आखिर कैसे चुने गए देश के 11 वें राष्ट्रपति?

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देश की 11 वें राष्ट्रपति के चुनाव की भी एक अद्भुत कहानी है! अटल बिहारी वाजपेयी। ऐसी शख्‍सियत जो करोड़ों देशवासियों की प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। वाजपेयी को चाहने वाले सिर्फ उनकी पार्टी में नहीं थे। प्रतिद्वंद्वी पार्टियां भी उनका बहुत सम्‍मान करती थीं। वह प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे हों या व‍िपक्ष में, उनकी लोकप्रियता पर इस बात से कभी कोई फर्क नहीं पड़ा। अटल के फैसलों में उनके व्‍यक्तित्‍व की छाप साफ दिखाई देती थी। बिंदास। बेलौस। पूर्व राष्‍ट्रपति एपीजे अब्‍दुल कलाम भी उनके बहुत बड़े प्रशंसक थे। इन दोनों ने साथ में बहुत करीब से काम किया। 13 मई 1998 को देश ने पोखरन में सफल परमाणु परीक्षण किया था। उस वक्‍त अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। इस परीक्षण का नेतृत्‍व ‘मिसाइल मैन’ ने किया था। दोनों की ट्यूनिंग जबर्दस्‍त थी। इनसे जुड़ा एक और किस्‍सा है। यह तब का है जब राष्‍ट्रपति पद के लिए कलाम के नाम का ऐलान हो गया था। वहीं, उन्‍हें इसका कुछ पता नहीं था। यह वाक्‍या मजेदार है। उन्‍हें खोजने के लिए तत्‍कालीन सरकार को खुफिया ब्‍यूरो की सेवाएं तक लेनी पड़ी थीं।

11वें राष्‍ट्रपति का चुनाव बेहद दिलचस्‍प था। देश एक ऐसा राष्‍ट्रपति चुनने जा रहा था जिसका कोई पॉलिटिकल बैकग्राउंड नहीं था। लेकिन, वह इतनी बड़ी शख्‍स‍ियत थी ज‍िसके नाम का विरोध करना देश बर्दाश्‍त नहीं कर सकता था। इस शख्‍स ने देश को परमाणु संपन्‍न किया था। राजनीतिक पैंतरेबाजी में अटल जी की सानी नहीं थी। यही पैंतरा उन्‍होंने 2002 में चला था। उन्‍होंने एनडीए के इरादे साफ कर दिए थे। तत्‍कालीन प्रधानमंत्री ने राष्‍ट्रपति चुनाव के लिए कलाम के नाम का समर्थन करने का ऐलान किया था।

अटल जी तब कलाम को इस बारे में बताना चाहते थे। लेकिन, खुद उन्‍हें नहीं पता नहीं था कि कलाम कहां हैं। यहां तक तत्‍कालीन प्रधानमंत्री को होने वाले राष्‍ट्रपति को ढूंढने के लिए खुफ‍िया ब्‍यूरो यानी आईबी को कहना पड़ा था। तब कलाम का दक्ष‍िण भारत के एक छोटे से गांव में पता लगा था। जिस समय उनकी खोज पूरी हुई तब वह 12वीं कक्षा के छात्रों को संबोधित कर रहे थे।कलाम उन दिनों पूरी तरह चौंकाने वाली पसंद थे।

राष्‍ट्रपति पद के लिए उनकी उम्‍मीदवारी की किसी ने उम्‍मीद तक नहीं की थी। जब कलाम की खोज खबर मिली तो अटल जी ने कलाम को फोन किया।अटल जी तब कलाम को इस बारे में बताना चाहते थे। लेकिन, खुद उन्‍हें नहीं पता नहीं था कि कलाम कहां हैं। यहां तक तत्‍कालीन प्रधानमंत्री को होने वाले राष्‍ट्रपति को ढूंढने के लिए खुफ‍िया ब्‍यूरो यानी आईबी को कहना पड़ा था। तब कलाम का दक्ष‍िण भारत के एक छोटे से गांव में पता लगा था। जिस समय उनकी खोज पूरी हुई तब वह 12वीं कक्षा के छात्रों को संबोधित कर रहे थे।कलाम उन दिनों पूरी तरह चौंकाने वाली पसंद थे। राष्‍ट्रपति पद के लिए उनकी उम्‍मीदवारी की किसी ने उम्‍मीद तक नहीं की थी। जब कलाम की खोज खबर मिली तो अटल जी ने कलाम को फोन किया। तब वह चेन्‍नई में एक साधारण अपार्टमेंट में रह रहे थे। तत्‍कालीन प्रधानमंत्री ने उन्‍हें देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद की पेशकश की। यह विपक्ष के लिए किसी ‘गुगली’ से कम नहीं थी। तब वह चेन्‍नई में एक साधारण अपार्टमेंट में रह रहे थे। तत्‍कालीन प्रधानमंत्री ने उन्‍हें देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद की पेशकश की। यह विपक्ष के लिए किसी ‘गुगली’ से कम नहीं थी।

वाम दलों के हो-हल्‍ले के बावजूद कांग्रेस कलाम के नाम का विरोध नहीं कर सकती थी। वह जानी-मानी शख्‍सीयत थे।अटल जी तब कलाम को इस बारे में बताना चाहते थे। लेकिन, खुद उन्‍हें नहीं पता नहीं था कि कलाम कहां हैं। यहां तक तत्‍कालीन प्रधानमंत्री को होने वाले राष्‍ट्रपति को ढूंढने के लिए खुफ‍िया ब्‍यूरो यानी आईबी को कहना पड़ा था। तब कलाम का दक्ष‍िण भारत के एक छोटे से गांव में पता लगा था। जिस समय उनकी खोज पूरी हुई तब वह 12वीं कक्षा के छात्रों को संबोधित कर रहे थे।कलाम उन दिनों पूरी तरह चौंकाने वाली पसंद थे। राष्‍ट्रपति पद के लिए उनकी उम्‍मीदवारी की किसी ने उम्‍मीद तक नहीं की थी। जब कलाम की खोज खबर मिली तो अटल जी ने कलाम को फोन किया। तब वह चेन्‍नई में एक साधारण अपार्टमेंट में रह रहे थे। तत्‍कालीन प्रधानमंत्री ने उन्‍हें देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद की पेशकश की। यह विपक्ष के लिए किसी ‘गुगली’ से कम नहीं थी। दूसरा वह अल्‍पसंख्‍यक समाज से आते थे। उनके बारे में सबसे बड़ी बात यह थी कि वह मध्‍य वर्ग के ‘आइकॉन’ थे। इस तरह राष्‍ट्रपति चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों का उन्‍हें समर्थन मिला। एयरोस्‍पेस साइंटिस्‍ट ने जुलाई 2002 को राष्‍ट्रपति पद की शपथ ली। वह 25 जुलाई 2007 तक राष्‍ट्रपति रहे।