आज हम आपको महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की नागपुर सीट का समीकरण बताने जा रहे हैं! महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से जुड़े हमारे खास कार्यक्रम ‘सीट का समीकरण’ में आपका स्वागत है। आज बात उस सीट की जहां से महाराष्ट्र भाजपा के सबसे बड़े चेहरे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस विधायक हैं। बात नागपुर दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट की। वो सीट जहां से उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर मैदान में हैं। आइये इस सीट के चुनावी इतिहास को भी जान लेते हैं। यह विधानसभा सीट संतरे के लिए दुनिया भर में मशहूर नागपुर जिले में पड़ती है। जिले में नागपुर दक्षिण-पश्चिम के अलावा 11 अन्य सीटें- खुजली, लापटा, हिंगना,उमरेड (एससी), नागपुर दक्षिण, नागपुर पूर्व, नागपुर सेंट्रल, नागपुर पश्चिम, नागपुर उत्तर (एससी), कामठी और रामटेक भी शामिल हैं। नागपुर दक्षिण-पश्चिम सीट के इतिहास की बात करें तो यह 2009 के विधानसभा चुनाव में पहली बार अस्तित्व में आई।
इस सीट पर पहली बार 2009 में विधानसभा चुनाव हुए। इसमें भाजपा ने देवेंद्र फडणवीस को यहां से उम्मीदवार बनाया। वहीं उनके सामने कांग्रेस ने विकास ठाकरे को उतारा। नतीजे फडणवीस के पक्ष में रहे और उन्होंने यह चुनाव 27,775 वोट से जीत लिया। इस तरह से देवेंद्र फडणवीस लगातार तीसरी बार विधायक बने लेकिन पहले दो चुनाव वह नागपुर पश्चिम सीट से जीते थे। देवेंद्र फडणवीस के सियासी सफर की बात करें तो उनका राजनीतिक जीवन बहुत कम उम्र में ही 1992 में शुरू हो गया था। वे 1992 में नागपुर नगर निगम में पार्षद चुने गए और लगातार दो कार्यकाल तक यह जिम्मेदारी संभाली। फडणवीस के नाम भारत में दूसरे सबसे युवा मेयर होने का भी रिकॉर्ड है। वे नागपुर के सबसे युवा मेयर रहे हैं। इसके अलावा देवेंद्र फडणवीस दो बार नागपुर के मेयर भी रहे। कभी सुबह का सूरज उगने से पहले सरकार का शपथ ग्रहण हुआ तो कभी सरकार में शामिल सबसे बड़े दल में टूट के बाद नई सरकार बनी। कभी शिवसेना में बगावत हुई तो कभी एनसीपी में बगावत हुई। इन पांच वर्षों में राज्य के सभी प्रमुख दलों ने सत्ता का सुख भोगा। राज्य में बड़े राजनीतिक दलों की संख्या भी चार से बढ़कर छह हो गई।उसके बाद 1999 में उनकी महाराष्ट्र विधानसभा में बतौर विधायक एंट्री हुई जो अभी तक जारी है।
1999 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में देवेंद्र फडणवीस नागपुर पश्चिम सीट से भाजपा के उम्मीदवार बने। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के अशोक धावड़ को 9087 मत से शिकस्त दी और पहली बार विधायक बने। अगले चुनाव में भी वह नागपुर पश्चिम सीट से भाजपा उम्मीदवार बने। इस बार उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार अरविंदबाबू देशमुख को हराया। फडणवीस की जीत का अंतर इस बार बढ़कर 17,610 मत का हो गया।
अब वापस आते हैं नागपुर दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट पर। 2009 के बाद 2014 में भी देवेंद्र फडणवीस इसी सीट से भाजपा के उम्मीदवार बने। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी प्रफुल्ल विनोद गुडाधे (पाटिल) को हराया। इस तरह से फडणवीस लगातार चौथी बार विधायक बने और एक बार फिर जीत का अंतर बढ़कर 58,942 वोट का हो गया। इस चुनाव में 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा को 122 सीटें आईं जबकि इसकी सहयोगी शिवसेना ने 63 सीटें हासिल कीं। इस जीत के बाद देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री बने।
पिछले महाराष्ट्र चुनाव में भी देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर दक्षिण-पश्चिम सीट से अपनी किस्मत आजमाई। इस चुनाव में उनका सामना कांग्रेस के डॉ. आशीष देशमुख से हुआ। यह चुनावी बाजी भी फडणवीस के नाम रही और इस बार वह 49,344 वोट से जीते। हालांकि, 2014 के मुकाबले इस बार उनकी जीत का अंतर कम रहा।
2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद राज्य की राजनीति में बहुत कुछ बदला। 2019 में साथ मिलकर चुनाव लड़ीं भाजपा और शिवसेना को नतीजों में बहुमत मिला, लेकिन मुख्यमंत्री के मुद्दे पर दोनों दलों का गठबंधन टूट गया। इसके बाद राज्य में कई राजनीतिक उठापटक हुई। चुनाव नतीजों के बाद राज्य तीन अलग-अलग गठबंधनों की सरकारें देख चुका है। कभी सुबह का सूरज उगने से पहले सरकार का शपथ ग्रहण हुआ तो कभी सरकार में शामिल सबसे बड़े दल में टूट के बाद नई सरकार बनी। कभी शिवसेना में बगावत हुई तो कभी एनसीपी में बगावत हुई। इन पांच वर्षों में राज्य के सभी प्रमुख दलों ने सत्ता का सुख भोगा। राज्य में बड़े राजनीतिक दलों की संख्या भी चार से बढ़कर छह हो गई।
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर भाजपा के टिकट पर नागपुर दक्षिण-पश्चिम से मैदान में हैं। उनके सामने कांग्रेस के प्रफुल्ल विनोद गुडाधे (पाटिल) किस्मत आजमा रहे हैं। 2014 में भी ये दोनों उम्मीदवार इस सीट पर आमने-सामने थे। इस बार नागपुर दक्षिण-पश्चिम सीट पर कुल 12 उम्मीदवार मैदान में हैं।