आज हम आपको उसे घटना के बारे में बताने जा रहे हैं जो सरयू एक्सप्रेस में घटी थी! चलती सरयू एक्सप्रेस ट्रेन में महिला हेड कॉन्स्टेबल से बर्बरता मामले में स्पेशल टास्क फोर्स ने शुक्रवार सुबह बड़ा ऐक्शन लिया। यूपी एसटीएफ ने अयोध्या पुलिस के साथ मिलकर एनकाउंटर में मुख्य आरोपी अनीश खान को मार गिराया। उसके दो साथियों को घायल कर पकड़ लिया गया। मारे जाने से पहले अनीश खान ने पुलिस पर गोली चलाने की कोशिश की। अयोध्या के पूराकलंदर के छतरिवा पारा कैल रोड पर हुए इस एनकाउंटर के बाद यूपी एसटीएफ की तारीफ हो रही है। पिछले 23 दिनों से यूपी पुलिस इस मामले की जांच में जुटी थी। लगातार आरोपियों को पकड़ने की कोशिश की जा रही थी। साइंटिफिक सर्विलांस और कॉल ट्रेसिंग के जरिए पुलिस आरोपियों तक पहुंची। 30 अगस्त की रात को जो घटना घटी, उसने अयोध्या को दहला दिया था। हर तरफ इसकी चर्चा हुई। महिला पुलिसकर्मी पर हाथ डाल कर अपराधियों ने योगी सरकार के महिला सुरक्षा के दावे पर सवाल खड़े किए। आखिर उस रात क्या हुआ था? आइए, आपको पूरी कहानी से रूबरू कराते हैं। प्रयागराज से अयोध्या जाने वाली सरयू एक्सप्रेस में महिला सिपाही को अपराधियों ने निशाना बनाया। दरअसल, अनीश, आजाद और विशंबर पेशे से चोर हैं। ट्रेनों में चोरी करते हैं। एसटीएफ का कहना है कि 30 अगस्त की रात सरयू एक्सप्रेस में ये तीनों चोरी करने के इरादे से चढ़े थे। अयोध्या स्टेशन आने वाली थी। बोगी खाली हो चुकी थी। तीनों सीट पर बैठकर ब्लू फिल्म देखने लगे। सामने महिला कान्स्टेबल बैठी हुई थीं। उन्होंने अपराधियों के इरादे को भांपा। अपनी सीट बदली। महिला कान्स्टेबल जैसे ही दूसरी सीट पर पहुंची। पीछे से तीनों भी आ गए थे। अयोध्या स्टेशन पर बचे पैसेंजर भी उतर गए थे। बोगी में तीनों के अलावा केवल महिला सिपाही थीं। जैसे ही ट्रेन आगे बढ़ी, तीनों ने महिला सिपाही से जबर्दस्ती करना शुरू कर दिया।
महिला सिपाही ने भी तीनों पर वार करना शुरू कर दिया। इसी दौरान एक बदमाश ने उनके चेहरे पर धारदार हथियार से हमला कर दिया। असंतुलित महिला सिपाही के सिर को खिड़की से टकरा दिया। महिला कान्स्टेबल के सिर से खून निकल रहा था। चेहरा कट चुका था। इसके बाद भी वह लड़ रही थी। तीनों बदमाश उस महिला सिपाही पर हावी नहीं हो पा रहे थे। इसके बाद तीनों ने उसे पकड़ने की कोशिश छोड़कर उसे पीटना शुरू दिया। सिपाही बेसुध हो गई। ट्रेन के फर्श पर गिर पड़ी। तीनों बदमाशों ने उसके कपड़े उतार दिए। इसी बीच मनकापुर स्टेशन आ गया। रात के करीब एक बज रहे थे। तीनों को पकड़े जाने का डर हुआ।
बेहोश महिला कान्स्टेबल को सीट के नीचे धकेला। मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया। वहां से भाग निकले। मनकापुर स्टेशन पर रात करीब एक बजे ट्रेन पहुंची थी। महिला सिपाही बेहोश होने के कारण सीट के नीचे पड़ी रही। रात करीब 3 बजे ट्रेन मनकापुर से प्रयागराज के लिए खुली। उस समय तक महिला सिपाही को होश नहीं आया था। अहले सुबह 3:40 बजे तक ट्रेन अयोध्या स्टेशन पहुंची तो पूरा मामला खुला। महिला सिपाही को लोगों के ट्रेन में चढ़ने के बाद होश आया। वह जब खून से लथपथ ट्रेन से नीचे उतरी तो पुलिसकर्मियों के होश उड़ गए। सभी हैरान रह गए थे। आनन-फानन में महिला सिपाही को अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद जांच शुरू हुई।
अयोध्या- मनकापुर स्टेशन के बीच घटी वीभत्स घटना ने हर किसी को झकझोड़ कर रख दिया। महिला सिपाही के साथ बर्बरता मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया। इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने मीडिया में आई खबरों का संज्ञान लिया। रविवार 3 सितंबर की रात को अपने आवास पर विशेष अदालत बिठाई। सरयू एक्सप्रेस ट्रेन में महिला सिपाही के साथ हुई दरिंदगी को लेकर पहले हाई कोर्ट के वकील वकील रामकुमार कौशिक की ओर से पीआईएल दर्ज कराया गया। इसके बाद देर रात तक सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव के डिवीजन की विशेष बेंच ने मामले पर सुनवाई के दौरान नाराजगी जताई।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के आवास पर बैठी स्पेशल बेंच ने सुनवाई के बाद रेलवे और यूपी सरकार से जवाब मांगा। अगले दिन सुनवाई के दौरान सीनियर अफसर को मौजूद रहकर इस मामले में पक्ष रखने का आदेश दिया गया। कोर्ट को एक्शन के बारे में बताने को कहा गया। आरोपियों के पहचान की जानकारी मांगी गई। कोर्ट के सख्त रुख ने पुलिस महकमे को हिलाकर रख दिया। वहीं, विपक्ष ने भी सरकार को सवालों के घेरे में ला दिया था। महिला सिपाही का अयोध्या में इलाज शुरू हुआ, लेकिन उनकी हालत काफी खराब थी। उन्हें तत्काल केजीएमयू रेफर कर दिया गया। वहां उनका इलाज चल रहा है। अभी भी वे पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो पाई हैं। शुरुआती दिनों में तो वह करीब सात दिनों तक कुछ भी बोल नहीं पाई थी। ऑपरेशन के बाद उनकी जिंदगी बचा ली गई। लेकिन, उनके बोल नहीं पाने के कारण हमलावरों को ढूंढ़ना मुश्किल हो रहा था। पुलिस और एसटीएफ की ओर से लगातार कार्रवाई की गई।
मनकापुर स्टेशन पर बदमाशों के उतरने की संभावनाओं को देखते हुए एसटीएफ की ओर से जांच की गति तेज की गई। घटना की टाइमिंग को लेकर जांच शुरू हुई तो मनकापुर स्टेशन पर एक साथ तीन मोबाइल स्विच ऑफ होने की जानकारी मिली। इसके बाद सीसीटीवी को खंगाला गया। संदिग्धों के स्केच तैयार किए गए। पुलिस मोबाइल नंबर के आधार पर बदमाशों की खोज शुरू की। इसी आधार पर आखिरकार पुलिस ने अपराधियों को घेरा।
यूपी एसटीएफ आरोपियों के मोबाइल को ट्रैक कर रही थी। इसी क्रम में उन्हें इनपुट मिला कि तीनों इनायतनगर में छिपे हुए हैं। पुलिस ने लोकेशन को लॉक करते हुए तीनों को घेरा। पुलिस की घेराबंदी की सूचना मिलते ही अनीस, विशंभर और आजाद ने पुलिसकर्मियों पर गोलीबारी शुरू कर दी। पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की। एनकाउंटर के दौरान घिरता देखकर अनीस वहां से भाग निकला। वहीं, पुलिस ने कुछ देर में आजाद और विशंभर को काबू में किया। दोनों को गोली लगी तो वे पकड़ में आ गए।
अनीस के भागने की जानकारी मिलते ही पुलिस ने पूरे इलाके की नाकाबंदी करा दी। इसी बीच जानकारी आई कि अनीस पूराकलंदर इलाके में छिपा हुआ है। यूपी एसटीएफ ने उसे वहां घेर लिया। सरेंडर करने को कहा गया तो अनीस गोलियां चलाने लगा। इस गोलीबारी में पूराकलंदर थानाध्यक्ष रतन शर्मा और दो सिपाही घायल हो गए। थानाध्यक्ष रतन शर्मा के हाथ में गोली लगी। वहीं, पुलिस की गोली से अनीस घायल हो गया। अस्पताल ले जाया गया। वहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।