आज हम आपको बताएंगे कि आखिर राष्ट्रीय शोक क्या होता है और यह क्यों मनाया जाता है! जानकारी के लिए बता दे कि राष्ट्रीय शोक, जब पूरा देश शोक मनाता है! यह एक ऐसी प्रथा है जो बहुत सालों से चली आ रही है! लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर यह राष्ट्रीय शोक क्यों मनाया जाता है और अब तक हमारे देश में किन-किन लोगों के लिए राष्ट्रीय शोक रखा गया है? तो आज हम आपको इसी बारे में जानकारी देने वाले हैं!
आपको बता दे कि हाल ही में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के निधन पर भारत में एक दिन का राष्ट्रीय शोक रखा गया है। इसी के मद्देनजर राष्ट्रपति भवन पर लगे राष्ट्रीय ध्वज को भी आधा झुकाया गया है। राष्ट्रीय शोक के दौरान मनोरंजन वाला कोई आधिकारिक कार्यक्रम नहीं होगा। बता दें कि शुरुआत में ‘राष्ट्रीय शोक’ सिर्फ वर्तमान और पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के लिए आरक्षित था, हालांकि, कुछ समय बाद इसमें कई बदलाव किए गए। अब अन्य गणमान्य व्यक्तियों के मामले में केंद्र सरकार के विशेष निर्देश पर राष्ट्रीय शोक घोषित किया जा सकता है। अगर देश में किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा आए तो ऐसे वक्त भी ‘राष्ट्रीय शोक’ घोषित किया जा सकता है। हेलीकॉप्टर दुर्घटना में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री होसैन अमीरबदोल्लाहियान का निधन हो गया था। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ईरान के राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री होसैन अमीरबदोल्लाहियान के निधन पर शोक व्यक्त किया है। आइए आपको बताते हैं कि राष्ट्रीय शोक क्या होता है..इससे पहले 14 मई 2022 को संयुक्त अरब अमीरात के शेख खलीफा बिन जायद के निधन पर एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था। इससे पहले मॉरिशस के प्रधानमंत्री भारतीय मूल के अनिरूद्ध जगन्नाथ के निधन पर 5 जून 2021 को राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था। तो यह थी वह तारीख के जब राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया!. बता दें कि भारत में ‘राष्ट्रीय शोक’ पूरे देश के दुःख को व्यक्त करने का एक प्रतीकात्मक तरीका है। ‘राष्ट्रीय शोक’ किसी ‘व्यक्ति’ विशेष के निधन या पुण्य तिथि पर मनाया जाता है। फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के अनुसार, राष्ट्रीय शोक के दौरान, पूरे भारत में और विदेश स्थित भारतीय संस्थानों जैसे एंबेसी आदि पर लगे राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहते हैं। कोई औपचारिक और सरकारी कार्यक्रम नहीं किया जाता।
इस अवधि के दौरान कोई आधिकारिक कार्य भी नहीं होता। भारत में पहला राष्ट्रीय शोक महात्मा गांधी की हत्या के बाद घोषित किया गया था। राष्ट्रीय शोक की अवधि के दौरान सरकारी समारोहों और आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम पर भी प्रतिबंध रहता है। शुरुआत में ‘राष्ट्रीय शोक’ सिर्फ वर्तमान और पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के लिए आरक्षित था, हालांकि, कुछ समय बाद इसमें कई बदलाव किए गए। अब अन्य गणमान्य व्यक्तियों के मामले में केंद्र सरकार के विशेष निर्देश पर राष्ट्रीय शोक घोषित किया जा सकता है। अगर देश में किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा आए तो ऐसे वक्त भी ‘राष्ट्रीय शोक’ घोषित किया जा सकता है। इसके साथ ही दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्ष के अचानक निधन पर भी केंद्र सरकार राष्ट्रीय शोक घोषित कर सकती है।
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से पहले जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की मौत पर भारत सरकार ने एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी। शिंजो आबे की मौत 8 जुलाई 2022 को उस समय हुई थी जब चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें एक हमलावर ने गोली मार दी थी। पीएम मोदी ने उनके निधन पर दुख जताया और 9 जुलाई 2022 को राष्ट्रीय शोक घोषित किया था।भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ईरान के राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री होसैन अमीरबदोल्लाहियान के निधन पर शोक व्यक्त किया है। आइए आपको बताते हैं कि राष्ट्रीय शोक क्या होता है… बता दें कि भारत में ‘राष्ट्रीय शोक’ पूरे देश के दुःख को व्यक्त करने का एक प्रतीकात्मक तरीका है। ‘ इससे पहले 14 मई 2022 को संयुक्त अरब अमीरात के शेख खलीफा बिन जायद के निधन पर एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था। इससे पहले मॉरिशस के प्रधानमंत्री भारतीय मूल के अनिरूद्ध जगन्नाथ के निधन पर 5 जून 2021 को राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था। तो यह थी वह तारीख के जब राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया! यानी सीधी सी बात यह है कि राष्ट्रीय शोक बेहद ही महत्वपूर्ण घटनाक्रमों पर आधारित होता है!