आज हम आपको बताएंगे कि लोग किन सीटों पर मतदान देने नहीं गए! चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनावो में पहले और दूसरे चरण के मतदान के अनंतिम आंकड़े बता दिए। आयोग ने कहा है कि पहले चरण में 66.14% जबकि दूसरे चरण में 66.71% मतदान हुआ था। निर्वाचन आयोग के आंकड़े बताते हैं कि 84% संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में 2019 के चुनावों के मुकाबले वोटिंग घटी है। 2019 में हुए आम चुनावों के पहले चरण के मतदान में 69.4% जबकि दूसरे चरण में 69.6% मतदाताओं ने लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा लिया था। इस तरह, 2019 के मुकाबले 2024 के चुनावों के पहले दो चरणों में करीब-करीब 3 प्रतिशत कम वोटिंग हुई है। हालांकि, निर्वाचन आयोग के मुताबिक, पोस्टल बैलेट से प्राप्त वोटों को जोड़ने के बाद ही अंतिम आंकड़े मिल सकेंगे। निर्वाचन आयोग की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पहले चरण में 16.63 करोड़ लोग मतदान के योग्य थे जिनमें करीब 11 करोड़ लोगों ने वोट डाले।बता दें कि 2019 की तुलना में 25.2 प्रतिशत अंकों की गिरावट देखी गई। इसी तरह, मध्य प्रदेश के सीधी लोकसभा क्षेत्र में 13 प्रतिशत अंकों की कमी आई। वहीं, उत्तर प्रदेश के मथुरा में 11.6 प्रतिशत, मध्य प्रदेश के खजुराहो में 11.31 प्रतिशत, मध्य प्रदेश के रीवा में 10.9 प्रतिशत, केरल के पथानामथिट्टा में 10.9 प्रतिशत जबकि मध्य प्रदेश के शहडोल में 10.1 प्रतिशत कम वोट पड़े। इसी तरह, दूसरे चरण 15.88 करोड़ पात्र मतदाताओं में से लगभग 10.6 करोड़ ने भाग लिया।पहले चरण के मतदान में 66.22% पुरुष जबकि 66.07% महिला मतदाताओं ने अपनी जिम्मेदारी निभाई। आंकड़ों से पता चला है कि तीसरे लिंग के 31.32% पात्र मतदाताओं ने मतदान प्रक्रिया में भाग लिया। दूसरे चरण के दौरान, 66.99% पात्र पुरुष मतदाताओं ने मतदान किया, जबकि महिला मतदाताओं का प्रतिशत 66.42% रहा। इस चरण में थर्ड जेंडर के लगभग 24% मतदाताओं ने मतदान प्रक्रिया में भाग लिया। पहले चरण में 102 जबकि दूसरे चरण में 88 लोकसभा क्षेत्रों में मतदान हुए थे। आंकड़ों से पता चलता है कि 2019 के जिन 176 लोकसभा क्षेत्रों (परिसीमन में बाकी लोकसभा क्षेत्र बदल गए) में हुए मतदान की तुलना इस वर्ष से की जा सकती है, उनमें 148 पर वोटिंग पर्सेंटेज में गिरावट दर्ज की गई है।
12 निर्वाचन क्षेत्रों की तुलना करना संभव नहीं है क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद उनकी सीमाओं को फिर से निर्धारित किया गया था। इनमें असम की 10 और जम्मू-कश्मीर की दो लोकसभा सीटें शामिल हैं। जिन 148 निर्वाचन क्षेत्रों में 2019 के मुकाबले कम वोटिंग हुई है, उनमें से 124 ऐसे हैं जहां दो प्रतिशत से ज्यादा की गिरवाट दर्ज की गई है। इन 124 सीटों में भी 57 पर तो मतदान में पांच प्रतिशत से अधिक की कमी देखी गई जबकि सात पर 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट हुई है।
जिन सात सीटों पर वोटिंग में सबसे अधिक 10 प्रतिशत से भी ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है, वो हैं- नागालैंड, जहां 2019 की तुलना में 25.2 प्रतिशत अंकों की गिरावट देखी गई। इसी तरह, मध्य प्रदेश के सीधी लोकसभा क्षेत्र में 13 प्रतिशत अंकों की कमी आई। वहीं, उत्तर प्रदेश के मथुरा में 11.6 प्रतिशत, मध्य प्रदेश के खजुराहो में 11.31 प्रतिशत, मध्य प्रदेश के रीवा में 10.9 प्रतिशत, केरल के पथानामथिट्टा में 10.9 प्रतिशत जबकि मध्य प्रदेश के शहडोल में 10.1 प्रतिशत कम वोट पड़े। पहले चरण के मतदान में 66.22% पुरुष जबकि 66.07% महिला मतदाताओं ने अपनी जिम्मेदारी निभाई। आंकड़ों से पता चला है कि तीसरे लिंग के 31.32% पात्र मतदाताओं ने मतदान प्रक्रिया में भाग लिया। दूसरे चरण के दौरान, 66.99% पात्र पुरुष मतदाताओं ने मतदान किया, जबकि महिला मतदाताओं का प्रतिशत 66.42% रहा। इस चरण में थर्ड जेंडर के लगभग 24% मतदाताओं ने मतदान प्रक्रिया में भाग लिया।
आंकड़े बताते हैं कि 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जहां सभी निर्वाचन क्षेत्रों में एक ही चरण में मतदान हुआ, मेघालय एकमात्र ऐसा राज्य था जहां मतदान और कुल मतदाताओं की संख्या दोनों में वृद्धि देखी गई। केरल, नागालैंड, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मिजोरम और उत्तराखंड में मतदान और कुल मतदाताओं की संख्या दोनों में कमी आई। बता दें कि आम चुनावों के पहले चरण के मतदान में 69.4% जबकि दूसरे चरण में 69.6% मतदाताओं ने लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा लिया था। इस तरह, 2019 के मुकाबले 2024 के चुनावों के पहले दो चरणों में करीब-करीब 3 प्रतिशत कम वोटिंग हुई है। हालांकि, निर्वाचन आयोग के मुताबिक, पोस्टल बैलेट से प्राप्त वोटों को जोड़ने के बाद ही अंतिम आंकड़े मिल सकेंगे। निर्वाचन आयोग की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पहले चरण में 16.63 करोड़ लोग मतदान के योग्य थे जिनमें करीब 11 करोड़ लोगों ने वोट डाले। इसी तरह, दूसरे चरण 15.88 करोड़ पात्र मतदाताओं में से लगभग 10.6 करोड़ ने भाग लिया। हालांकि, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, लक्षद्वीप, पुदुचेरी और तमिलनाडु में मतदान में कमी आई, लेकिन पात्र मतदाताओं की संख्या में वृद्धि के कारण कुल मतदाताओं की संख्या में वृद्धि हुई।