Sunday, September 8, 2024
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आखिर क्या है दिल्ली के रिज एरिया में 1100 पेड़ों की कटाई का मामला?

आज हम आपको दिल्ली के रिज एरिया में 1100 पेड़ों की कटाई का मामला बताने जा रहे हैं! दिल्ली में रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नाराजगी व्यक्त की। शीर्ष अदालत ने पेड़ काटने के मामले में उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना की भूमिका पर अधिकारियों की तरफ से लगातार लीपापोती करने पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को यह बताने का निर्देश दिया कि क्या पेड़ों को काटने का आदेश उपराज्यपाल की मौखिक अनुमति के आधार पर पारित किया गया था या एजेंसी ने स्वतंत्र रूप से यह निर्णय लिया था। सुप्रीम कोर्ट सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए रिज वन में 1,100 पेड़ों की कथित कटाई को लेकर डीडीए के उपाध्यक्ष के खिलाफ स्वत:संज्ञान से अवमानना कार्यवाही की सुनवाई कर रहा था। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने कहा कि पेड़ों की कटाई की अनुमति देने में दिल्ली के उपराज्यपाल ने विवेक का प्रयोग नहीं किया। पीठ ने कहा कि सुनवाई के पहले दिन ही उसे यह बता दिया जाना चाहिए था कि उपराज्यपाल ने पहले ही पेड़ों की कटाई के निर्देश जारी किये थे।

पीठ ने कहा कि हमें इस बात से परेशानी है कि हर किसी ने गलती की है। पहले दिन सभी को अदालत में आकर कहना चाहिए था कि हमसे गलती हुई है। लेकिन लीपापोती चलती रही। चार-पांच आदेशों के बाद डीडीए अधिकारी के हलफनामे के रूप में सच्चाई सामने आ जाती है। गलती तो सभी ने की है, उपराज्यपाल सहित सभी ने। खेदजनक स्थिति है।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे इस मामले में उपराज्यपाल की भूमिका का एहसास तब हुआ जब अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी स्वयं उपस्थित हुए और कहा, ‘यह पर्याप्त संकेत था’। शीर्ष अदालत ने कहा कि रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई में दिल्ली सरकार भी समान रूप से दोषी है। सरकार को 422 पेड़ों को काटने की अवैध अनुमति देने का दोष स्वीकार करना चाहिए। कोर्ट ने AAP सरकार से कहा कि वह पेड़ों की इस अवैध कटाई की भरपाई के लिए कोई व्यवस्था बनाए।

डीडीए के उपाध्यक्ष की तरफ से दाखिल दो हलफनामों पर गौर करते हुए पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया, हमें ऐसा प्रतीत होता है कि सभी संबंधित पक्षों की ओर से यह बताने में अनिच्छा थी कि तीन फरवरी, 2024 को उपराज्यपाल के मौके का दौरा करने के दौरान वास्तव में क्या हुआ था, जब पेड़ों को काटने का मौखिक आदेश दिया गया था। पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि उपराज्यपाल ने कहा है कि वृक्ष अधिनियम के तहत पेड़ों की कटाई की अनुमति उनके द्वारा दी गई मंजूरी के आधार पर पहले ही दी जा चुकी है। इसलिए डीडीए को मंजूरी के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।

पीठ ने ठेकेदार को नोटिस जारी किया और स्पष्टीकरण मांगा कि किसके निर्देश पर पेड़ों की कटाई की गई। पीठ ने कहा, “सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि यद्यपि राज्य सरकार के सभी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे, लेकिन उनमें से किसी ने भी यह नहीं बताया कि रिज क्षेत्र में पेड़ों को काटने के लिए न्यायालय की अनुमति लेने की आवश्यकता है और अन्य क्षेत्रों में पेड़ों को काटने के लिए वृक्ष अधिकारी की अनुमति लेने की आवश्यकता है।शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार को एक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया जिसमें यह बताया जाए कि किसके आदेश पर लकड़ियां जब्त करने का आदेश दिया गया है और ठेकेदार से यह भी पूछा कि काटे गए पेड़ों का स्थान क्या है।बता दें कि जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने कहा कि पेड़ों की कटाई की अनुमति देने में दिल्ली के उपराज्यपाल ने विवेक का प्रयोग नहीं किया।

पीठ ने कहा कि सुनवाई के पहले दिन ही उसे यह बता दिया जाना चाहिए था कि उपराज्यपाल ने पहले ही पेड़ों की कटाई के निर्देश जारी किये थे।शीर्ष अदालत ने कहा कि रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई में दिल्ली सरकार भी समान रूप से दोषी है। सरकार को 422 पेड़ों को काटने की अवैध अनुमति देने का दोष स्वीकार करना चाहिए। कोर्ट ने AAP सरकार से कहा कि वह पेड़ों की इस अवैध कटाई की भरपाई के लिए कोई व्यवस्था बनाए। पीठ ने कहा कि अधिकारियों को लगातार निगरानी रखने की योजना बनानी होगी ताकि अवैध रूप से पेड़ों की कटाई के मामले तुरंत अधिकारियों के संज्ञान में आ सकें।

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