आखिर नेहरू के 10 साल और मोदी के 10 साल में क्या अंतर है?

0
108

आज हम आपको बताएंगे कि नेहरू के 10 साल और मोदी के 10 साल में आखिर अंतर क्या है! पीएम मोदी से पूछ गए सवाल कि दो फेज की वोटिंग के बाद आपका क्या आकलन है? क्या आपको अब भी उम्मीद है कि 400 का आंकड़ा पार करेंगे? इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि आदर्श आचार संहिता की घोषणा के बाद मैं अब तक 70 से ज्यादा रैलियां और रोड शो कर चुका हूं। मैं जहां भी गया हूं मुझे बेमिसाल प्यार, स्नेह और समर्थन मिला है। यह लोगों का समर्थन है जो हमें विश्वास दिलाता है कि हम 400 का आंकड़ा पार करने की राह पर हैं। लोगों ने देखा है कि हम क्या कर सकते हैं। हमारा मानना है कि लोग बेहतर कल चाहते हैं और वे जानते हैं कि BJP के लिए वोट का मतलब विकास के लिए वोट देना है। पीएम मोदी से लगातार तीन जीत के बाद नेहरू के रेकॉर्ड की बराबरी से भी जुड़ा सवाल पूछा गया। उन्होंने कहा कि सच कहूं तो इन रेकॉर्ड्स के बारे में मुझे नहीं पता। ऐसे ट्रेंड्स का विश्लेषण करना आपका काम है। मैं बस अपना काम करता रहता हूं। अब आपने यह प्रश्न पूछा है, तो मैं आपसे इसका विश्लेषण करने का आग्रह करूंगा। आप उस समय के राजनीतिक परिदृश्य, विपक्षी दलों और उनके नेताओं को देख सकते हैं। आप लोगों के बीच उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता के स्तर के साथ-साथ उनकी शिक्षा के स्तर को भी देख सकते हैं। आप मीडिया की उपस्थिति देख सकते है। नेहरू जी के 10 साल बनाम हमारे 10 साल में देश कैसे आगे बढ़ा, इसकी तुलना करके विश्लेषण किया जाना चाहिए। हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं क्योंकि देश अगले 25 वर्षों के लिए एक रोडमैप तैयार कर रहा है और यह जनता को जागरूक करेगा।

कांग्रेस पार्टी के युवराज घमंड के बारे में बात करने वाले आखिरी व्यक्ति होने चाहिए। मगर, यह सच है कि अब कांग्रेस पार्टी सिर्फ झटकों और आश्चर्यों पर निर्भर है। उनकी एकमात्र आशा यह है कि कोई चमत्कार होगा जो उन्हें चुनाव जिता देगा। यहां तक कि उनके सबसे अनुभवी और महत्वपूर्ण नेताओं ने भी हार मान ली है। चुनाव समसामयिक मुद्दों पर आधारित होते हैं, इसलिए चुनावों की तुलना करना सही नहीं है। 2024 में हमें न केवल नए सहयोगी मिले हैं, बल्कि जनता का अभूतपूर्व समर्थन भी मिला है, जो हमें शानदार जीत का विश्वास दिलाता है।

मुझे नहीं लगता कि वे किसी भी स्तर पर समाधान हैं। यह वास्तव में समाधान के रूप में छिपी हुई खतरनाक समस्याएं हैं। अगर सरकार संपत्ति के नए सिरे से बंटवारे के नाम पर आखिर में आपका पैसा छीन लेगी तो क्या आप दिन-रात काम करेंगे? आज हम 3 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनने के लिए सशक्त बना रहे हैं। ऐसी नीतियां यह सुनिश्चित करेंगी कि महिलाएं लखपति न बनें और उनकी आकांक्षाएं आगे न बढ़ें। अगर किसी ने मुद्रा लोन लिया है और वह आगे बढ़ रहा है तो उसकी तरक्की रुक जाएगी। हमारे रेहड़ी-पटरी वाले जो अब हमारी नीतियों के कारण बढ़ रहे हैं वे भी नहीं बढ़ पाएंगे। आज हम दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम हैं। ऐसी नीतियां आपके युवाओं की स्टार्ट-अप क्रांति को खत्म कर देंगी। यह नीति केवल उनके वोट-बैंक को खुश करने का एक तरीका है। अगर हम वास्तव में लोगों का विकास सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो हमें बस उनकी बाधाओं को दूर करना होगा और उन्हें सशक्त बनाना होगा। यह उनकी उद्यमशीलता क्षमता को उजागर करता है जैसा कि हमने अपने देश में टियर-2, टियर-3 शहरों में भी देखा है जो बहुत सारे स्टार्ट-अप और खेल के सितारों को जन्म दे रहे हैं। इन्हीं कारणों से संपत्ति का नए सिरे से बंटवारा, संपत्ति कर आदि कभी सफल नहीं होते क्योंकि वे कभी गरीबी दूर नहीं करते। वे तो बस इसे बांटते हैं ताकि हर कोई समान रूप से गरीब हो। गरीब गरीबी से त्रस्त रहते हैं और धन सृजन रुक जाता है। गरीबी एकसमान हो जाती है। ये नीतियां कलह फैलाती हैं और समता के हर रास्ते को रोक देती हैं। ये नफरत पैदा करती हैं और देश के आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने को भी अस्थिर करती

हमें कांग्रेस की इस भयावह योजना को एक बेकार धमकी की तरह नहीं मानना चाहिए। यह खतरा बहुत वास्तविक है और हमारे देश को अपरिवर्तनीय रूप से नुकसान पहुंचाने वाला है। यह माओवादी सोच और विचारधारा का उदाहरण है। कांग्रेस और उसके युवराज को ऐसे माओवादी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए देखना दुखद है। यह विनाश की ओर ले जाएगा। आपने युवराज को यह कहते हुए देखा होगा कि हम एक्स-रे कराएंगे। यह एक्स-रे हर घर पर छापा मारने के अलावा और कुछ नहीं है। वे किसानों पर छापा मारकर देखेंगे कि उनके पास कितनी जमीन है। वे आम आदमी पर छापा मारकर देखेंगे कि उसने हस्तकला से कितनी संपत्ति अर्जित की है। वे हमारी स्त्रियों की जूलरी पर धावा बोल देंगे। हमारा संविधान सभी अल्पसंख्यकों की संपत्ति की रक्षा करता है। इसका मतलब यह है कि जब कांग्रेस नए सिरे से बंटवारे की बात करती है, तो वह अल्पसंख्यकों की संपत्तियों को नहीं छू सकती है। वह वक्फ की संपत्तियों पर विचार नहीं कर सकती है, लेकिन वह दूसरे सभी समुदायों की संपत्तियों पर नजर रखेगी। इससे सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा होगा। यह ऐसी चीज है, जिसके लिए हमें बहुत सावधान रहना होगा। हम किसी को भी देश और उसके लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाने दे सकते। चाहे उनके पास कोई भी कारण हो। हमारा राष्ट्र, हमारे प्रत्येक नागरिक का कल्याण हमारी पहली और सर्वोच्च प्राथमिकता है। हमारी सरकार बहुसंख्यकों को लाभ पहुंचाने के लिए नीतियां नहीं बनाती है। हम ऐसी नीतियां नहीं बनाते हैं जिससे अल्पसंख्यकों को लाभ हो। हम ऐसी नीतियां बनाते हैं, जो बिना किसी भेदभाव के हमारे देश और इसके 140 करोड़ नागरिकों को फायदा पहुंचाती हैं।