आज हम आपको बताएंगे कि सभी ढोंगी बाबा अपना जादू कैसे फैलाते हैं! एक शहर में दरबार लगा है। यह दरबार किसी राजा-महाराजा का नहीं, बल्कि एक स्वयंभू बाबा का है, जो खुद को ईश्वर का अवतार बताता है। एक व्यक्ति भरे दरबार में खड़ा होता है और कहता है कि बाबा मुझे नौकरी नहीं लगी है। इस पर बाबा कहते हैं कि तुमने पिछली बार समोसा कब खाया था? वह व्यक्ति कहता है कि मैंने पिछले संडे को समोसा खाया था। तब बाबा पूछते हैं कि यह जो समोसा तुमने खाया, वो लाल चटनी के साथ खाई थी या हरी चटनी के साथ? तब वह आदमी कहता है कि लाल चटनी के साथ। इस पर बाबा फौरन कहते हैं कि बस यही कृपा रुकी हुई है। अबकी बार जब भी समोसा खाना तो हरी चटनी के साथ खाना। कृपा दौड़ती हुई आएगी। यह तो एक बाबा की कहानी है। अब जरा एक और बाबा की कहानी जान लीजिए। इससे पहले इसी साल फरवरी में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में दो नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म करने वाले एक पाखंडी बाबा को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। आरोप है कि बाबा लोगों को दैवीय शक्तियों से पैसों की बारिश होने का झांसा देता था। वह कहता था कि बेटियों को अनुष्ठान में भेजो तो पैसों की बारिश कराऊंगा। दरअसल, पीड़िता के परिवार को यह जानकारी मिली थी कि बाबा कहे जाने वाला कुलेश्वर सिंह राजपूत कुंवारी लड़कियों की पूजा करवाता है, जिसके बाद काफी पैसा बरसता है। इस झांसे में आकर घरवालों ने घर की दोनों नाबालिग बेटियों को पाखंडी बाबा के पास रतनपुर भेजा।
सार्क यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. देवनाथ पाठक के अनुसार, आप किसी भी शहर में चले जाएं या आप ट्रेन से कहीं गुजर रहे हों तो अक्सर शहर आते ही दीवारों पर बड़े-बड़े अक्षरों में वशीकरण, सौतन और दुश्मन से छुटकारा पाएं, प्यार में चोट खाए प्रेमी यहां संपर्क करें जैसे विज्ञापनों की बाढ़ देखने को मिलती है। ज्यादातर विज्ञापन बाबा बंगाली के नाम से छपे हुए दिखते हैं, जो शर्तिया समस्या का समाधान करने की बात कहते हैं। भारत सच्चे साधु-संतों के साथ-साथ ऐसे फर्जी और ढोंगी बाबाओं का भी गढ़ रहा है, जिनके पास हमराज चूर्ण की तरह हर समस्या का समाधान है। उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई। हाथरस के सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के गांव फुलरई में आयोजित भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 100 से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी। मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं। बताया जा रहा है कि भोले बाबा मूल रूप से कांशीराम नगर (कासगंज) में पटियाली गांव के रहने वाले हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने 2017 में 14 ऐसे फर्जी बाबाओं की लिस्ट तैयार की थी, जो मनी लॉन्ड्रिंग, रेप और हत्या के कई मामलों में आरोपी रहे थे। इनमें डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम, आसाराम, नारायण साई, राधे मां, रामपाल, स्वामी असीमानंद, स्वामी सच्चिदानंद, ओम स्वामी, निर्मल बाबा, इच्छाधारी भीमानंद, आचार्य कुशमुनि, बृहस्पति गिरि और मलखान सिंह शामिल थे।
राम रहीम पर रेप और हत्या के मामले चल रहे हैं। आसाराम बापू पर हत्या और रेप का मुकदमा दर्ज है और वह 2013 से जेल में बंद है। आसराम के बेटे नारायण साई पर शिष्या से रेप के आरोप हैं। राधे मां पर दहेज उत्पीड़न को बढ़ावा देने का आरोप है। संत रामपाल पर हत्या का आरोप है। स्वामी असीमानंद पर 4 आतंकी हमलों की साजिश रचने के आरोप हैं। स्वामी सच्चिदानंद को डिस्को बाबा या बिल्डर बाबा भी कहा जाता है, जिस पर शराब के कारोबार के आरोप हैं। वहीं, बिग बॉस सीजन 10 में रहे ओम स्वामी पर महिला पर यौन शोषण का आरोप है। निर्मल बाबा पर टैक्स चोरी करने और अंध विश्वास फैलाने के आरोप हैं। इच्छाधारी भीमानंद पर एक सेक्स रैकेट चलाने का आरोप है। आचार्य कुशमनि, बृहस्पति गिरि और मलखान सिंह पर भी ऐसे ही आरोप हैं। हालांकि, इन सभी ने अखाड़ा परिषद की इस लिस्ट को नकार दिया था।
साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. देवनाथ पाठक ने बताया कि बाबाओं के बारे में एक बड़ी थ्योरी अमेरिकन सोशियोलॉजिस्ट जॉर्ज रिजर ने दी है। उन्होंने 2011 में अपनी किताब सोशियोलॉजिकल थ्योरी में बताया है कि जितने भी धार्मिक नेता होते हैं, उनमें ज्यादातर चमत्कार का सहारा लेते हैं। ऐसे लोग एक समूह बनाते हैं, जो उनमें आस्था रखते हैं और दूसरे लोगों को बाबा की खूबियों और उनके चमत्कार को बताते हैं। इससे ज्यादा से ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं।
ज्यादातर बाबा लोगों को उनकी समस्याओं को लेकर टार्गेट करते हैं और उनसे मुक्ति दिलाने के नाम पर पैसे बनाते हैं या गलत काम करते हैं। उन्होंने इसके लिए एक सर्वे किया, जिसमें यह पता लगा कि ऐसे धार्मिक सत्संगों में सबसे ज्यादा जाने वाली महिलाएं होती हैं। पुरुष भी जाते हैं। सत्संग में सबसे ज्यादा 40 से 50 साल के बीच की महिलाएं और पुरुष जाते हैं। सबसे कम संख्या 20 से 30 साल वालों की होती है। सर्वे में यह निकलकर आया कि 20 से 30 साल वाले अपनी सामाजिक जिंदगी से संतुष्ट होते हैं और वह हर तरह से खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। वहीं, 40-50 के बीच वालों में ज्यादातर सामाजिक असुरक्षा और अंसतोष का भाव होता है। स्टडी के अनुसार, ज्यादातर लोग अपने दोस्तों की बदौलत ऐसे बाबाओं के संपर्क में आते हैं। सर्वे में करीब 34 फीसदी ऐसे लोग थे। वहीं, टीवी के जरिए करीब 28 फीसदी लोगों को ऐसे सत्संग या बाबा के बारे में पता चलता है। जबकि 25 फीसदी को इंटरनेट से यह जानकारी होती है। महज 13 फीसदी को ही दूसरे सोर्स से ऐसे बाबाओं के बारे में जानकारी पता चली थी।