आज हम आपको मालदीव के राष्ट्रपति का प्लान बताने जा रहे हैं! मालदीव ने बुधवार को कहा कि भारत और चीन अमेरिकी डॉलर की जगह अपनी-अपनी मुद्राओं में आयात के लिए भुगतान करने पर सहमत हुए हैं। इस कदम से मालदीव को दोनों देशों से अपने वार्षिक 1.5 अरब डॉलर के आयात बिल का लगभग 50 फीसदी बचाने में मदद मिलने की उम्मीद है। स्थानीय मुद्राओं नें इंटरनेशनल व्यापार फायदेमंद होता है। क्योंकि इससे देशों को अपने विदेशी मुद्रा भंडार को संरक्षित करने में मदद मिलती है। यह कदम इंटरनेशनल लेनदेन में अमेरिकी डॉलर के प्रमुख इस्तेमाल से दूर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दिखाता है। मालदीव के आर्थिक विकास मंत्री मोहम्मद सईद ने कहा कि उन्होंने दो सप्ताह पहले भारतीय उच्चायुक्त मुनु महावर से मुलाकात की थी। महावर ने पुष्टि की कि भारत रुपए में आयात भुगतान के निपटान की व्यवस्था में समर्थन और सहयोग देगा। इसी तरह सईद को दो दिन पहले चीन के वाणिज्य मंत्रालय से एक पत्र मिला, जिसमें बीजिंग ने युआन में आयात भुगतान की अनुमति देने में सहयोग का आश्वासन दिया था। मालदीव हर साल भारत से 780 मिलियन डॉलर और चीन से 720 मिलियन डॉलर का आयात करता है।
जुलाई 2023 में भारत सरकार ने घोषणा की कि मालदीव उन 22 देशों में से एक है, जिन्हें स्थानीय मुद्राओं में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत आरबीआई की ओर से विशेष रुपया वोस्ट्रो अकाउंट खोलने की अनुमति दी गई थी। बता दें कि मालदीव की शह के बाद उनके तीन मंत्रियों ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणियां की, जिसके बाद भारत में मालदीव के बायकॉट को लेकर सोशल मीडिया पर लहर सी उठ गई। मालदीव में भी जनता ने विरोध किया और विरोध बढ़ता देख मुइज्जू को अपने मंत्रियों की छुट्टी करनी पड़ी। नई दिल्ली दौरे के दौरान मूसा जमीर ने एएनआई के साथ इंटरव्यू में अतीत के लिए ‘माफी’ मांगी और दोहराया कि मंत्रियों के विचार व्यक्तिगत थे। मालदीव के समाचार पोर्टल के मुताबिक सईद ने कहा, ‘मालदीव हर साल भारत और चीन दोनों से 600-700 मिलियन डॉलर की वस्तुओं का आयात करता है। इसलिए हम दोनों देशों से हर साल लगभग 1.4 से 1.5 बिलियन डॉलर की वस्तुएं आयात करते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘हम अपने लिए व्यवस्था बनाने के लिए दोनों पक्षों से बातचीत कर रहे हैं। ताकि अमेरिकी डॉलर की जगह सीधे स्थानीय मुद्रा में पेमेंट की जा सके।’ उन्होंने कहा, ‘इससे चीजें सस्ती हो जाएंगी और अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता खत्म होगी। डॉलर की मांग में भी कमी आएगी।’ भारत की ओर से मिलने वाली इस मदद से मालदीव को बड़ा फायदा होगा। सबसे पहले उसका कन्वर्जन शुल्क ही काफी बच जाएगा। क्योंकि अभी पेमेंट के लिए मालदीव की मुद्रा को डॉलर और फिर डॉलर को रुपए में कन्वर्ट करना पड़ता है। जानकारी के लिए बता दे कि भारत ने मालदीव के साथ हमेशा से दोस्ती वाला रवैया अपनाए रखा है। माले में सरकार चाहे कोई भी रही हो नई दिल्ली ने कभी भेदभाव नहीं किया। लेकिन मुइज्जू ने आते ही भारत के जहर उगलना शुरू कर दिया। मालदीव की शह के बाद उनके तीन मंत्रियों ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणियां की, जिसके बाद भारत में मालदीव के बायकॉट को लेकर सोशल मीडिया पर लहर सी उठ गई। मालदीव में भी जनता ने विरोध किया और विरोध बढ़ता देख मुइज्जू को अपने मंत्रियों की छुट्टी करनी पड़ी। नई दिल्ली दौरे के दौरान मूसा जमीर ने एएनआई के साथ इंटरव्यू में अतीत के लिए ‘माफी’ मांगी और दोहराया कि मंत्रियों के विचार व्यक्तिगत थे। यह मालदीव की तरफ से रिश्तों को सुधारने की कोशिश थी।
मुइज्जू ने भारत का नाम नहीं लिया था, लेकिन ये साफ था कि वे नई दिल्ली के बारे में बात कर रहे थे। मालदीव की योजना पश्चिम एशिया से माल मंगाने की योजना पर तब पानी फिर गया जब लाल सागर पर हूती चरमपंथियों ने हमले शुरू कर दिए। द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत आरबीआई की ओर से विशेष रुपया वोस्ट्रो अकाउंट खोलने की अनुमति दी गई थी। मालदीव के समाचार पोर्टल के मुताबिक सईद ने कहा, ‘मालदीव हर साल भारत और चीन दोनों से 600-700 मिलियन डॉलर की वस्तुओं का आयात करता है।अधिकांश जहाज अफ्रीका को घूमकर आने लगे और कर्ज में डूबे मालदीव के लिए महंगी कीमत पर सामान खरीदना मुश्किल हो गया। इस दौरान भारत ने आवश्यक वस्तुओं का कोटा बढ़ाकर मालदीव को इस संकट से राहत दी।