Friday, October 18, 2024
HomeIndian Newsआखिर अखिलेश यादव का ऑफर किस ओर इशारा करता है?

आखिर अखिलेश यादव का ऑफर किस ओर इशारा करता है?

आज हम आपको बताएंगे कि अखिलेश यादव का ऑफर किसी और इशारा कर रहा है! उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय हलचल तेज हो गई है। एक तरफ खराब प्रदर्शन के कारण यूपी भारतीय जनता पार्टी में विवाद गहराया हुआ है। केशव प्रसाद मौर्य लगातार एक्टिव दिख रहे हैं। दिल्ली में आलाकमान से मुलाकात कर लखनऊ लौट चुके हैं। अखिलेश यादव भाजपा के भीतर गहराई राजनीति के बीच लगातार बयान जारी किया है। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट कर यूपी के राजनीति में सनसनी मचा दी है। उन्होंने अपने ही अंदाज में मानसून ऑफर दे दिया है। इसमें उन्होंने कहा है कि 100 लाओ, सरकार बनाओ। अखिलेश यादव के पर चर्चा का बाजार गर्मा गया है। दरअसल, पहले भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में अखिलेश यादव इस प्रकार का ऑफर दे चुके हैं कि अगर आपको सरकार बनाने का सपना पूरा करना है तो 100 विधायक तोड़कर लाएं। समाजवादी पार्टी समर्थन कर देगी। इस बयान के जरिए उन्होंने केशव प्रसाद मौर्य को उन्होंने खुला ऑफर दिया था। अब एक बार फिर वे इस प्रकार की बात करते दिख रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से उत्तर प्रदेश भाजपा में लगातार विवाद गहराया हुआ है। पार्टी को चुनाव में मार्च 33 सीटों पर जीत मिली। वहीं, विपक्षी गठबंधन इंडिया ने 43 सीटों पर जीत दर्ज की। समाजवादी पार्टी यूपी की राजनीति में नंबर वन बन गई है। पार्टी को 37 सीटों पर जीत मिली। सहयोगी कांग्रेस 6 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुई। इसके बाद से लगातार भाजपा में मंथन का दौर जारी है। दिल्ली से लेकर लखनऊ तक बैठकों का दौर चल रहा है।

इन बैठकों के बीच केशव प्रसाद मौर्य ने संगठन को सरकार से बड़ा बताकर प्रदेश के राजनीति में अलग ही बहस छेड़ दी है। सरकार बड़ा या संगठन बहस का मुद्दा बन गया है। इस बीच विपक्षी दल भाजपा के भीतर बढ़ी हलचल के बीच अपनी रणनीति को जमीन पर उतरने की कोशिश में जुट गए हैं। इस क्रम में अखिलेश यादव ने केशव प्रसाद मौर्य को एक बार फिर सरकार बनाने का मॉनसून ऑफर दे दिया है। 100 विधायकों को लाने पर सरकार बनाने का ऑफर दिया गया है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में इस समय भारतीय जनता पार्टी 251 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। वहीं, समाजवादी पार्टी के पास 105 विधायक हैं। अपना दल सोनेलाल 13 विधायकों के साथ तीसरे स्थान पर है। राष्ट्रीय लोक दल के पास आठ विधायक हैं। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के पास 6, निषाद पार्टी के पास पांच, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के पास दो, कांग्रेस के पास दो और बहुजन समाज पार्टी के पास एक विधायक हैं। उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के आंकड़े के लिए 202 विधायकों का समर्थन होना जरूरी है। वहीं, पार्टी को तोड़ने के एक दो-तिहाई विधायक जरूरी होते हैं। ऐसे में किसी भी नेता के भाजपा को तोड़ने के लिए कम से कम 167 विधायकों का एक तरफ आना जरूरी होगा।

ऐसे में अगर भारतीय जनता पार्टी के 100 विधायकों के साथ केशव प्रसाद मौर्य अलग गुट बनाकर अखिलेश यादव से मिलते हैं तो फिर वह सरकार बना सकते हैं। हालांकि, इस प्रकार की स्थिति में पाला बदलने वाले विधायकों पर दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई हो सकती है। साथ ही, केशव प्रसाद मौर्य लगातार भारतीय जनता पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखा रहे हैं। ऐसे में अखिलेश यादव के ऑफर को तंज के रूप में ही देखा जा रहा है।

यूपी में इन दिनों में राजनीति काफी गहराई हुई है। यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने प्रदेश में पार्टी की हार की वजहों से संबंधित रिपोर्ट प्रधानमंत्री से लेकर पार्टी अध्यक्ष तक सौंप चुके हैं। इस दरम्यान प्रदेश में कार्यकर्ताओं की स्थिति की भी खूब चर्चा की गई है। मामले में पार्टी आलाकमान सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ बैठक कर सकती है। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से उत्तर प्रदेश भाजपा में लगातार विवाद गहराया हुआ है। पार्टी को चुनाव में मार्च 33 सीटों पर जीत मिली। वहीं, विपक्षी गठबंधन इंडिया ने 43 सीटों पर जीत दर्ज की। समाजवादी पार्टी यूपी की राजनीति में नंबर वन बन गई है। पार्टी को 37 सीटों पर जीत मिली।वहीं, विपक्षी दल भाजपा को अब संतुलित नहीं होने देने की रणनीति पर आगे बढ़ते दिख रहे हैं। अखिलेश यादव के बयान को भी इसी नजरिए से देखा जा रहा है। वहीं, केशव प्रसाद मौर्य की नाराजगी को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments