आज हम आपको भारत के स्वदेशी टैंक जोरावर की खासियत बताने जा रहे हैं! चीन के साथ सीमा विवाद के बीच भारत स्वदेशी टैंक विकसित कर रहा है। भारत ने हल्के वजन वाले टैंक जोरावर को निर्माण की दिशा में अहम पड़ाव को पार कर लिया है। स्वदेशी टैंक जोरावर लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों के काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सेना में जोरावर के शामिल होने से चीन के खिलाफ भारत की स्थिति अधिक मजबूत दिखेगी। पर्वतीय इलाकों में यह टैंक अधिक स्पीड से चल सकता है। रूस और यूक्रेन संघर्ष से सबक सीखते हुए डीआरडीओ ने जोरावर टैंक में घूमने वाले हथियारों के लिए यूएसवी को इंटीग्रेट किया है। लाइट टैंक जोरावर 25 टन वजन का है। यह पहली बार है कि इतने कम समय में एक नया टैंक डिजाइन करके टेस्टिंग के लिए तैयार किया गया है। जोरावर टैंक की खास बात इसका वजन और साथ ही एक टैंक के मूलभूत मापदंडों का कॉम्बिनेशन है। इस टैंक में फायर, ताकत, मोबिलिटी और सुरक्षा है। लाइट टैंक को एक्शन में देखना हम सभी के लिए वाकई एक महत्वपूर्ण दिन है। यह मुझे खुश और गौरवान्वित करता है। यह वाकई एक मिसाल है। दो से ढाई साल की छोटी सी अवधि में, हमने न केवल इस टैंक को डिजाइन किया है, बल्कि इसका पहला प्रोटोटाइप भी बनाया है। जोरावर को सभी टेस्ट के बाद वर्ष 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है।
दो साल के रिकॉर्ड समय में विकसित यह टैंक स्वदेशी निर्माण में भारतीय प्रगति का प्रमाण है। हल्का टैंक जोरावर 25 टन वजनी है और यह पहली बार है कि इतने कम समय में एक नया टैंक डिजाइन किया गया है। अब यह टेस्टिंग के लिए तैयार किया गया है। इनमें से 59 टैंक शुरुआत में सेना को उपलब्ध कराए जाएंगे और यह 295 और बख्तरबंद वाहनों के प्रमुख कार्यक्रम के लिए अग्रणी होगा। भारतीय वायु सेना सी-17 श्रेणी के परिवहन विमान में एक बार में दो टैंकों की आपूर्ति कर सकती है क्योंकि यह टैंक हल्का है और इसे पर्वतीय घाटियों में हाई स्पीड से चलाया जा सकता है। अगले 12-18 महीनों में परीक्षण पूरा होने और शामिल किए जाने के लिए तैयार होने की उम्मीद है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के प्रमुख समीर वी कामथ ने शनिवार को कहा कि स्वदेशी हल्के टैंक जोरावर को सभी परीक्षणों के बाद वर्ष 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है।
डीआरडीओ प्रमुख ने एएनआई को बताया कि लाइट टैंक को एक्शन में देखना हम सभी के लिए वास्तव में एक महत्वपूर्ण दिन है। यह मुझे खुश और गौरवान्वित करता है। यह वास्तव में एक मिसाल है। दो साल से ढाई साल की छोटी अवधि में, हमने न केवल इस टैंक को डिजाइन किया है, बल्कि पहला प्रोटोटाइप भी बनाया है। अब पहला प्रोटोटाइप अगले छह महीनों में डेवलपमेंट टेस्ट से गुजरेगा। फिर हम इसे अपने यूजर्स को यूजर टेस्टिंग के लिए पेश करने के लिए तैयार होंगे। सभी टेस्ट के बाद जोरावर को वर्ष 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है।
डीआरडीओ टैंक लैब के निदेशक राजेश कुमार ने कहा कि आम तौर पर तीन अलग-अलग प्रकार के टैंक होते हैं। वजन के आधार पर तीन श्रेणियां हैं। भारी टैंक, मध्यम टैंक और हल्के टैंक। हर एक की अपनी भूमिका है। एक सुरक्षा के लिए है, एक आक्रमण के लिए है। ये हल्के टैंक दोनों के लिए मिश्रित भूमिका निभाते हैं। इसलिए यदि आप एक हल्का टैंक देखते हैं, तो दुनिया के कई खिलाड़ी हल्के टैंक बना रहे हैं। पश्चिमी टैंक हैं, रूसी टैंक हैं, चीनी टैंक हैं।
जोरावर टैंक को लेकर लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के कार्यकारी उपाध्यक्ष अरुण रामचंदानी ने कहा कि आज एलएंडटी के लिए बहुत बड़ा दिन है। दो वर्षों के भीतर, हम टैंक को उस स्तर पर ले आए हैं, जहां इसे इंटरनल टेस्ट के लिए और बहुत जल्द यूजर टेस्ट के लिए ले जाया जा सकता है। यह एक बड़ा प्रयास रहा है। डीआरडीओ और एलएंडटी के बीच एक संयुक्त प्रयास है।अब पहला प्रोटोटाइप अगले छह महीनों में डेवलपमेंट टेस्ट से गुजरेगा। फिर हम इसे अपने यूजर्स को यूजर टेस्टिंग के लिए पेश करने के लिए तैयार होंगे। सभी टेस्ट के बाद जोरावर को वर्ष 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह इन दोनों टीमों की एक बड़ी उपलब्धि है। दुनिया में कहीं भी इतने कम समय में कोई नया उत्पाद तैनात नहीं किया गया है। यह डीआरडीओ और एलएंडटी दोनों के लिए एक अद्भुत उपलब्धि है।