Thursday, November 21, 2024
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आखिर पहले ही कैसे की जाती है मौसम की भविष्यवाणी?

आज हम आपको बताएंगे कि पहले ही मौसम की भविष्यवाणी आखिर कैसे की जाती है!केरल के वायनाड में तेज बारिश के बाद लैंडस्लाइड में मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। कई लोग घायल हैं और कई लोग अब भी लापता हैं। लैंडस्लाइड सोमवार देर रात चार गांवों में हुई। इनमें घर, पुल, सड़कें और गाड़ियां बह गईं। राहत बचाव का कार्य अब भी जारी है। एनडीआरएफ और सेना भी वहां मौजूद है। वायनाड हादसे पर बुधवार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में दावा किया कि भूस्खलन से सात दिन पहले ही राज्य को चेतावनी दे दी गई थी। उन्होंने कहा कि 24 जुलाई को भी एक और चेतावनी दी गई थी। उन्होंने कहा कि भारत के पास दुनिया की सबसे आधुनिक समय-पूर्व चेतावनी प्रणाली मौजूद है और 2014 के बाद भारत उन तीन-चार देशों में से एक है, जो आपदा से सात दिन पहले ही पूर्वानुमान साझा करते हैं।  मौसम विभाग 24 घंटों में 20 सेमी से अधिक बारिश होने और भारी से अत्यधिक भारी बारिश के लिये रेड अलर्ट जारी करता है, जबकि ऑरेंज अलर्ट का मतलब बहुत भारी बारिश (6 सेमी से 20 सेमी) है। एकत्रित डेटा का विश्लेषण मौसम वैज्ञानिकों द्वारा किया जाता है जो अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर मौसम के पैटर्न की पहचान करते हैं।मौसम पूर्वानुमान विभिन्न माध्यमों जैसे टेलीविजन, रेडियो, समाचार पत्रों और इंटरनेट के माध्यम से जनता तक पहुंचाया जाता है। कई मोबाइल ऐप्स भी मौसम की जानकारी प्रदान करते हैं।कंप्यूटर मॉडल भी डेटा का विश्लेषण करते हैं और भविष्य के मौसम की स्थिति की भविष्यवाणी करते हैं।भारत के पास दुनिया की सबसे आधुनिक समय-पूर्व चेतावनी प्रणाली मौजूद है और 2014 के बाद भारत उन तीन-चार देशों में से एक है, जो आपदा से सात दिन पहले ही पूर्वानुमान साझा करते हैं।

भारत में मौसम का पूर्वानुमान एक जटिल प्रक्रिया है। इसका सही पता लगाने के लिए कई तरह के उपकरणों और तकनीक का उपयोग किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में भारत मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने में पहले से सक्षम हुआ है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) यह भारत में मौसम संबंधी सभी गतिविधियों का केंद्र है। यह विभाग देश भर में फैले हुए हजारों मौसम स्टेशनों के नेटवर्क के माध्यम से डेटा एकत्र करता है। ये स्टेशन तापमान, आर्द्रता, वायु दाब, वर्षा, हवा की गति और दिशा जैसे विभिन्न मौसम संबंधी पैरामीटरों को मापते हैं। IMD उपग्रहों से भी डेटा प्राप्त करता है जो बादलों की गतिविधि, समुद्र के तापमान और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

IMD वैश्विक और क्षेत्रीय मौसम मॉडल का उपयोग करता है। ये मॉडल भौतिक नियमों और गणितीय समीकरणों पर आधारित होते हैं। इसके लिए सुपरकंप्यूटरों की आवश्यकता होती है जो बड़ी मात्रा में डेटा का संग्रह करते हैं। इसके बाद डेटा का विश्लेषण मौसम वैज्ञानिक करते हैं। IMD अन्य देशों के मौसम विज्ञान विभागों के साथ सहयोग करता है ताकि वैश्विक मौसम प्रणाली को बेहतर ढंग से समझा जा सके।एकत्रित डेटा का विश्लेषण मौसम वैज्ञानिकों द्वारा किया जाता है जो अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर मौसम के पैटर्न की पहचान करते हैं।कंप्यूटर मॉडल भी डेटा का विश्लेषण करते हैं और भविष्य के मौसम की स्थिति की भविष्यवाणी करते हैं।

मौसम पूर्वानुमान विभिन्न माध्यमों जैसे टेलीविजन, रेडियो, समाचार पत्रों और इंटरनेट के माध्यम से जनता तक पहुंचाया जाता है। कई मोबाइल ऐप्स भी मौसम की जानकारी प्रदान करते हैं।जो आपदा से सात दिन पहले ही पूर्वानुमान साझा करते हैं।  मौसम विभाग 24 घंटों में 20 सेमी से अधिक बारिश होने और भारी से अत्यधिक भारी बारिश के लिये रेड अलर्ट जारी करता है, बता रहे हैं भारत में मौसम का पूर्वानुमान एक जटिल प्रक्रिया है। इसका सही पता लगाने के लिए कई तरह के उपकरणों और तकनीक का उपयोग किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में भारत मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने में पहले से सक्षम हुआ है। बता दें कि वायनाड हादसे पर बुधवार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में दावा किया कि भूस्खलन से सात दिन पहले ही राज्य को चेतावनी दे दी गई थी। उन्होंने कहा कि 24 जुलाई को भी एक और चेतावनी दी गई थी। जबकि ऑरेंज अलर्ट का मतलब बहुत भारी बारिश 6 सेमी से 20 सेमी है। IMD लगातार अपने मॉडलों और तकनीकों में सुधार करने के लिए अनुसंधान करता रहता है। IMD अन्य देशों के मौसम विज्ञान विभागों के साथ सहयोग करता है ताकि वैश्विक मौसम प्रणाली को बेहतर ढंग से समझा जा सके।

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