इससे अलग वायु सेना के गरुड़ कमांडो वॉलनटियर नहीं होते। उन्हें सीधे स्पेशल फोर्स की ट्रेनिंग के लिए ही भर्ती किया जाता है। एक बार गार्ड फोर्स जॉइन करने के बाद ये कमांडो अपने पूरे करियर के लिए इस यूनिट के साथ रहते हैं। इस वजह से यूनिट के पास लंबे समय के लिए बेस्ट सोल्जर रहते हैं। गरुड़ कमांडो बनना आसान काम नहीं है। सभी रिक्रूट्स का बेसिक ट्रेनिंग कोर्स 52 हफ्तों का इंडियन स्पेशल फोर्सेज में सबसे लंबा होता है। शुरुआती 3 महीनों के प्रोबेशन पीरियड में एट्रिशन रेट काफी ज्यादा होता है और इसी दौरान अगले दौर की ट्रेनिंग के लिए बेस्ट जवानों की छंटनी हो जाती है। गरुड़ कमांडो को लगभग ढाई साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद तैयार किया जाता है। कमांडो ट्रेनिंग में इन्हें उफनती नदियों और आग से गुजरना, बिना सहारे पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है। भारी बोझ के साथ कई किलोमीटर की दौड़ और घने जंगलों में रात गुजारनी पड़ती है। खतरनाक हथियारों से लैस इंडियन एयरफोर्स के खूंखार गरुड़ कमांडो दुश्मन को खत्म करके ही सांस लेते हैं।