आखिर क्या है कांग्रेस की विचारधारा जिस पर उठ रहे हैं सवाल?

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आज हम आपको कांग्रेस की उसे विचारधारा के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिस पर वर्तमान में सवाल उठ रहे हैं! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में कांग्रेस के इकोसिस्टम को खुली चेतावनी दी कि वो देशविरोधी साजिशें रचने से बाज आए वरना उसे अब उसी की भाषा में जवाब दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जताई गई चिंता का उल्लेख करते हुए कहा कि देशवासियों को भी देशविरोधी ताकतों से सतर्क रहना होगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी देशवासियों को भी आगाह करती है कि किस-किस तरह के खतरे आने वाले हैं। फिर मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले में लिखी एक टिप्पणी पढ़ी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में जिस तरफ इशारा किया वो वही इकोसिस्टम है जिसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में किया। पीएम ने साफ कहा कि यह कांग्रेस का खड़ा किया इकोसिस्टम है जो देशविरोधी गतिविधियों में हरसंभव प्रयासरत है। आखिर कांग्रेस का यह इकोसिस्टम करता क्या है जिससे न केवल प्रधानमंत्री मोदी बल्कि सुप्रीम कोर्ट भी खतरा महसूस करते हैं। सबसे पहले जानिए कि इकोसिस्टम होता है क्या है। दरअसल यह समान विचारधारा से जुड़े लोगों और संस्थाओं का समूह है जो खास उद्देश्य की पूर्ति के लिए संगठित प्रयास करता है। इकोसिस्टम को अपने मकसद के लिए हर अनैतिक, अराजक और अमर्यादित तरीके आजमाने से रत्ती भर भी गुरेज नहीं होता है। खास बात यह है कि इकोसिस्टम से जुड़े लोग या संस्थान इतने शॉर्ट साइटेड होते हैं, उनका स्वार्थ इतना हावी होता है कि वो देश और समाज ही नहीं, अपने परिवार का भविष्य भी दांव पर लगा देते हैं। वो बस आज में जीते हैं, उन्हें इस बात की भी तनिक परवाह नहीं होती कि आखिर उनके समर्थन से जो अराजक स्थिति पैदा होगी, उसका उनके बच्चों, उनकी अगली पीढ़ी पर क्या असर होगा। बस चकाचौंध भरी जिंदगी के लिए सबकुछ दांव पर लगाने यहां तक कि अपने इंटेलेक्ट को दबाने तक को तैयार हो जाते हैं। वरना कोई यह कैसे कर सकता है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को भारतीय मुसलमानों की नागरिकता छीनने का कानून बता दे? इकोसिस्टम अपने स्वार्थ के लिए ऐसे ही अफवाह फैलाता है, सच को झूठ और झूठ को सच बताता है, तिल का ताड़ बनाता है और पहाड़ को राई।

जवाहर लाल नेहरू एक वोट हासिल किए बिना, मोहनदास करमचंद गांधी की मदद से कांग्रेस अध्यक्ष और फिर देश के प्रधानमंत्री बन जाते हैं। वो अपने कार्यकाल में दर्जनों राज्य सरकारों को गिराते हैं, अपने आलोचकों को जेल भेजते हैं, लेकिन वो महान लोकतांत्रिक व्यक्ति थे। नरेंद्र मोदी गुजरात से लेकर देश तक, लगातार चुनावों में जीतकर पहले प्रदेश और फिर देश का शासन चलाते हैं। नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर, नीच, हिटलर, हत्यारा कहा जाता है, यहां तक कि उनके मर जाने की कामना करते नारे लगते हैं, लेकिन कभी किसी को जेल भेजना तो दूर, किसी के पास पुलिस फटकती तक नहीं। फिर भी मोदी तानाशाह हैं।

यह इकोसिस्टम का ही कमाल है जो तीन जीवन की सजा पाने वाले, काला पानी की सजा भुगतने वाले, जेलों में अमानवीय यातनाएं सहने वाले वीर सावरकर देश के गद्दार, माफीवीर, अंग्रेजों के पिट्ठू हो जाते हैं। दूसरी तरफ, अंग्रेजों की तरफ से मिलने वाली हर मलाई का हिस्सेदार रहे नेहरू, जेल में भी शानो-शौकत की जिंदगी बिताने वाले नेहरू, अंग्रेज पुलिस की एक लाठी भी नहीं खाने वाले नेहरू महान क्रांतिकारी और देशभक्त हैं।इसी इकोसिस्टम से जुड़े एक अखबार ने बड़ी खबर लगाई थी कि मनमोहन सिंह सरकार के सैन्य तख्तापलट की तैयारी हो चुकी थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि सेना दिल्ली की तरफ कूच कर गई थी। खबर बिल्कुल निराधार और पूर्णतः झूठी थी, लेकिन आज तक उस कथित प्रतिष्ठित अखबार के संपादक ने आज तक माफी नहीं मांगी। लेकिन वो पत्रकारिता के धर्म सिखाते हैं, पत्रकारिता के मानदंड बताते हैं और उनके रास्ते पर नहीं चलने वालों के गोदी मीडिया कहते हैं। इन्हीं संपादक महोदय ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी कि राफेल युद्ध विमान खरीद में घोटाला हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने सबकुछ अच्छे से जांच-परख कर फैसला दिया कि कोई घोटाला नहीं हुआ है। हैरत की बात है कि अगर इन्हें घोटालों से इतनी ही नफरत है तो फिर उसकी तरफदारी में कैसे जुटे रहते हैं जिनकी छवि ही घोटालेबाज की है?

सीएए विरोधी आंदोलनों में देश को सुलगाने की पूरी व्यवस्था कर लगी गई थी। दिल्ली के शाहीन बाग में लंबे समय तक धरना चला, बंगाल समेत देश के कई हिस्सों में आगजनी, तोड़फोड़ और हिंसा हुई। क्यों? क्योंकि इसी कांग्रेसी इकोसिस्टम ने अफवाह फैलाई कि मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी। सरकार कहती रह गई कि यह किसी की नागरिकता छीनने नहीं बल्कि हमारे चार पड़ोसी इस्लामिक देशों के धार्मिक उत्पीड़न के शिकार लोगों को नागरिकता देने का कानून है, लेकिन स्वार्थ और साजिशों के आगोश में आकर इकोसिस्टम ने एक न सुनी और झूठ का प्रचार चलता रहा।

गुजरात दंगा हुआ, यह सच है। लेकिन क्यों हुआ, इसकी चर्चा नहीं होने देंगे। ये है इकोसिस्टम। गोधरा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में कारसेवकों को जिंदा जला दिया गया। क्या उनकी जान की कोई कीमत नहीं थीय़ उनका क्या गुनाह था? उन्होंने किस मुसलमान का क्या बिगाड़ा था? अगर बिना नुकसान पहुंचाए दर्जनों लोगों को जिंदा जला देंगे तो क्या इसके बदले भड़की भावना के लिए भी हिंदुओं को ही दोषी मानना सही है? डायरेक्ट ऐक्शन डे से लेकर मोपला नरसंहार तक, मुसलमानों ने इतिहास में ऐसे कई खौफनाक उदाहरण पेश किए हैं जिनमें वो बिना उकसावे के हिंदुओं का नरसंहार करते रहते हैं। लेकिन इकोसिस्टम मुस्लिम अत्याचारों को दबाने और हिंदुओं की प्रतिक्रिया को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने पर आमदा रहता है। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख दंगा हुआ। बेहद विभत्स। लेकिन इकोसिस्टम उसकी कभी बात नहीं करेगा और गुजरात दंगे पर चर्चा कभी खत्म नहीं होने देगा।

इकोसिस्टम वही है जो हिंदू लड़कियों को तो नारी सशक्तीकरण का पाठ पढ़ाएगा, उसे अधिकारों और आजादी के नाम पर अपने परिवार के अंदर कलह पैदा करने तक को उकसाएगा, लेकिन मुस्लिम लड़कियों के बुरके की लड़ाई लडे़गा। वह हिंदू लड़कियों को प्रगतिशीलता के नाम पर फूहड़ बनाने से भी बाज नहीं आएगा, लेकिन मुस्लिम महिलाओं को मूलभूत अधिकारों, जमाने के अनुसार जिंदगी जीने को प्रेरित भी नहीं करेगा। मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की अमानवीय प्रथा से मुक्ति दिलाने के लिए मोदी सरकार ने कानून बनाया, लेकिन इकोसिस्टम की नजर में वो प्रतिगामी ताकत है।

पीएम मोदी ने लोकसभा में कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है, ऐसा लगता है इस महान देश की प्रगति पर संदेह प्रकट करने, उसे कम करने और हरसंभव मोर्चे पर उसे कमजोर करने का एक ठोस प्रयास किया जा रहा है। इस तरह के किसी भी प्रयत्न या प्रयास को आरंभ में ही रोक दिया जाना चाहिए।’ पीएम ने कहा कि कांग्रेस से मिले खाद-पानी से इकोसिस्टम 70 साल से फला-फूला है। मैं आज इस इकोसिस्टम को चेतावनी देता हूं, उसकी जो हरकतें हैं, जिस तरह इकोसिस्टम ने ठान लिया है कि देश की विकास यात्रा को रोक देंगे, देश की प्रगति को डिरेल कर देंगे, उसकी हर साजिश का जवाब अब उसी की भाषा में मिलेगा। ये देश, देशविरोधी साजिशों को कभी भी स्वीकार नहीं करेगा।