हाल ही में पीएम मोदी ने एनडीए की मीटिंग में हुंकार भरी थी! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए की बैठक को संबोधित करते हुए मंगलवार कहा कि NDA अटल जी की विरासत है। उन्होंने कहा कि आज सभी का विश्वास इस पर है। मोदी ने कहा कि एनडीए किसी के विरोध में नहीं बना। देश में स्थिरता लाने के लिए एनडीए का गठन हुआ। इस मौके पर उन्होंने विपक्षी गठबंधन पर भी जमकर हमला किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दलों का इस्तेमाल अपने हित में किया।पीएम मोदी ने कहा कि हम जब विपक्ष में थे तब भी हमने सकारात्मक राजनीति की, हमने कभी नकारात्मक राजनीति नहीं की। पीएम मोदी ने कहा कि हमने विपक्ष में रहकर सरकारों का विरोध किया, उनके घोटालों को सामने लाए लेकिन जनादेश का अपमान नहीं किया और न ही विदेशी ताकतों की मदद मांगी। जब गठबंधन सत्ता की मजबूरी से होता है, जब गठबंधन भ्रष्टाचार के इरादे से हो, जब गठबंधन परिवारवाद की नीति पर आधारित हो, जब गठबंधन जातिवाद और क्षेत्रवाद को ध्यान में रखकर किया जाता है तो वह गठबंधन देश को बहुत नुकसान पहुंचाता है।
पीएम मोदी ने कहा एक तरह से NDA अटल जी की एक ओर विरासत है जो हमें जोड़े हुए है। NDA के निर्माण में आडवाणी जी ने भी बहुत अहम भूमिका निभाई थी और वो आज भी हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। हाल ही में NDA के गठन के 25 साल पूरे हुए हैं, ये 25 वर्ष देश की प्रगति को गति देने और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने के रहे हैं। उन्होंने कहा कि NDA का मतलब है N-न्यू इंडिया, D- विकसित राष्ट्र, A- लोगों की आकांक्षा। आज युवा, महिलाएं, मध्यम वर्ग, दलित और वंचितों को NDA पर भरोसा है।
मोदी ने विपक्षी गठबंधन पर तंज कसते हुए कहा कि अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ये लोग पास-पास तो आ सकते हैं लेकिन साथ नहीं आ सकते। जो लोग आज मोदी को कोसने के लिए इतना समय लगा रहे हैं, अच्छा होता वो देश के लिए, गरीब के लिए सोचने में समय लगाते। 2024 का चुनाव दूर नहीं है और देश के लोग मन बना चुके हैं कि तीसरी बार फिर NDA को ही अवसर देना है।
2024 लोकसभा चुनाव के लिए पक्ष-विपक्ष में खुद को और मजबूत करने की खींचतान जारी है। केंद्र की सत्ता में आसीन बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की देश की राजधानी दिल्ली में बैठक हुई। इससे पहले आज ही विपक्ष के 26 दलों की मीटिंग बेंगलुरु में हुई। इस बैठक में विपक्षी दलों ने अपने गठबंधन का नाम संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन से बदलकर इंडियन नैशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस कर दिया। दिल्ली में हुई एनडीए की मीटिंग में बीजेपी समेत कुल 38 पार्टियां शामिल हुईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मीटिंग से पहले एक ट्वीट में एनडीए को कसौटियों पर खरा उतरने वाला गठबंधन बताया।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘यह बेहद खुशी की बात है कि पूरे भारत से एनडीए के हमारे साझेदार आज दिल्ली में बैठक में भाग लेंगे। हमारा गठबंधन हर कसौटी पर खरा उतरने वाला है जो देश की प्रगति को आगे बढ़ाने और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने की चाहत रखता है।’इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी गठबंधन पर जोरदार निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘चौबीस’ के लिए ‘छब्बीस’ होने में जुटे राजनीतिक दलों पर अवधी की यह कविता बिल्कुल फिट बैठती है।’
बता दे कि 1998 में बीजेपी फिर सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी और इस बार वह गठबंधन सरकार बनाने और चलाने में कामयाब रही। 1996 में 13 दिन की सरकार चलाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी फिर प्रधानमंत्री बने। उन्हें समता पार्टी, एआईएडीएमके, शिवसेना, अकाली दल जैसी तमाम पार्टियों का समर्थन हासिल था। इस गठबंधन का नाम पड़ा नैशनल डेमोक्रेटिक अलायंस यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन। समता पार्टी के जॉर्ज फर्नांडीज इस गठबंधन के शिल्पी थे। 2008 तक वह एनडीए के संयोजक रहे और तब खराब स्वास्थ्य की वजह से इस पद से इस्तीफा दिया था।
1996 के लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी या चुनाव पूर्व गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। बीजेपी सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी। तब जनता दल, समाजवादी पार्टी, डीएमके, टीडीपी, असम गण परिषद, नैशनल कॉन्फ्रेंस समेत तमाम छोटे-बड़े दलों ने सरकार बनाने के लिए यूनाइटेड फ्रंट नाम से गठबंधन बनाया। टीडीपी मुखिया चन्द्रबाबू नायडू इस गठबंधन के संयोजक बने। जनता दल के एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व में केंद्र में संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी। खास बात ये थी कि उसे कांग्रेस का बाहर से समर्थन हासिल था। अप्रैल 1997 में कांग्रेस के समर्थन वापस लेने से देवगौड़ा सरकार गिर गई। लेकिन उसके बाद जनता दल के ही इंद्रकुमार गुजराल प्रधानमंत्री बने और कांग्रेस के ही बाहरी समर्थन से। मार्च 1998 में कांग्रेस ने एक बार फिर समर्थन वापस ले लिया और गुजराल सरकार भी गिर गई।